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"गणतंत्र दिवस की असली शक्ति: बच्चों के साथ मिलकर राष्ट्रीय भावना का उत्सव"

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गणतंत्र दिवस  भारत के इतिहास का एक अहम् दिन है इस दिन हमारे देश का संविधान लागू हुआ था और तब से हर साल इस दिन को हम पूरे देशभर में गर्व और सम्मान के साथ मानते है।  इस दिन का महत्त्व केवल संविधान के लागू  होने तक  सिमित नहीं है । बल्कि  यह हमें हमारे  अधिकारों, कर्तव्यों  और स्वतंत्रता  की याद भी दिलाता है। गणतंत्र दिवस के आयोजन मुख्य रूप से राजपथ पर होने वाली भव्य परेड से जुड़े होते है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस दिन को खास बनाने के लिए स्ट्रीट , झुग्गी-झोपड़ी, स्लम, निचली बस्तियों के बच्चों के साथ गणतंत्र दिवस मनाने से न केवल बच्चों में देश भक्ति की भावना जाग्रत होती है बल्कि यह समाज में समानता और भाईचारे का सन्देश भी देता है।  सड़क के किनारे रह रहे इन बच्चों के साथ गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य कारक है जैसे देशभक्ति का संचार, समाज में एकता का सन्देश, सीखने का अवसर, समाज के कमजोर वर्गों के साथ मनाना न केवल बच्चों में देशभक्ति का भाव जाग्रत करता है।  बल्कि यह हमे एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र बनने के लिए भी प्रेरित करता है।  इस...

"गणतंत्र दिवस: महिला सशक्तिकरण के लिए प्रेरणा और नए अवसरों की शुरुआत"

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गणतंत्र दिवस का दिन हमारे लिए केवल राष्ट्रीय उत्सव का दिन नहीं है बल्कि यह लोकतंत्र और स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में हमारी सामाजिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों की याद भी दिलाता है। इस दिन को मनाने के लिये जब हम इसे महिलाओं के साथ जैसे गारमेंट्स मेकिंग जैसे व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से मनाते है। तो इसका महत्त्व और भी बाद जाता है। यह महिलाओं को न केवल उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करता है बल्कि उन्हें अपने आत्म सम्मान, आत्मनिर्भरता और समाज में अपनी भूमिका को समझने के लिए भी प्रेरित करता है।  महिलाओं के साथ गणतंत्र दिवस मनाने के महत्त्व निम्न है ! आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम, संविधान और अधिकारों की समझ, कौशल विकास और आत्मविश्वास, समाज में समानता और सामाजिक उत्थान, प्रेरणा और उत्साह आदि महत्व हमें देखने को मिलती है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उनके कार्यक्षेत्र में दक्षता और आत्मविश्वास प्रदान करना है। इस कार्यक्रम में अब लगातार महिलाओं की भागेदारी बढ़ रही है। इन प्रशिक्षण से उन्हें कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते है जैसे तकनीकी कौशल में सुधार , समाज मे...

दहेज प्रथा से महिला स्वतंत्रता: समाज का संकल्प

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भारत में वैसे तो परंपरागत रूप से आज भी कई कुरितीयां  विद्यमान है। बाल विवाह,निरक्षरता,दहेज प्रथा,सती प्रथा,पर्दा प्रथा,बहु विवाह, विधवा विवाह विरोध,जातिवाद, और सांप्रदायिकता प्रमुख है। दहेज प्रथा के नाम पर यह एक प्रचलित सामाजिक बुराई है जो संपत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ से दी जाती है। इस बुराई में महिलाओं के प्रति कठोर यातनाएं और अपराध उत्पन्न हुयें हैं। एक गरीब पिता की अपनी पुत्री का विवाह करना बहुत ही कठिन में कष्टदायक हो जाता है। इस अभिशाप से लड़की का जीवन नर्क के समान बन जाता है जिसके लिए उसके परिवार द्वारा उसे प्रताड़ित भी किया जाता है। दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ है बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने के लिए कई बार किया गया है। इसके कारण वर वधू के परिवारों के बीच दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। दहेज प्रथा के ये विभत्स परिणाम हमें देखने को मिलते हैं। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज प्रथा अभी भी विकराल रूप में है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस कार्य में कई भरसक प्रयास कि...

विविधता में सदभाव: सामाजिक न्याय का मार्ग प्रशस्त करना

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मेरा नाम राखी है। मैं कक्षा आठवीं की छात्रा हूं और पास के भांवता गांव में पढ़ती हूं। प्रकृति ने हम सबको एक समान बनाया है। फिर भी हमारे समाज में कई तरह की असमानताएं देखने को मिलती है जिसमें लिंग भेदभाव, जातिवाद, भाषा,रंग भेदभाव वह कई असामाजिक कुरीतियां व प्रथाएं हमारे समाज में विद्यमान है। मानवता हर इंसान का परम धमऺ है। हमको समान रूप से खाने,पीने ,पढ़ने,अभिव्यक्ति,व स्वतंत्रता का अधिकार है।हम सब एक समान है इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों का ध्यान आपसी समानताओं की और आकर्षित करना है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा हमारे स्कूल में इस विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम रखा गया, जिसमें बताया गया हम सब समान हैं। कोई अमीर गरीब नहीं होता  कोई हिंदू मुस्लिम का भेद न हो,सबको शिक्षा,समानता व स्वतंत्रता का अधिकार हो,कोई लिंग भेद न हो, बेटा -बेटी सब एक समान हो, कोई रंग भेद ना हो ना,  और किसी को  भी किसी तरह से नीचा दिखाया जाए । हम सब मानव अच्छी सोच रखते हैं। जीवन को जीने का आदान-प्रदान ही हमारा मूल मंत्र है। हम सभी आपसी सौहार्द बनाए रखें और अच्छे जीवन की कामना कर अपने देश...