संदेश

रोकथाम लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक पिता की संघर्ष और समर्पण गरीब परिवार की बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम

चित्र
मेरा नाम भेरूलाल है मैं एक फुटकर मजदूरी कार्य करता हूँ ! मेरे घर पर पत्नी व् 2 बेटियाँ  है व् दोनों स्कूल पढ़ने जाती है ! मैं एक निरक्षर पिता हूँ ! जो सभी की जानकारी नहीं रख सकता हूँ परन्तु मेरी पत्नी और मैंने शादी के 2 वर्ष बाद अपनी पहली पुत्री को जन्म दिया जो पूर्णता स्वस्थ थी इसमें मैंने पत्नी को पूर्ण आहार जैसे प्रोटीन , विटामिन, व् खाने पिने की सभी जरूरतों का ध्यान रखा !जब यह बच्ची 3 वर्ष की हुई तब मेरी पत्नी को दूसरा गर्भ धारण करवाया ताकि माँ और बच्चा स्वस्थ्य बने रहे ! दूसरी बच्ची होने के बाद मैंने ऑपरेशन करवा लिया क्योकि 2 से ज्यादा बच्चो का लालन पालन मैं अच्छे से नहीं कर पाता ! अंत यही मेरे लिए सब कुछ है मैंने अपनी लड़कियों  को हमेशा लड़को की तरह पाला व् बड़ा किया ! उन्हें वो हर बात कहने की आजादी दी जो सभी के हित में ही हो, मेरी पत्नी भी मेरे कार्यो में पूर्णता सहयोग करती है !  मेरी सबसे बड़ी बेटी 9 क्लास में है व् छोटी 6 क्लास में है ! बच्चियाँ धीरे धीरे बड़ी हो रही है मेरी पत्नी उनके शारारिक विकास, समस्याएं व् कुछ भी बात हो उनका विशेष ध्यान रखती है ! एक बेटी अपनी माँ को सबसे अच्छा

समाज की जिम्मेदारी: बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता और शिक्षा का महत्व

चित्र
भारत व् एशिया के कई देशों में बाल विवाह का कुरीति है ! जिसके चलते न जाने कितनी मासूम बालिकाओ का बचपन रौंधा गया व् कई हजारो बलि की वेदिका पर चढ़ गई ! समाज के द्वारा इन बालिकाओ को बालपन में ही इनका विवाह कर दिया जाता है ! जिससे न तो यह अपना बचपन, शिक्षा, समझ व् शारारिक संगठन को पूर्ण नहीं कर पाती है फलस्वरूप कई तरह की बीमारियों से यह ग्रसित हो जाती है व् अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाती है ! जल्दी शादी करने से न तो यह परिपक़्वता आती है न ही यह गर्भधारण करने योग्य रहती है ! समाज की सामाजिक कुरीतियों व् रूढ़िवादिता में इनकी दशा अत्यंत दयनीय होती है ! गरीबी, निर्धनता, लाचारी, अशिक्षा, रीती-रिवाज, प्रभुत्ववादी लोग व् नकारात्मक सोच की उपज ही बाल विवाह का मुख्य कारण बनती है इस अन्धकार को शिक्षा के प्रकाश से ही दूर किया जा सकता है !   राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के द्वारा जरूरतमंद वंचित परिवारों की बालिकाओ के साथ बाल विवाह रोकथाम कार्यक्रम चलाया जा रहा है ! इसमें शिक्षा के साथ इस विषय पर सभी बालिकाओ को जागरूक किया जा रहा है ! जिसमे इस बाल विवाह कुरीति का हमारे समाज में अन्तः हो सके व् सभी बालिकाएं

यौन उत्पीड़न हिंसा के रोकथाम जागरूकता कार्यक्रम

चित्र
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा महिलाओ पर हो रही हिंसा के विरुद कई निवारण कार्यक्रम चलाये जा रहे है ! जो की सभी स्कूली बालिकाओं व् ग्रामीण महिलाओं  के साथ मिलकर किये जाते है ! यौन हिंसा वयक्तियो और समुदायों के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य ,सामाजिक न्याय और सुरक्षा का मुद्दा है ! संस्था द्वारा यौन हिंसा , सम्बन्ध हिंसा ,यौन उत्पीड़न और पीछा करने के बारे में गंभीरता से सोचकर की कैसे एक सुरक्षित समुदाय का निर्माण किया जाये और अपने व् दुसरो के लिए जिम्मेदारियाँ ली जाये और नुक्सान पहुचाये गए लोगो के प्रति उचित प्रति क्रिया दी जाये शिक्षा महत्वपूर्ण है ! ज्ञान वयक्तियो और समुदायों को बदलने के लिए सशक्त बनता है ! संस्था द्वारा बताया गया की यह एक सतत प्रक्रिया है ! और इसमें विश्वासों , शब्दो ,व्यवहारों, और कार्यो की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है ! जबकि निरंतरता की शुरुआत में कई व्यवहार हमारी आचार सहिंता के विरुद्व नहीं हो सकते है !यौन हिंसा की रोकथाम एक सामुदायिक प्रयास है ! और रोजमर्रा की गतिविधिया एक अंतर पैदा करती है ! निरंतरता की शुरुआत में वस्तुओँ को सम्बोधित करके हम अपने समाज में पारस्परिक

बाल विवाह रोकथाम और उन्मूलन कार्यक्रम

चित्र
  भारत व् एशिया के कई देशों में बाल विवाह एक अभिशाप के रूप में बनकर उभरा है ! इससे हमारी कई सामाजिक बुराइयाँ ने जन्म लिया है ! जिससे बालिका शिक्षा , रीति  - रिवाज ,लिंगभेद ,सामाजिक द्रष्टिकोण ,व् असमानता जैसी विकृतियाँ सामने आई है ! इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिला , खण्ड ,स्कूल ,ग्राम ,स्तरीय एवं सेवा प्रदाताओं की कार्यशाला का आयोजन उपस्थित प्रतिभागियों को इस अभियान के प्रति सवंदेनशील बनाना है लाड्डो अभियान का मुख्य उदेश्य जनसमुदाय की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव के साथ बाल विवाह जैसी कुरीतियाँ को सामुदायिक सहभागिता से समाप्त करना है ! संस्थान अजमेर के लगभग सभी सरकारी स्कूलो में यह लाड़ो कार्यक्रम चलवा रही है ! बाल विवाह से बचपन की की समाप्ति हो जाती है ! यह बच्चो की शिक्षा स्वास्थ्य और सुरक्षा के अधिकारों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है ! इन परिणामों का सीधा असर न केवल लड़की पर पड़ता है बल्कि उसके परिवार और समुदाय पर भी पड़ता है जिस लड़की की शादी बचपन में हो जाती है ! उसके स्कूल न जाने और पैसे न कमाने और समुदाय में योगदान न दे पाने की संभावना अधिक हो जाती है ! संस्था

बेटीयों की शिक्षा: समाज में समानता की ओर एक कदम

चित्र
 मेरा नाम सन्तोष है मैं अजुऺनपुरा गांव की निवासी हूँ पिता एक किसान है माँ गृहणी है व मेरे 2 बड़े भाई है मेरा परिवार एक राजपूत परिवार है जहाँ बालिका व महिलाओं पर कई तरह की पांबन्दिया है ना तो हम घर के बाहर जा सकते हैं और ना ही बात व स्वतंत्रता किसी को जाहिर कर सकते हैं  मैंने 8 वी कक्षा तक पढाई की है फिर पिता को कई बार कहा कि मुझे आगे और पढ़ना है परन्तु समाज, परिवार, व खोखले रिवाजों के चलते पिता ने मुझे मना कर दिया जिसका मुझे बहुत मानसिक अघात लगा | घर में मेरे भाई पढ़ सकते हैं पर मैं कयूँ नहीं क्या इतनी छोटी उम्र में मुझे घर के काम करने चाहिए | ना मैं सहेलियों के साथ खेल सकती हूँ ना अपने दिल की बात कह पाती हूँ | एक दिन गाँव में लिंग आधारित हिंसा रोकथाम व उन्मूलन कार्यक्रम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के तत्वाधान में हमारे यहाँ आयोजित किया गया | जिसमें भाषण, प्रशनोतरी, सगोष्ठी, रैली, चाटऺ के माध्यम से बताया गया | जिसमें एक कागज़ पर लिखकर मैंने अपनी बात उन प्रतिनिधीयों तक पहुचाई | कुछ समय बाद राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था की टीम हमारे घर आई व मेरे परिवार से चचाऺ कि | इस बढत