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ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना- आशा और आत्मनिर्भरता का मार्ग

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मेरा नाम सुनीता है मैं एक बहुत गरीब और विधवा महिला हूँ मेरे 1 बेटा है जो बहुत छोटा है पहले तो जैसे तैसे मैं अपना गुजारा कर लेती थी परन्तु बच्चे की शिक्षा, घर खर्च की वृद्धि को देखते हुए मेरा कार्य करना बहुत जरुरी था ! लेकिन मुझे कोई राह , दिशा , जानकारी प्राप्त न होने के कारण दिल में डर का भाव बना रहता था ! फिर पड़ोस की महिला के द्वारा मुझे स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला ! जिसमे सभी महिलायें मिलकर एक समूह गठित करती है और अपनी छोटी छोटी बचतों से एक दूसरे की मदद करती है यह बात जानकार मैंने एक समूह में अपना नाम लिखवा लिया और अपनी समूह के बचत के माध्यम से अपनी छोटी मोटी जरूरतों को इसी से पूरा करने लगी ! परन्तु मैं स्वयं का अपना कोई रोजगार डालना चाहती थी ! फिर हमारे समूह को 1 वर्ष पश्चायत बैंक से ऋण प्राप्त हुआ और फिर मैंने अपने कृषि  कार्य को प्रारंभ किया ! धीरे धीरे मैंने इस कार्य से प्राप्त राशि को बैंक किश्त रूप में अपने ऋण में चुकौती करवाई ! अपने इस कार्य को करने में पूर्ण स्वतंत्र हो गई ! स्वयं सहायता समूह महिलाओ को वो मंच प्रदान करता है जहां पर उसे अपने विचार अभिव्यक्त...

गरीब किसानों की मदद में एक कदम: खाद और बीज के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान वर्षो से समाज के विभिन्न विषयों पर कार्यरत है जो समाज को एक सकारात्मक दृष्टि प्रदान करने का कार्य कर रही है ! जो उनको लक्ष्य प्राप्ति तक पहुंचाने में मदद करती है भारत एक कृषि प्रधान देश है परन्तु यह मानसून पर पूर्णता निर्भर है दूसरे देशो की अपेक्षाकृत भारतीये किसान एक छोटे तबके का गरीब व्यक्ति है जो पनि खेती के लिए भी कर्जा लेकर कार्य करता है और सदा कर्जे के बोझ तले दबा रहता है इस परिस्थिति में हमारे बहुत से छोटे किसानो के पास उपलब्द्य साधन मौजूद नहीं है जो उसको अच्छे दर्जे की उपज दिलवाने में उसकी मदद कर सके ! कई बार धन के आभाव में भी यह खेती नहीं कर पाते है! मिट्टी हमारी सोना है यदि सही साधन और सही फसले हमे सही समय से प्राप्त हो तो किसानों की स्थिति इतनी दयनीय नहीं बनेगी !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही किसानो के संग संस्था प्रति वर्ष खाद बीज वितरण का कार्य करती है जो उसे ले पाने में असमर्थ्य है होते है  इसके द्वारा उनको पुनः प्रोत्साहित किया जाता है किन वो पुनः अपने कृषि कार्य में लगे और अपने खेत व् उपज पर ध्यान दे सके ! भार...

समृद्धि की दिशा: महिला स्वावलंबन से कृषि तक का सफर

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मेरा नाम मीरा रावत है और मैं करनौस में रहती हूं। मेरे घर पर दो बच्चे,पति,व सास -ससुर साथ रहते हैं। मैं 12वीं तक पढ़ी हूं। पति पैशे से किसान है और मेरे बच्चे भी पढ़ने जाते हैं। सब कुछ सही चल रहा था परन्तु हमें परेशानी तब हुई जब हमारे कुएं में पानी सूख गया और खेती नहीं होने लगी। धीरे-धीरे घर की स्थिति खराब होने लगी। फिर मेरे पति भी मजदूरी करने लगे। अब केवल वर्षा के समय हम खेती करते हैं और हम एक ही फसल प्राप्त कर पाते हैं। इसके बाद मैंने गांव में जो महिलाएं समूह चलती थी, उसमें अपना नाम लिखवा लिया। मैं हर माह अपनी छोटी-छोटी बचत उस समूह में जमा करवाने लगी। धीरे-धीरे हमारा समूह बढ़ता गया। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आई और उसने हमें समूह के विषय में गहनतम जानकारी दी। व हम महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी बताया जिसमें बचत के द्वारा बहुत सारे स्वरोजगार है जो महिलाएं अपने घर बैठकर कर सकती है, वो हमें बताएं। इसके बाद मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मुर्गी पालन व्यवसाय प्रशिक्षण में अपना नाम लिखवाया। व मुर्गी पालन में अपनी अभिरुचि दिखाते हुए इस कार्य पर गहनता से ध्यान ...