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"स्वावलंबन से समाज परिवर्तन तक: SHG महिलाओं के लिए कौशल निर्माण और नेतृत्व विकास"

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  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा shg की महिलाओ के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में क्षमता निर्माण कार्यक्रम किये गये जिसका उद्देश्य इन महिलाओं को प्रभावी रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है  जिसमे यह अपना आर्थिक सशक्तिकरण मजबूत बना सके। और अपने महिला अधिकारों का उपयोग कर सकें। और अपने महिला अधिकारों का उपयोग कर सके व् हमारे इस समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।  इस कार्यक्रम के माध्यम से महिलायें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपने जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक आवश्यक कदम है।  इस कार्यक्रम से महिलाये विभिन्न कौशलों को हासिल करती है जो उन्हें अपने परिवार की भलाई के लिए बल्कि समाज में एक सक्रीय सदस्य बनने में भी मदद करती है।  इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य और महत्त्व महिलाओं को आत्म निर्भरता की दिशा में आगे कदम बढ़ाना सभी महिला शक्ति को सामाजिक और क़ानूनी जानकारी देकर जागरूक बनाना , लीडरशीप और सामूहिक निर्णय निर्माण की विचारधारा को प्रबल करना क्षमता निर्माण कार्यक्रम में महिलाओं को नेतृत्व के गुण , टीमवर्क और संघर्ष समाधान के कौशल सिखाये जाते है।  इसमें इन महिल...

पर्यावरण संरक्षण - पेड़ लगाओ धरती बचाओ

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वृक्ष जीवन है पर्यावरण की आत्मा है वृक्ष , इसलिए हमें धरती पर सभी वनस्पतियों का रखरखाव करना चाहिए। बिना वृक्ष के इस धरती पर जीवन संभव ही नहीं। हम तभी पूर्ण है जब यह संख्या में ज्यादा हो , पूरी धरती के जीवों की प्राणवायु हमें इनसे ही प्राप्त होती है। संपूर्ण मानव जाति का जीवन बस इसी पर ही टिका है। मानवीय जरूरत के लिए इसके लगातार विदोहन ने हमें विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। समय रहते इसका संरक्षण जरूरी हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में 10 वृक्ष लगाकर उसका पालन- पोषण कर उन्हें पालना चाहिए। इससे धरती पर वृक्षों की संख्या बढ़ेगी और मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा। मेरा नाम देवराज गुर्जर है और मैं परीक्षा  ब्रिक्चियावास सरपंच हूं। हमारा ग्राम निर्मल ग्राम है। हमने सरकार और राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के साथ मिलकर सड़कों के किनारे छायादार पेड़ व कृषक भूमि में लगाने हेतु फलदार वृक्षों का वितरण कराया जिससे हमारे गांव को स्वच्छ व निर्मल प्राणवायु प्राप्त होती रहे , मृदा का अपरदन ना हो सके, धरती में नमी की मात्रा बड़े , कटाव की समस्या का निवारण हो , उपजाऊता बड़े, वह धरती में पानी ...