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बचत से आत्मनिर्भरता: ग्रामीण महिला की यात्रा

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  मैं एक ग्रामीण घरेलू महिला हूं। मेरे घर में दो बेटे तीन बेटियां पति व सास रहते हैं। हमारे पास कुछ जमीन है जिसमें वर्ष में एक बार हम इससे फसल प्राप्त कर लेते हैं। पति मजदूरी व खेती करते हैं। उनकी आय से हमारा गृहस्थ जीवन सही से नहीं चल पाता। सास भी बीमार रहती है। उनकी दवाई व बच्चों का पढ़ाई खर्च बहुत अधिक हो जाता है। फिर एक दिन मैं राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था से जुड़ी उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को बचत करने की भावना को हम में जगाने और कुछ समय पश्चात हमें बैंक से स्वयं के कार्य हेतु ऋण भी उपलब्ध करवाने का कार्य किया। मैंने उस ऋण से एक भैंस खरीद ली और उसका पालन पोषण करने लगी। फिर उसके दूध से मुझे अच्छी आय प्राप्त होने लगी। धीरे-धीरे मैंने दो भैंसे और खरीद ली। अब मुझे प्राप्त आय से बहुत मुनाफा हुआ और पूरा परिवार मेरे इस कार्य में मेरा सहयोग प्रदान करने लगा । इस कार्यक्रमजिससे हमारी आजीविका और अच्छे तरीके से सुदृढ़ होने लगी। वे हमारी आमदनी भी बढ़ने लगी। SHG कार्यक्रम से हमें छोटी-छोटी बचते जोड़कर जीवन में एक काम करने का आत्म बल भी प्राप्त हुआ। से ही हमें सही कार्य करने की अच्छी सलाह