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आगामी पीढ़ियों के लिए हरित भविष्य वृक्षारोपण से पर्यावरण को पुनर्जीवित करना

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राजस्थान सम्रग कल्याण संस्थान पर्यावरण को लेकर काफी सजग व् जागरूक है उसका मानना है इस धरती को वृक्ष विहीन करने पर सम्पूर्ण धरती का नाश हो जायेगा ! जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल होगा व् धरती पर ऑक्सीजन लगभग न के बराबर हो जाएगी ! ऐसी परिस्थितियां मानव स्वयं अपने लिए निर्माण कर रहा है ! जो खुद उसकी प्रजाति के लिए बेहद घातक सिध्द होगा ! यह विषय समाज, देश, दुनिया के लिए अत्यंत शोचनीय बनता जा रहा है ! इसके कारण बड़े पैमाने पर जलवायु परिवर्तन हमे देखने को मिल रहा है ! जिसमें तापक्रम का प्रति वर्ष बढ़ना, अतिवृष्टि होना, मिट्टी का कटाव होना, भूस्खलन होना, समुन्द्र के जल स्तर में बढ़ोतरी , भूकंप, विस्फोट ,ज्वालामुखी आदि समस्याऐं उत्पन्न हो रही है ! वृक्षों का निरंतर काटा जाना इसकी मुख्य वजह है ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान हर वर्ष वर्षा ऋतु के आस पास ग्रामीण काश्तकारों के साथ मिलकर वृहद पैमाने पर्यावरण  संरक्षण के तहत वृक्षारोपण कार्यक्रम में काश्तकारों को फलदार पौधे , पेड़, व् खाद का वितरण किया जाता है ! संस्था ने इस वर्ष लगभग 61 परिवारों के साथ यह कार्य किया गया इसमें 450 पौधे का वितरण लगभग 65

वृक्षारोपण: ग्रामीण जीवन और पर्यावरण के लिए एक प्रेरणा

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मेरा नाम रामलाल है ! मैं पिचौलिया ग्राम की एक ढाणी में रहता हूँ ! गरीबी के कारण मैं अपने खेत के चारों तरफ बाड़बंदी करवाने मैं असमर्थ हूँ ! जैसे तैसे मिटटी कार्य से अपनी खेत का बचाव करता हूँ ! और खेत से प्राप्त उपज से अपना जीवन गुजर बसर करता हूँ ! फिर एक दिन हमारे गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान से कुछ प्रतिनिधि आये ! उन्होंने पर्यावरण संरक्षण हेतु हमारे गांव में सर्वे किया जिसमे मेरा नाम भी उन्होंने अंकित किया ! उन्होंने मेरे खेत का मौका मुआयना किया ! फिर मुझे वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित भी किया ! उनकी यह बात मेरे हृदय को छू गई ! इस बात के 2 सप्ताह बाद वह पुनः हमारे गांव में आये ! और पौधो ,पेड़ ,खाद का वितरण किया ! जिसको पाकर समस्त काश्तकार प्रसन्न व् खुश थे !  इस कार्यक्रम के बाद मैंने अपने खेत के चारों तरफ 5-5 फ़ीट की दूरी पर बाड़ेबंदी के किनारे यह पेड़ पौधे लगाए व् जानवरों से बचाव हेतु इसके आस-पास कांटे व् लकड़ियों का घेरा बनाकर इनको सुरक्षा प्रदान की ! जिससे इनकी वृद्धि में किसी प्रकार से कोई बाधा न उत्पन हो पाये ! फिर दिन प्रतिदिन मैं उनको खाद पानी देने लगा शन्ने शन्ने इस पौधों का

धरती की हरी छांव: हर व्यक्ति की वृक्षारोपण जिम्मेदारी

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धरती पर वृक्ष महिला के शृंगार की तरह है जो उसे सुशोभित करता है ! उसकी आभा  व् सुंदरता में 4 चाँद लगा देता है ! यह हमे जीवन देने का कार्य करते है ! मानवीय जीवन में बहुत सारी आवस्यकताये इन्ही के द्वारा पूरी की जाती है ! यह रहने , खाने, पीने  व् रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते है ! हमारी धरती पर कुल 3 ट्रिलियन पेड  है व् इसकी करीब 3,80,000 पौधों की प्रजातियां इस धरती पर मौजूद है ! दुनिया के हर व्यक्ति पर करीब 400 पेड़ है इनमें से 2,60,000 प्रजातियां बीज़ पैदा करती है दुनिया के आधे से ज्यादा वन रूस,ब्राजील,कनाडा,अमेरिका और चीन जैसे 5 देशों में है ! भारत में कुल वन और पेड़ो का क्षेत्रफल देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24. 62 / है ! लगभग 31 / प्रतिशत वन हमारी दुनिया में फैले हुए है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष गरीब किसानो को फलदार पौधों का वितरण किया जाता है ! जो पर्यावरण प्रोत्साहन में समाज, गांव, देश की मदद करता है ! संस्था द्वारा सर्वप्रथम ग्राम में भ्रमण किया जाता है ! व् उसके पश्चयात चिन्हित किसान के साथ यह वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जाता है ! जहा इनके फल फूलने की अधिकता

संस्थान का योगदान: पर्यावरण संरक्षण के लिए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की प्रेरणादायक पहल

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मेरा नाम गीतांजली शर्मा है मैं अजमेर में ही निवास करती हूँ और पर्यावरण से बहुत अधिक प्रेम करती हूँ एक दिन मिडिया पर मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का सेव द बर्ड्स प्रोजेक्ट देखा ! जिसमे कैसे एक विलुप्त हो रही एक नन्ही सी चिड़िया को बचाने का एक वृह्द कार्य इसके द्वारा किया जा रहा है ! ताकि हम अपने आस पास रहने वाली बयां पक्षी को बचा सके ! हमारे मानवीय दुष्टपरिणामों की वजह से और जटिल वातावरण बदलाव के कारण यह जाति अब संकटग्रस्त हो रही है ! अंत इस जीव के पुनः बचाने के लिए मानवीय सहयोग का होना अति आवश्यक है ! तभी हम दुनिया में विलुप्त हो रहे जीव को बचा पाएंगे ! फिर मैंने संस्था के ऑफिस से संपर्क किया और इस विषय पर संस्था प्रतिनिधियों से जानकारियां प्राप्त की ! उनके द्वारा मुझे इस पक्षी के जीवन चक्र के बारे में सविस्तार समझाया गया ! सभी जानकारिया प्राप्त कर मैंने उनसे 1 चिड़ियाघर व् फीडर प्राप्त किया ! जिसको मैंने अपने घर पर बगीचे में ऊपर छायादार स्थान पर लगाया ताकि यह पक्षी आकर अपने घोंसले का निर्माण करे व् इस जीवन चक्र की शृंखला को आगे बढ़ाये ! इसके कुछ समय पश्च्यात उस चिड़ियाघर में बयां

उम्मीदों के घर ( चिड़ियाघर )

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सच कहा है किसी ने घर बिना संसार अधूरा है न पहचान मिलती है न आसरा उसे.....राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इसी संदर्भ में हमारे भारत में पाए जाने वाले एक नन्हे जीव के लिए उम्मीद की किरण बनकर जहा में उभरा है ! जो उनको रहने के लिए आसरा व् दानापानी के लिए फीडर उपलब्ध करता है ! बयां एक छोटा सा पंछी है जो घरो ,पेड़ो, इमारतों पर अपना घास फूस का एक छोटा सा घोंसला बनाकर रहती है ! प्रदूषण,वायुमंडल,वातावरण परिवर्तन,केमिकल उपयोग,मानवीय दखल व् ओद्योगिकरण के चलते इसकी संख्या में बहुत तेजी से गिरावट देखने को भारत में मिली जो अब मानवीय अथक प्रयासों के कारण इनकी संख्या में कुछ इजाफा हुआ है !  संस्था ऐसे कई पर्यावरणीय प्रेमियो को इस बयां के रहने हेतु चिड़ियाघर व् फीडर उपलब्ध करवाती है ! जो इनके बचाव या पर्यावरण में स्थिरता लाना चाहते है ! यह पक्षी सामाजिक प्राणी है ! जो समूहों में रहता है ! यह अपने जोड़ों के साथ रहता है ! और प्रजनन करता है ! यह हमारे  घरो के आस पास खेतों में और ऐसी जगह आसानी से उपलब्ध हो जाते है ! जहा इनको भोजन प्राप्ति की सुविधा मिल सके यह पक्षी पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए बहुत सहा

वृक्षारोपण से जुड़ी हमारी दायित्वपूर्ण संवेदनशीलता हमारी जिम्मेदारी

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  पर्यावरण मानवीय आवश्यकताओं की बहुमूल्य धरोहर है और हर मनुष्य को इसकी सुरक्षा व् संधारण करना अतिआवश्यक है वृक्ष हमारे जीवन को प्राण वायु देते है जिस से हमारा जीवन संचालित होता है व् जीवन की आवस्यकताओ की बहुत सी वस्तुओ की प्राप्ति का स्रोत्र भी यही वृक्ष होते है। आज मानव अपने स्वार्थ के लिए धरती से लगातार इसका विदोहन करता जा रहा है। जिस के कारण हर वर्ष तापमान बढ़ रहा है। और उसके फ़लस्वरूव जलवायु परिवर्तन हो रहा है। अगर सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन धरती हमारी वृक्ष विहीन हो जाएगी।   पर्यावरण के इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इस धरा पर हर वर्ष पौध वितरण कार्यक्रम किया जाता है। जिस में ग्रामीण जनता को वृक्षों से होने वाले लाभ की अनेको जानकारियां दी जाती है। जिस से हमे जीवनदायनी प्राणवायु , लकड़ी, फल, गोंद, पत्ते, फूल, व् कई प्रकार की औषधीया भी पाई जाती है। यह प्रकर्ति में कार्बनडाइऑक्सइड को खत्म कर ऑक्सीजन का प्रवाह करते है। जो की हमारे जीने के लिए बहुत जरुरी है। प्रकर्ति में वृक्षों का बचाव बेहद जरुरी है। इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्व्रारा ग्रामीण जरूरतम

पर्यावरणीय संरक्षण: गौरैया पक्षी के संरक्षण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का योगदान

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु कई विविध कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं जिससे पर्यावरण और परिस्थितिक से संबंधित सभी मुद्दे शामिल है। इसी विषय पर संस्था द्वारा गौरैया जाति की चिड़िया की संरक्षण हेतु विभिन्न जगहों पर चिड़ियाघर व फिडर लगती है जिसका उद्देश्य लुप्त हो रही इस प्रजाति को बचाना है जिससे पारिस्थितिक तंत्र बना रहे और हमारा आंगन भी चेहकता रहे | पहले हमारे घर, आंगन, ऑफिस, बाग, बगीचे, पेड़ों पर यहां वहां बहुतायत संख्या में पाई जाती थी, परंतु पर्यावरण विनाश, प्रदूषण, इंसानी अतिक्रमण, व रासायनिक सामग्री के बढ़ते प्रयोग से इनकी संख्या लगातार गिरती ही जा रही है। समय रहते हम एक जरा से कार्य से उनका संरक्षण कर उनकी संख्या में वृद्धि करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस वर्ष लगभग 180 चिड़ियाघर व उनके खाने की फिडर लगाए गए हैं, जिसमें शहर के सी आर पी एफ स्कूल मुख्य है। कुछ ज्यादा पेड़ पौधे वाली जगह में अगर निवास स्थान और भोजन सहायता उपलब्ध हो जाए तो इनको भोजन की तलाश हेतु दूर नहीं जाना होता और उनके जीवन चक्र पर

पर्यावरण संरक्षकों का पोषण करना : राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के शैक्षिक प्रयास

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिले के हर सरकारी स्कूलों में बच्चों के साथ पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाए जा रहे हैं, जिसमें इस बढ़ती पीढ़ी को पर्यावरण के बारे में एक सामाजिक जागरूक संदेश प्रतिपादित किया जा रहा है कि हमारी प्रकृति में पर्यावरण की कितनी आवश्यकता है। इस कार्यक्रम को और भी अधिक सरल बनाने के लिए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बच्चों के साथ फोटोग्राफी, निबंध, लेखन, वाद विवाद, पोस्टर, सेल्फी, रैली, चित्रकला प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी व कई माध्यम से और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। संस्था द्वारा कराई गई इन गतिविधियों का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है जिससे सभी छात्र-छात्राओं द्वारा उत्साह पूर्वक इसमें भाग लिया जाता है। हमारा पर्यावरण कई माननीय कारणों से प्रदूषित हो रहा है जिसमें वृक्षों को काटना, औद्योगिक कचरों का नदियों में बहाना,प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग,पानी का दुरुपयोग, धुएं से वायु प्रदूषण होना, कीट नाशक से मिट्टी की उपजाऊपन  का नष्ट होना, भू क्षरण व कई खतरनाक गैसों के रिसाव से हमारा पर्यावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरण जागरूकता का अर्थ है।

ग्रामीण विकास का प्रशांत पथ: वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण

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मेरा नाम देवा गुर्जर है। मैं दौराई में सरपंच के पद पर कार्यरत हूँ यहां पर खेतों की संख्या बहुत अधिक है परंतु वृक्ष बहुत ही कम है सामुदायिक भवन, शमशान भूमि, ग्राम पंचायत व स्कूलों में वृक्षों का अभाव है। यहां वृक्षों की संख्या बिल्कुल नगण्य हैं। ग्राम पंचायत के अनुमोदन पर यहां सभी जगह वृक्ष लगाने का कार्य स्वीकृत किया गया जिसमें अजमेर की राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे इस कार्य में भरपूर सहयोग दिया गया। वह इसे हरा-भरा बनाने हेतु संस्था द्वारा वृक्षों का वितरण भी किया गया। संस्था द्वारा पहले सभी जगह गड्ढे खुदवाए गए क्योंकि जो भी धरती की गर्मी है वह बाहर निकल जाए जिससेे यह पौधे जल न जाए, फिर उसमें गोबर खाद डालकर कुछ दिनों तक यूं ही रख दिया जाता है ताकि सभी तत्व आपस में मिल जाये । उसके बाद ग्रामवासी,नरेगा श्रमिक ,संस्था प्रतिनिधि में जनसेवकों द्वारा हमारे गांव में सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीणों में वृक्षों की देखभाल और पर्यावरण के प्रति लगाव को करवाने हेतु किया गया। इस कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र से आए कृषि वैज्ञानिकों

पेड़ों को गले लगाना: पर्यावरण सदभाव और सामुदायिक कल्याण का मार्ग

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हमारी धरती पर जो पर्यावरण ,प्रकृति ,पेड़ पौधे ,जीव जंतु हैं, वह ब्रह्मांड में कोई और ग्रह पर नहीं है। इसलिए इसकी विशेषता और अधिक बढ़ जाती है। वृक्ष हमारे लिए कई प्रकार से उपयोगी है। इनसे हमें वायु, लकड़ी, फल, औषधि आदि प्राप्त होते हैं। इससे गर्मी का बचाव होता है और भू क्षरण वधूल आदि की समस्या भी बचाव होता है। यह बढ़ते तापक्रम को रोकने में सहायक है और इसकी अधिकता से वर्षा भी अधिक होती है। यह प्रदूषण को नष्ट करने में हमारी सहायता प्रदान करते हैं और प्राण वायु को शुद्ध करने का कार्य भी करते हैं। वक्षों में नाना प्रकार के जीव जंतु पशु पक्षियों का आवास होता है। यह मिट्टी के कटाव की समस्या को भी खत्म करते हैं। इनसे हमारा पारिस्थितिक संतुलन भी बना रहता है और यह मरुस्थलीकरण को भी रोकता है। यह प्रकाश संश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। पेड़ प्रकृति का बहुत बड़ा वरदान है। मेरा नाम अनिल शर्मा है। मैं एक कृषि विज्ञानी हूं और पींसागन के ग्रामीण इलाकों में अपनी सेवाएं देता हूं हमारे यहां ग्रामीण काश्तकारों को फलदार वृक्षों का वितरण कार्यक्रम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द

किचन गार्डन: स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक संकल्प

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की तरफ से बागवानी कार्यक्रम के तहत किचन गार्डन कार्य भी किया जाता है  किचन गार्डन में अपने घर के पिछवाड़े में रसोई के अपशिष्ट जल का उपयोग करके फल और सब्जियां उगाना शामिल है। इसे किचन गार्डन माना जाता है। यह सब्जी उगाने का एक छोटे पैमाने का रूप है। किचन गार्डनिंग से हमें ताजी सब्जियां और हब्सऺ घर पर ही मिल जाती है। इन्हें बाजार से लाने की जरूरत नहीं पड़ती। यह बिना कीटनाशक वाली होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होती है। किचन गार्डनिंग करने से हम प्रकृति में पर्यावरण का पोषण भी करते हैं क्योंकि इससे हरियाली बढ़ती है, पर्यावरण स्वच्छ रहता है। यह कार्य कम खर्च वह बिना रखरखाव के भी पूरा हो जाता है। इसे लगाने हेतु ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती। इससे हमें ऑर्गेनिक फूड मिलता है। हम अपने किचन गार्डन में टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी पालक, मैथी, गोभी, बैंगन, पुदीना, धनिया आदि लगा सकते हैं। इसमें बस गमले में मिट्टी डालकर उसमें गोबर खाद और कुछ सूखी पत्तियां डाल दें व खुरपी चलाकर इनमें सब्जी के बीच रोप दें। इसमें इनमें ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है

बालकों के साथ पर्यावरण बचाओ: शिक्षा और सकारात्मक प्रेरणा

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मेरा नाम रजनीश सांखला है। मैं दिलवाड़ा सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल हूं। हमारे स्कूल में इस वर्ष अनेकों मुद्दों पर स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ विभिन्न कार्यक्रम किए गए। इसी संदर्भ में अजमेर की प्रतिष्ठित राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द्वारा एक दिवसीय पर्यावरण बचाओ कार्यक्रम में स्कूली बच्चों को फूल के बीजों का वितरण किया गया। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को यह बताना है की प्रकृति और पर्यावरण मानवता के लिए कितनी आवश्यक है। जीवन के संचार में इनका अभूतपूर्व योगदान है और इसके द्वारा पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाना भी है जिससे यह हमारी नई पीढ़ी इनका अच्छे से रखरखाव कर सके वह इसका मूल्य समझ सके। इस कार्यक्रम में बच्चों को पोस्टर,सेल्फी,व्याख्यान,चर्चा,प्रश्नोत्तरी,चार्ट,व अन्य प्रतियोगिताओं के माध्यम से बच्चों के साथ इस जानकारी साझा किया। वह सभी को विभिन्न कार्य स्कूल में करवाए गए जैसे पेड़ों के चारों तरफ साफ करके गड्ढा करना, पौधों को पानी पिलाना,साफ सफाई करना,खरपतवार हटाकर उनमें फूलों के बीज डालना,स्कूल के अपशिष्ट पानी का रास्ता साफ कर पेड़, पौधों की तरफ करना,आदि कार्य से पर्यावरण के प्रत

पर्यावरण संरक्षण - पेड़ लगाओ धरती बचाओ

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वृक्ष जीवन है पर्यावरण की आत्मा है वृक्ष , इसलिए हमें धरती पर सभी वनस्पतियों का रखरखाव करना चाहिए। बिना वृक्ष के इस धरती पर जीवन संभव ही नहीं। हम तभी पूर्ण है जब यह संख्या में ज्यादा हो , पूरी धरती के जीवों की प्राणवायु हमें इनसे ही प्राप्त होती है। संपूर्ण मानव जाति का जीवन बस इसी पर ही टिका है। मानवीय जरूरत के लिए इसके लगातार विदोहन ने हमें विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है। समय रहते इसका संरक्षण जरूरी हो गया है। प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में 10 वृक्ष लगाकर उसका पालन- पोषण कर उन्हें पालना चाहिए। इससे धरती पर वृक्षों की संख्या बढ़ेगी और मानव जीवन भी सुरक्षित रहेगा। मेरा नाम देवराज गुर्जर है और मैं परीक्षा  ब्रिक्चियावास सरपंच हूं। हमारा ग्राम निर्मल ग्राम है। हमने सरकार और राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के साथ मिलकर सड़कों के किनारे छायादार पेड़ व कृषक भूमि में लगाने हेतु फलदार वृक्षों का वितरण कराया जिससे हमारे गांव को स्वच्छ व निर्मल प्राणवायु प्राप्त होती रहे , मृदा का अपरदन ना हो सके, धरती में नमी की मात्रा बड़े , कटाव की समस्या का निवारण हो , उपजाऊता बड़े, वह धरती में पानी संधा

जीवन की रक्षा में एक कदम आगे: गांव के बच्चों के साथ अजय की पहल

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  मेरा नाम अजय चतुर्वेदी है। मैं राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जेठाना में प्रिंसिपल के पद पर कार्यरत हूं। हमारी धरती जीव -जंतु ,पशु -पक्षी सभी से भरी पड़ी है। इस बदलते पर्यावरण परिवेश में आजकल पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है जिससे हमारी वनस्पतियां व पशु-पक्षी का जीवन बहुत ही संकटमय में स्थिति में आ गया है। इसका मुख्य कारण हम मनुष्य ही हैं जो अपने निजी स्वार्थ हेतु इस पर्यावरण का विनाश कर रहे हैं। परंतु समाज के कुछ बुद्धिजीवों द्वारा उसको रोकने का आवश्यक प्रयास किया जा रहा है। इसी संदर्भ में हमारे गांव के स्कूल में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा कई चिड़ियाघर लगाये गये। इसके बचाव हेतु उनके द्वारा बच्चों के साथ एक कार्यक्रम भी किया गया, जिसमें बच्चों को प्रायः हमारे घर पर मिलने वाली बंया पक्षी के बारे में बताया जो पहले अक्सर घरों के आसपास,खेतों में,ऑफिस में,व हर जगह जहां पेड़ बहुतायत होते हैं। वहां बहुत सी संख्या में मिल जाती थी। परंतु अब प्रकृति के विनाश और पर्यावरण विदोहन के कारण इनकी संख्या लगभग नगण्य सी हो गई है। संस्था द्वारा सभी बच्चों को बताया गया किस तरह इन छो

सुनीता नारायण - पर्यावरणविद्, लेखक, और समाजसेवी

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सुनीता नारायण एक भारतीय पर्यावरणविद् लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता है। इनका जन्म 1961 में हुआ था। यह हरित राजनीति और अक्षय विकास की महान समर्थक है। सुनीता नारायण भारत स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी रही है। इस समय वह केंद्र की निर्देशक हैं। वह पर्यावरण संचार समाज की निर्देशक भी है वे डाउन टू अर्थ नामक एक अंग्रेजी पब्लिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को इंग्लैंड की पत्रिका में दुनिया भर में मौजूद सवऺश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवीयों की श्रेणी में शामिल किया है। पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता सुनीता नारायण समाज की हरित क्रांति विकास की समर्थक है। वे मानती है कि वातावरण में फैलती अशुद्धता प्रकृति और वातावरण की दुद्धऺशा से ज्यादा नुकसान महिलाओं, बच्चों और गरीबों को होता है। उनका यह भी मानना है कि वातावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी महिलाएं ज्यादा सफलतापूर्वक उठा सकती है। उनकी इस कंथनी का उदाहरण वे खुद है। दशकों से पर्यावरण और समाज की

पर्यावरणीय संरक्षण: समाज की जिम्मेदारी और योगदान

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पर्यावरण प्रदूषण का तात्पर्य मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण में किसी भी यह अवांछनीय सामग्री के शामिल होने से है जो पर्यावरण और परिस्थिति की में अवांछनीय परिवर्तन का कारण बनता है। उसे हमें पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण प्रदूषण में मानव विकास की प्रक्रिया, औद्योगिकरण तथा नगरीकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यावरणीय घटकों के आधार पर पर्यावरणीय प्रदूषण को ध्वनि,जल,वायु,एवं मृदा प्रदूषण में बांटा गया है। सभी जीवो को अपनी वृद्धि व विकास के लिए तथा जीवन चलने के लिए संतुलित पर्यावरण की आवश्यकता होती है। संतुलित पर्यावरण से तात्पर्य है जिसमें प्रत्येक घटक, एक निश्चित मात्रा एवं अनुपात में उपस्थित होता है। जब घटकों की मात्रा बढ़ जाती है तो प्रदूषण होता है जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।                                  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिले के हर स्कूल के साथ यह कार्यक्रम किया जाता है जिसमें हमारी बढ़ती पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण करने हेतु उन्हें प्रेरित किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों को   पोस्टर,रैली,व्याख्यान,वाद- विवाद, चित्रकला प्रतियोगिता,स

पर्यावरण संरक्षण: बच्चों के साथ एक नए दौर की शुरुआत

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पर्यावरण का आशय परिवेश से है। दूसरे शब्दों में कहें तो पर्यावरण अर्थात वनस्पति प्राणियों और मानव जाति सभी संजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण कहते हैं। वास्तव में पर्यावरण में वायु,जल, भूमि, पेड़, पौधे ,जीव जंतु ,मानव व उसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता है। आज धरती पर पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। वैज्ञानिक उपलब्धियों से मानव इस संतुलन की उपेक्षा कर रहा है। जनसंख्या वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण व पेड़ों की अंन्धाधुन्ध कटाई इस मुख्य समस्या है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के माध्यम से अजमेर के हम 13 गांव के सरकारी स्कूलों में उनके बच्चों के साथ पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में बताया गया कैसे पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है जिसका दुष्परिणाम हम सब मानव जाति पर तीव्र रूप से पड़ रहा है। हमें वृक्ष,जल, वनस्पति, नदी, सिंचाई  युक्त भूमि, व कृषि सबका ध्यान रखना होगा। पर्यावरण कैसे हमें जीवन देता है और हमारे जीवन प्रणाली में सहयोग करता है। वायु प्रदूषण, जल, प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण यह सभी हमारे पर्यावरण को खोखला बना रहे हैं। इ

वन्यजीव संरक्षण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्था का अभियान, संकल्प, व योगदान

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्था पिछले 32 वर्षों से कई विभिन्न मुद्दों पर काम कर रही है जिसमें महिला सशक्तिकरण ,जल ,पर्यावरण, शिक्षा, लीडरशिप, उद्यमिता, कौशल विकास ,बाल कल्याण ,व महिला विकास जैसे बहुत सारे कार्य समाहित है। इन्हीं कार्यों की श्रृंखला में राजस्थान समग्र कल्याण संस्था द्वारा वृह्रद पैमाने पर सेव द वर्ड चिड़ियाघर कार्यक्रम अभियान किया जाता है जिसका उद्धेश्य प्रकृति से प्रेम वह जीव रक्षा है। गौरैया एक छोटा सा पक्षी है जो पहले यहां संख्या में बहुत थे । परंतु अब इसकी प्रजाति संकटमय स्थिति में है। इसके लिए एक अभियान के माध्यम से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा प्रकृति प्रेमियों को चिड़ियाघर में फिडर दिए जाते हैं, जिन्हें वह अपने घर,कार्यालयों में लगाकर इस बेजुबांन विलुप्त होते जींव (पक्षी ) की रक्षा कर सकें और इसकी वृद्धि करवा कर इस प्रकृति में अपना भी सहयोग प्रदान कर सकें। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस वर्ष लगभग 350 चिड़ियाघर वह उनके खाने हेतु 350 फीडर व्यक्तिगत,स्कूल,कॉलेज,सरकारी कार्यालयों,हॉस्पिटल, व उद्यानों में टीम के द्वारा लगवाए गए। यह प्रेरणा स्रोत कार्य प्

पक्षियों के विलुप्त होने के खतरे से लड़ते हुए: राजस्थान समग्र कल्याण संस्था का प्रयास

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हमारी इस दुनिया में लाखों प्रकार की जीव निवास करते हैं जिसमें कई तो बहुत बड़े व कई छोटे जीव पशु पक्षी यहां रहते हैं। भारत के हर घर आंगन में पहले गौरैया पक्षी पाई जाती थी, परंतु पर्यावरण प्रदूषण से, खान-पान का अभाव से और इस बढ़ते तापक्रम से इनकी संख्या नगण्य हो गई है। बचपन में हम भी चिड़िया के लिए घर बनाते थे और उनके खाने-पीने के लिए दाना भी डालते थे। सुबह-शाम यह संख्या में बहुतायत रूप से हमें मिलती थी परंतु अब यदा कदा देखने को ही मिलती है। और इनकी संख्या में भारी कमी आई है। मैंने इस बार बच्चों के जन्मदिन पर उनके लिए कुछ अलग नया सोचा मैंने अपनी सहेली के द्वारा पता किया कि राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा गौरेया संरक्षण हेतु चिड़िया घर प्रदान करती है। फिर मैं उनके कार्यालय जाकर चिड़िया घर प्राप्त किया और देखा उनके कार्यालय के बाहर पेड़ों पर हजारों चिड़िया चहल-पहल कर रही थी। यह देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।  फिर मैंने अपने बच्चे के जन्मदिन पर उसको यह चिड़ियाघर उपहार में दिया। मेरा बच्चा बहुत खुश हो गया। हमने अपने घर के बाहर छांव वाली जगह पर इसको लगाया और देखरेख करने लगी कुछ दि

वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण: राजस्थान समग्र कल्याण संस्था की दिशा

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इस धरती पर वृक्ष पर्यावरण की जान है। हमारी धरती चारों और से पर्यावरण घिरी है। वृक्ष धरती के समस्त जीवों को जीवन देने का काम करते हैं। इस बढ़ते युग में सब जगह प्रकृति का सर्वनाश किया जा रहा है। व बेतहाशा वृक्षों की कटाई हो रही है। इस कारण ऑक्सीजन का स्तर गिरता जा रहा है। वह लोगों का स्वास्थ्य भी इससे प्रभावित हो रहा है। इसके लिए हम सब मानव जाति को इसके संरक्षण हेतु बेहद ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। क्योंकि यदि इस धरती पर वृक्ष ही ना रहे तो यहां जीवन भी संभव नहीं हो पाएगा। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस सोचनीय कार्य हेतु कई ठोस सामाजिक कदम उठाए जा रहे हैं जिसमें हम सीमांत परिवार के साथ फलदार वृक्ष में खाद वितरण का कार्यक्रम कर रहे हैं।संस्था द्वारा अजमेर के 8 गांव में 25 सीमांत परिवारों के साथ फलदार वृक्ष व खाद वितरण कार्यक्रम रखा गया, जिसमें वर्षों के संवर्धन पर संरक्षण के बारे में समझाया। व अपने आस-पास में लगे पेड़ों के चारों और सफाई कर फिर किनारे पानी पिलाने हेतु गड्ढा किया |जिससे वृक्षों को बढने हेतु पानी दिया जा सके | सभी 25 परिवारों को संस्था ने फलदार वृक्ष जैसे आम,अनार,