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पर्यावरण संरक्षण - पेड़ लगाओ धरती बचाओ

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वृक्ष जीवन है पर्यावरण की आत्मा है वृक्ष , इसलिए हमें धरती पर सभी वनस्पतियों का रखरखाव करना चाहिए। बिना वृक्ष के इस धरती पर जीवन संभव ही नहीं। हम तभी पूर्ण है जब यह संख्या में ज्यादा हो , पूरी धरती के जीवों की प्राणवायु हमें इनसे ही प्राप्त होती है। संपूर्ण मानव जाति का जीवन बस इसी पर ही टिका है। मानवीय जरूरत के लिए इसके लगातार विदोहन ने हमें विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। समय रहते इसका संरक्षण जरूरी हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में 10 वृक्ष लगाकर उसका पालन- पोषण कर उन्हें पालना चाहिए। इससे धरती पर वृक्षों की संख्या बढ़ेगी और मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा। मेरा नाम देवराज गुर्जर है और मैं परीक्षा  ब्रिक्चियावास सरपंच हूं। हमारा ग्राम निर्मल ग्राम है। हमने सरकार और राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के साथ मिलकर सड़कों के किनारे छायादार पेड़ व कृषक भूमि में लगाने हेतु फलदार वृक्षों का वितरण कराया जिससे हमारे गांव को स्वच्छ व निर्मल प्राणवायु प्राप्त होती रहे , मृदा का अपरदन ना हो सके, धरती में नमी की मात्रा बड़े , कटाव की समस्या का निवारण हो , उपजाऊता बड़े, वह धरती में पानी संधा

सुनीता नारायण - पर्यावरणविद्, लेखक, और समाजसेवी

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सुनीता नारायण एक भारतीय पर्यावरणविद् लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता है। इनका जन्म 1961 में हुआ था। यह हरित राजनीति और अक्षय विकास की महान समर्थक है। सुनीता नारायण भारत स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी रही है। इस समय वह केंद्र की निर्देशक हैं। वह पर्यावरण संचार समाज की निर्देशक भी है वे डाउन टू अर्थ नामक एक अंग्रेजी पब्लिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को इंग्लैंड की पत्रिका में दुनिया भर में मौजूद सवऺश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवीयों की श्रेणी में शामिल किया है। पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता सुनीता नारायण समाज की हरित क्रांति विकास की समर्थक है। वे मानती है कि वातावरण में फैलती अशुद्धता प्रकृति और वातावरण की दुद्धऺशा से ज्यादा नुकसान महिलाओं, बच्चों और गरीबों को होता है। उनका यह भी मानना है कि वातावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी महिलाएं ज्यादा सफलतापूर्वक उठा सकती है। उनकी इस कंथनी का उदाहरण वे खुद है। दशकों से पर्यावरण और समाज की

दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना: राजस्थान की व्यापक कल्याण पहल

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किसी व्यक्ति के शारीरिक,मानसिक, ऐन्द्रिक,बौद्धिक विकास में किसी प्रकार की कमी को इंगित करता है। विकलांगता शरीर या दिमाग की कोई भी स्थिति (हानि) है जो इस स्थिति वाले व्यक्ति के लिए कुछ गतिविधियां व उनके आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करना ( भागीदारी प्रबंध ) को और कठिन बना देती है। विकलांगता में मुख्य प्रकार से अंधता,कम दृष्टि,कुष्ठ रोग, मुक्त श्रवण शक्ति का ह्रास, चलन दिव्यांगता, मानसिक मंदता व मानसिक रुग्णता प्रमुख है। या यूं कहा जाए कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को शारीरिक या मानसिक रूप से पूरा न कर पाए वह विकलांगता है। भारत में कुल जनसंख्या अनुपात में 2.21% व्यक्ति दिव्यांग है। विकलांगता एक शारीरिक,मानसिक,संज्ञानात्मक,या विकासात्मक स्थिति जो कि किसी व्यक्ति की कुछ कार्यों में संलग्न होने या सामान्य दैनिक गतिविधियों और इंटरैक्शन में भाग लेने की क्षमता को खराब करती है हस्तक्षेप करती है या सीमित करती है।  विकलांगता कहलाई जाती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा दिव्यांगों हेतु अनेक कार्यक्रम किए जाते हैं जिनमें उनका ग्रामीण गांव में जाकर सर्वे कर उन्हें चिन्हित किया जाता है। फिर उनके

बाल विवाह का अंत: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की पहल

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  बाल विवाह कानून के मुताबिक किसी भी बच्चे का शादी यानी नाबालिग उम्र में विवाह कर देना होता है। इनमें लड़के की उम्र 21 व लड़की की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए। इससे कम उम्र किसी की नहीं होनी चाहिए। पिछले एक दशक से इस हानिकारक प्रथा में लगातार गिरावट के बावजूद बाल विवाह अभी भी हमारे समाज में व्यापक बना हुआ है। दुनिया भर में लगभग 5 में से एक बच्चे की शादी बचपन में कर दी जाती है। सांस्कृतिक और सामाजिक शिक्षा में कमी और लैंगिक असमानता के कारण बाल विवाह होते हैं। बाल विवाह लड़की के भविष्य को सुरक्षित करने और उसे गरीबी यौन संकीर्णता से बचाने के तरीके के रूप में देखा जाता है। बाल विवाह का सीधा असर न केवल लड़कियों पर बल्कि उनके परिवार और समुदाय पर भी होता है। जिस लड़की की शादी कम उम्र में हो जाती है, उसके स्कूल से निकल जाने की संभावना बढ़ जाती है तथा उसके कमाने और समुदाय में योगदान देने की क्षमता भी कम हो जाती है जिससे उनमें कई घातक बीमारियां हो जाती है। वह उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार भी होना पड़ता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा प्रचार प्रसार के माध्यम से ग्रामीणों को प्रेरित किया जाता है