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"समाज के वंचित बच्चों के लिए मानवता का सर्दी बचाव अभियान"

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हमारे शरीर का हर मौसम से पूर्णता बचाव करना बहुत जरुरी है इससे ही हम अपनी  जिंदगी अच्छे से संचालित कर पाते है जिनके पास साधन और संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है उनको किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है। परन्तु समाज के पिछड़े वर्ग, झुग्गी झोपड़ी वाली बस्तियाँ , स्ट्रीट , गन्दी बस्तियों में रहने वाले लोगों के पास न तो साधन होते है न ही संसाधन मौजूद है।  इस अवस्था में वो अपनी जरूरतों को पूरा कर सकने में असमर्थ होते है।  और इसके दुष्परिणामों से वो बीमार पड़ जाते है वह सही प्रकार से अपने शरीर का बचाव नहीं कर पाते है।  इसी क्रम में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मैक ए विश कार्यक्रम के तहत इन बस्तियों में रहने वाले गरीब बच्चों को इस भीषण सर्दी से बचाव हेतु स्वेटर, गर्म टोपे, मौजे, कॉर्क्स, व् खजूर का संस्था द्वारा वितरण किया गया।  समाज का निराश्रित वर्ग अपने बच्चों को पूर्ण सुविधा देने में असमर्थ होता है।  इन्हे भी आम बच्चों की तरह उन सभी सुविधाओं की आवश्यकता है जो इनको प्राप्त नहीं होती है। सर्दी के प्रकोप से कई बार बच्चें मौत का ग्रास बन जाते है।  इनके ...

बालिका शिक्षा और बाल विवाह पर जागरूकता

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अपनी बेटी को अरमानों की डोली में बैठकर अपने ससुराल जाना किस बाप का एक अच्छा सपना नहीं होता है सब पिताओं का यही सपना उनकी जिंदगी भर की कमाई होता है ! बेटी का पालना , उसे पढ़ाना, बड़ा करना, समाज के सभी विषयों का ज्ञान देना फिर जब एक दिन बेटी ब्याह के लायक हो जाती है ! तो दिल पर अरमानों का एक बड़ा सा पत्थर रख कर उसको विदा करना जिंदगी का सबसे मार्मिक क्षण होता है ! जब बरबस ही उसकी आखों के आँसू उस पिता की विवशता को दर्शाते है ! यह क्षण अत्यंत यादगार होता है ! इसके विपरीत जब एक पिता के द्वारा अपनी नाबालिग  बच्ची का जब बाल विवाह किया जाता है तो यह एक हत्या के सामान करा जाने वाला कृत्य कहलाता है ! जो उस बच्ची का बचपन खा जाता है ! और उसे नर्क की आग में जलने को जिंदगी भर के लिए डाल देता है !  मेरा नाम बलवंत सिंह है मैं पेशे से एक कारीगर हूँ मेरे परिवार में मेरी पत्नी ,माता पिता, व् 4 लड़किया है जो क्रमशः 14, 12, 10, 8 वर्ष की है ! जो की सभी स्कूल में अध्ययनरत है ! मेरे परिवार में जब मेरी बहन की शादी  की तब वह नाबालिग थी जो एक बच्चे को जन्म देने के बाद चल बसी ! इस वजह से मेरे दिल में यह...

सपनों की उम्मीद और शिक्षा की राह: एक बालिका की कहानी

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जिंदगी में अगर सपनें सच हो जाये तो जिंदगी के अरमान हो कुछ और होते है ! दुनिया में हर कोई सपने देखता है व् छोटे बड़े कुछ भी हो सकते है ! जिंदगी हर कोई अपने नजरिये से जीना चाहता है मगर सामाजिक रीति -रिवाज, रिश्ते, प्रचलन, दिखावा आदि में फंस कर ही रह जाते है ! कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ ! मेरा नाम बरखा है मैं 16 वर्ष की हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है हम घर में कुल 7 सदस्य है दादा दादी भी हमारे साथ रहते है शेष 2 मेरे भाई है वे स्कूल पढ़ने जाते परन्तु दादा जी की इच्छा है की मैं अपनी आँखो  से वो मेरी शादी देखें ! इसलिए पिता जी ने मेरा स्कूल छुड़वा दिया और मेरा रिश्ता तय कर दिया ! जिस वजह से मुझ में बहुत निराशा भर गई ! स्कूल जाने और आगे पढ़ाई करने का मैंने पिता जी कहा पर वह समाज, दादा के वचन और प्रथाओं से जुड़े थे ! इस लिए इंकार कर दिया !  फिर एक दिन स्कूल प्रशासन द्वारा एक गैर वित्तीय संस्थान जिसका नाम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान है ! जो वंचित, गरीबी, निर्धन, विकलांग, जरूरतमंद बालिकाओं के लिए शिक्षा सम्बन्धी कार्य करती है उनके प्रतिनिधि हमारे घर आये और सभी परिवार जनों से बातचीत की ! उन...