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विकलांग लकवा ग्रस्त व्यक्ति को राशन वितरण

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान विगत कई वर्षों से गरीब, निशक्त, दीन दुखी, बेसहारा, अनाथ, बघिर, विकलांग, विधवा, एकल महिला, निराश्रित, असहाय, मानसिक रोगी आदि को मदद के लिए सदा तत्पर रहा है। जो इन लोगों को हर प्रकार की मदद एवं अपनी सेवाएं उपलब्ध करवाता है। समाज का यह वर्ग वास्तविक रूप से मदद का हकदार होता है इनकी विवशता इनकी लाचारी होती है। जिन्हे यह समाज के आगे कभी रख नहीं पाते है। ऐसे वर्ग की मदद ही समाज में मानवता कहलाई जाती है। यह समाज का वो अपेक्षित वर्ग है जो सदा उपेक्षा की नजरो से ही देखा जाता है। इन्हे स्नेह और प्रेम की आवश्यकता होती है। संस्थान ऐसे वर्ग की शारारिक पूर्ति हेतु उनको राशन सामग्री का वितरण करती है। जो उनकी खाद्य समस्या की पूर्ति करती है और उनमें एक ऊर्जा भरा आत्मविश्वास जगाता है।  संस्थान द्वारा ऐसे गरीब लकवाग्रस्त व्यक्ति जिसका नाम मोहन है घर में एक पत्नी और दो बच्चे उसके साथ रहते है पति और पत्नी दोनों ही विकलाग होने के कारण आर्थिक परिस्थितियां उनकी बिगड़ गई है। जिसके कारण वे अपनी आर्थिक जरुरतें भी पूरी नहीं कर पा रहे थे और दो वक़्त के भोजन के लिए भी विवश हो गए। ऐसे...

पर्यावरण बचाव कार्यक्रम ( स्कूल में चिड़ियाघर लगवाना )

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पृथ्वी मनुष्यों का एकमात्र सांझा घर है एक ऐसी जगह जो हमे ताजी हवा, ठंडा पानी और बहुमूल्य प्राकर्तिक संसाधन प्रदान करती है। हालांकि आज पर्यावरण कई गंभीर समस्याओ का सामना कर रहा है। जैसे पर्यावरण प्रदूषण , जलवायु परिवर्तन , जैव विविधता को बहुत नुक्सान आदि सीधे मानव जीवन और स्वास्थ्य को खतरे में डालते है। समाज का सतत विकास हो इसलिये पर्यावरण संरक्षण एवं बचाव बहुत जरुरी है। इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान जीव बचाव की दिशा में चिड़ियाघर का वितरण कर रही है। जो पर्यावरण को बढ़ावा देती है और साथ ही उसके विकास के लिए कार्यरत है।  यह प्रेरणादायक कार्य समाज में एक नव चेतना का संचार करता है जो पर्यावरण प्रेमियों की संख्या में इजाफा करते है। पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों का एक समूह है जिसका उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण रोकना, नियंत्रित करना, कम करना और खत्म करना है साथ ही पर्यावरण गुणवत्ता में बहाल करना है।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान विगत कई वर्षो से बयां पक्षी के संरक्षण एवं बचाव हेतु चिड़ियाघरों का वितरण कर रही है। जो समाज को एक प्रेरणा देने का कार्य करता है साथ ही संरक्षण की द...

शैक्षणिक प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम ( पाठशाला बच्चों के साथ )

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शिक्षा जीवन का वो अध्याय है जो जिंदगी की किताब को सर्वश्रेष्ठ बनता है। शिक्षा ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारने का कार्य करती है यह व्यक्ति को जीवन में बहुआयामी बनाती है संस्था समाज में ऐसे ही ड्राप आउट , वंचित, गरीबी रेखा वाली लड़कियों के साथ पाठशाला कार्यक्रम करती है। जिसमे इन बालिकाओं को उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्जवल करने पर ध्यान केंद्रित करती है।  सामाजिक दृष्टि से देखा जाये तो यह महिला सशक्तिकरण समाज में महिला शक्ति को प्रतिबिम्बित करता है।  जो अपनी मज़बूरी या विवशता को दरकिनार करके इस पायदान तक पहुंचने में सफल हो सकी है। संस्थान द्वारा इसके लिए इन्हे पूर्ण रूप से सहयोग प्राप्त हुआ है।  राजस्थान समग्र कल्याण सस्थांन द्वारा संचालित पाठशाला कार्यक्रम में शैक्षणिक पाठ्यक्रम पूर्ण होने पर पाठशाला में पढ़ने वाली छात्राओं के शैक्षणिक  प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम रखा गया।  जिसमे सभी ने उत्साहपूर्ण रूप से भाग लिया।  बच्चों द्वारा सरस्वती वंदना करके, भाषण, अभिव्यक्ति, नृत्य, गायन, विचार विमर्श आदि गतिविधियां इस कार्यक्रम में की गई। बाद में संस्था...

मेक ए विश कार्यक्रम के तहत स्ट्रीट बच्चों को ट्रैक सूट व् मिठाई का वितरण

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मेक ए विश कार्यक्रम के तहत स्ट्रीट बच्चों को ट्रैक सूट व् मिठाई का वितरण किया गया। संस्थान द्वारा शहर के लगभग 26 स्थानों पर 525 बच्चों को ट्रैक सूट दिया गया।  संस्था हर सर्दी के मौसम में इन जरूरतों से वंचित बच्चों को बचाव हेतु पूर्ण ध्यान रखती है।  यह समाज के वो वंचित परिवारों के बच्चें होते है जो प्रकार से अपनी जरूरतों व् आवश्यकताओ की नहीं कर पाते है और न ही अपने तन का बचाव कर पाते है। समाज का यह वर्ग सदा कोई न कोई अभाव में जीवन यापन करता रहता है।  बीते कई दिनों में मौसम में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। ठंड को देखते हुये संस्था ने यह कार्यक्रम किया। शहर की इन गरीब बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवार के बच्चें सर्दी के इस मौसम में ठिठुरन को मजबूर है।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का यह मानना है यह कार्य मात्र गर्म वस्त्रों की वितरण ही नहीं करेगा बल्कि सर्दी से बचाव कर उनके शरीर व् प्राणों की रक्षा भी करेगा। जो उनके लिए यथा संभव नहीं हो पाता है।  कही न कहीं चाह कर भी यह प्रयास ये लोग नहीं कर पाते क्योंकि गरीबी का जाल इनको ज...

मानवता की मिसाल: सर्दी से बचाव हेतु बेघर और वंचितों के लिए कम्बल वितरण

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एक मानव का दूसरे मानव के लिए किया गया कार्य मानवता कहलाता है।  जिसमे किसी अन्य व्यक्ति की सेवा या मदद शामिल है।  हमारे समाज में ऐसे कई बेघर लोग, वंचित, बेसहारा, अनाथ , सड़को के किनारे पर अपना जीवन यापन करते है उनके पास न तो रहने योग्य स्थान , खाने के लिए उपयुक्त भोजन एवं ओढ़ने व् पहनने के लिए वस्त्रों का अभाव रहता है।  जो किसी भी प्रकार से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पाने में असक्षम ही रहते है ऐसे बेघर, अनाथ, बेसहारा, मानसिक विकलांगता , पागल आदि को सर्दी से बचाने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा कम्बल वितरण किया गया। शहर की सड़कों के किनारे, दुकानों के आस- पास, स्टेशन, बस स्टैंड, पर रह रहे लगभग 150 लोगों को सर्दी बचाव के लिए कम्बल बाँटे गए।  जो इस भयंकर सर्दी में उनको इससे बचाएँगे।  रात्रि में सर्दी का कहर कभी- कभी इनको मौत के मुँह में ले जाता है।  इस वर्ग को इस प्रकार की मदद की बहुत आवश्यकता होती है।  जो इनको जीवन बचाने में अपना सहयोग देती है।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा निर्धारित रुपरेखा के तहत गरीब लोगों की मदद की जाती है धर्म ...

"बाधाओं को तोड़ना: हर बच्चे में आत्मविश्वास और समानता का विकास"

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  लैंगिक समानता वो भावना है जहां पर सभी को बराबर समझा जाये और जहा पर किसी प्रकार का भेद उसमे समाहित न हो ! हमारे समाज में आज भी यह चलन बहुत विधमान है जहां पर बालिका शिक्षा व् समानता बहुत काम आंकी जाती है ! यही दृश्टिकोण हमे पीछे की और ले जाता है और समाज में एक विकृत कुरीति के रूप में जन्म लेता है जो हम सभी को हीं भावना से दूषित कर हमारे मन मस्तिष्क में नकारात्मकता भर देता है ! जिससे विकास की दर कम होती है और समाज व् देश पिछड़ जाता है ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान अजमेर द्वारा ग्रामीण एवं शहरी भागों के निचले इलाको में ,झुग्गी झोपड़ी , स्लम एरिया में गरीब बच्चों के साथ जीवन कौशल व् लैंगिक समानता कार्यक्रम करवाए जाते है ! जिसमें बच्चों को अनेक प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से उनकी सोच को सकारात्मक बनाया जाता है ! और कुशल व् सफल जीवन के आयामों से अवगत करवाया जाता है ! जीवन को सही प्रकार से जीने हेतु शारारिक स्वच्छता के साथ मानसिक रूप से सशक्त  होने की आवश्यकता है जो हमे सकारात्मकता प्रदान करे और सही निर्णय लेने में हमारा साथ दे यह लैंगिक समानता द्वारा जो विभक्तिकरण समाज ने किया ...

"सपनों की उड़ान: जीवन कौशल शिक्षा के माध्यम से सशक्तिकरण ''

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बच्चों के साथ कई तरह के कार्यक्रम किये जाते है जिसमे से यह कार्यक्रम उनके बचपन को एक नेक शिक्षा देकर उन्हें व्यवहारशील और शालीन बनाता है ! इन गरीब बच्चों को ना तो शिक्षा प्राप्त हो पाती है और ना ही जीवन जीवन को किस प्रकार से जिया जाये वो ढंग प्राप्त हो पाता है ! इसलिए ये जरुरी बन जाता है की समाज के सभी बच्चो के सामान इनको समझे और उनके जैसे इन्हे भी खुलकर अपना जीवन जीने दे ! इस कार्यक्रम में शिक्षा के साथ उनके साथ मिलकर बहुत सारी गतिविधिया करवाई जाती है ! जिसके शाब्दिक पाठ्यक्रम में शाब्दिक ज्ञान, अक्षर ज्ञान, पहाड़े, कविताएं, कहानियाँ, सामान्य ज्ञान, रंगो की पहचान आदि करवाए जाते है ! इसके साथ साथ विभिन्न माध्यम के खेलों के साथ उनका मानसिक सर्वागीण विकास भी किया जाता है ! जो उनमें जिज्ञासा उत्पन्न करते है और विषय वस्तु के ज्ञान को समझने के लिए आतुर रहते है !  संस्थान के मास्टर ट्रेनर उन्हें हर बात बहुत करीने से समझाते व् सिखाते है और साथ ही हर बात में उनका उत्साह वर्धन करते है ! जो आवश्यक रूप से उनको वो समस्त सामग्री का ज्ञान व् विषय वस्तु का बोध...

पर्यावरण संरक्षण - पेड़ लगाओ धरती बचाओ

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वृक्ष जीवन है पर्यावरण की आत्मा है वृक्ष , इसलिए हमें धरती पर सभी वनस्पतियों का रखरखाव करना चाहिए। बिना वृक्ष के इस धरती पर जीवन संभव ही नहीं। हम तभी पूर्ण है जब यह संख्या में ज्यादा हो , पूरी धरती के जीवों की प्राणवायु हमें इनसे ही प्राप्त होती है। संपूर्ण मानव जाति का जीवन बस इसी पर ही टिका है। मानवीय जरूरत के लिए इसके लगातार विदोहन ने हमें विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। समय रहते इसका संरक्षण जरूरी हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में 10 वृक्ष लगाकर उसका पालन- पोषण कर उन्हें पालना चाहिए। इससे धरती पर वृक्षों की संख्या बढ़ेगी और मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा। मेरा नाम देवराज गुर्जर है और मैं परीक्षा  ब्रिक्चियावास सरपंच हूं। हमारा ग्राम निर्मल ग्राम है। हमने सरकार और राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के साथ मिलकर सड़कों के किनारे छायादार पेड़ व कृषक भूमि में लगाने हेतु फलदार वृक्षों का वितरण कराया जिससे हमारे गांव को स्वच्छ व निर्मल प्राणवायु प्राप्त होती रहे , मृदा का अपरदन ना हो सके, धरती में नमी की मात्रा बड़े , कटाव की समस्या का निवारण हो , उपजाऊता बड़े, वह धरती में पानी ...

सुनीता नारायण - पर्यावरणविद्, लेखक, और समाजसेवी

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सुनीता नारायण एक भारतीय पर्यावरणविद् लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता है। इनका जन्म 1961 में हुआ था। यह हरित राजनीति और अक्षय विकास की महान समर्थक है। सुनीता नारायण भारत स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी रही है। इस समय वह केंद्र की निर्देशक हैं। वह पर्यावरण संचार समाज की निर्देशक भी है वे डाउन टू अर्थ नामक एक अंग्रेजी पब्लिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को इंग्लैंड की पत्रिका में दुनिया भर में मौजूद सवऺश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवीयों की श्रेणी में शामिल किया है। पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता सुनीता नारायण समाज की हरित क्रांति विकास की समर्थक है। वे मानती है कि वातावरण में फैलती अशुद्धता प्रकृति और वातावरण की दुद्धऺशा से ज्यादा नुकसान महिलाओं, बच्चों और गरीबों को होता है। उनका यह भी मानना है कि वातावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी महिलाएं ज्यादा सफलतापूर्वक उठा सकती है। उनकी इस कंथनी का उदाहरण वे खुद है। दशकों से पर्यावरण और समाज की ...

दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना: राजस्थान की व्यापक कल्याण पहल

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किसी व्यक्ति के शारीरिक,मानसिक, ऐन्द्रिक,बौद्धिक विकास में किसी प्रकार की कमी को इंगित करता है। विकलांगता शरीर या दिमाग की कोई भी स्थिति (हानि) है जो इस स्थिति वाले व्यक्ति के लिए कुछ गतिविधियां व उनके आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करना ( भागीदारी प्रबंध ) को और कठिन बना देती है। विकलांगता में मुख्य प्रकार से अंधता,कम दृष्टि,कुष्ठ रोग, मुक्त श्रवण शक्ति का ह्रास, चलन दिव्यांगता, मानसिक मंदता व मानसिक रुग्णता प्रमुख है। या यूं कहा जाए कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को शारीरिक या मानसिक रूप से पूरा न कर पाए वह विकलांगता है। भारत में कुल जनसंख्या अनुपात में 2.21% व्यक्ति दिव्यांग है। विकलांगता एक शारीरिक,मानसिक,संज्ञानात्मक,या विकासात्मक स्थिति जो कि किसी व्यक्ति की कुछ कार्यों में संलग्न होने या सामान्य दैनिक गतिविधियों और इंटरैक्शन में भाग लेने की क्षमता को खराब करती है हस्तक्षेप करती है या सीमित करती है।  विकलांगता कहलाई जाती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा दिव्यांगों हेतु अनेक कार्यक्रम किए जाते हैं जिनमें उनका ग्रामीण गांव में जाकर सर्वे कर उन्हें चिन्हित किया जाता है। फिर उ...

बाल विवाह का अंत: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की पहल

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  बाल विवाह कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे का शादी यानी नाबालिग उम्र में विवाह कर देना होता है। इनमें लड़के की उम्र 21 व लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम उम्र किसी की नहीं होनी चाहिए। पिछले एक दशक से इस हानिकारक प्रथा में लगातार गिरावट के बावजूद बाल विवाह अभी भी हमारे समाज में व्यापक बना हुआ है। दुनिया भर में लगभग 5 में से एक बच्चे की शादी बचपन में कर दी जाती है। सांस्कृतिक और सामाजिक शिक्षा में कमी और लैंगिक असमानता के कारण बाल विवाह होते हैं। बाल विवाह लड़की के भविष्य को सुरक्षित करने और उसे गरीबी यौन संकीर्णता से बचाने के तरीके के रूप में देखा जाता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता है। जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता भी कम हो जाती है जिससे उनमें कई घातक बीमारियां हो जाती है। वह उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार भी होना पड़ता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा प्रचार प्रसार के माध्यम से ग्रामीणों को प्रेरित किया जात...