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भविष्य की दिशा: ग्रामीण स्कूली बालिकाओं के शिक्षा के अधिकार और जागरूकता

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान पिछले 12 वर्षों से स्कूली बालिकाओं को लेकर वृहद पैमाने पर कार्य कर रही है ! जिससे हर वर्ष ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में स्कूली बालिकाओ को शिक्षण सामग्री वितरण करती है ! इसमें लगभग 150 से 160 स्कूलों का चयन किया जाता है ! जिसमे प्रत्येक स्कूल में 25 बालिकाओ का सर्वे कर चयन किया जाता है ! जो वास्तविक रूप से जरूरतमंद होती है ! शिक्षा के क्षेत्र में अक्सर गरीबी, निर्धनता, व् अन्य लाचारी के कारण ये प्रतिभा जयादातर छिप जाती है ! इसके कारण ही निरक्षरता का प्रतिशत बढ़ता है ! व् कई सामाजिक मुद्दों को उभारने का कार्य करता है ! इस कार्य के लिए संस्था लगातार प्रयास कर रही है ! जिसमे इन सभी नकारात्मक बातों को हम दूर करके पूर्ण साक्षरता को देश में लेकर आये ! इसके लिए सरकार और हम जैसे कई संस्थान प्रयासरत है ! जो देश की समृद्धि व् खुशहाली में अपना कार्य व् सहयोग कर रही है !  नारी शिक्षा समाज का पहले से ही अहम् मुद्दा रहा है ! जिसमे नारी शिक्षा को तवज्जों काम दी जाती रही है ! उनको सदा घरेलु कार्य सम्पादित करने व् वंश वृद्धि के हिसाब से ही समाज में समझा व् स्थान दिया जाता र

एक पिता की आशा: शिक्षा के माध्यम से बच्चों के भविष्य को सवस्थ और उज्ज्वल बनाना

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मेरा नाम किशन लाल है और मैं एक गरीब किसान हूँ जो जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करता हूँ ! मेरे परिवार में मेरी पत्नी व् माँ और 2 बेटे और 3 बेटियाँ  है ! दोनों बेटे मेरा कृषि कार्य में साथ देते है व् 2 बेटियाँ पढ़ने जाती है ! एक बेटी को में पड़ने में असमर्थ हूँ दिल तो बहुत करता है मगर अपनी गरीबी, लाचारी, व् विवशता के कारण मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है ! इस बात को मैंने स्कूल प्रशासन को भी बताकर आया था ! फिर एक दिन स्कूल से हमारे यहाँ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान से कुछ प्रतिनिधि हमारे घर आये ! उन्होंने बताया मेरी बेटी को वो आगे पढ़ने में मदद करेंगे ! उनकी बात सुनकर मेरा दिल ख़ुशी से झूम उठा ! फिर उन्होंने कुछ सवाल पूछे व् मेरी बेटी का सर्वे प्रपत्र फॉर्म भरा गया !  इसके कुछ दिन बाद मेरी बेटी को स्कूल में दाखिला मिल गया !और वह फिर से शिक्षा प्राप्त करने स्कूल जाने लगी ! एक पिता होने के नाते अपनी बेटी के प्रति मेरे भी कुछ सपने है ! वह भी उच्च शिक्षा प्राप्त करे और समाज में अपना नाम कमाये व् देश की तरक्की में अपना योगदान दे ! इन सभी बातों का आज मुझे साराँश नजर आ गया ! अब जिंदगी में क

मेहनत और ईमानदारी से स्वरोजगार की ओर: रुकमा की यात्रा

 मेरा नाम रुकमा है। मैं पीसांगन गांव में रहती हूं। मेरा परिवार बेहद गरीब है। मेरे तीन लड़कियां हैं। मेरे पति कभी कभी फुटकर मजदूरी करते हैं। मैं भी मजदूरी करके अपना घर चलाती हूं। मैं जैसे तैसे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाई हेतु भेज रही हूं जिससे वह साक्षर हो सके। मुझे एक दिन पंचायत से पता चला कि हमारे यहां राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा स्वयं सहायता समूह का कार्यक्रम करवाया जा रहा है। मैंने उसमें भाग लिया और एक समूह से जुड़ी धीरे-धीरे मुझे इसकी बारीकियाँ समझ में आने लगी और मैं अपनी छोटी-छोटी बचत उसमें जमा करने लगी और आपसे ऋण सहयोग से अपने घर की जरूरत को पूरा कर उस ऋण को चुकाने लगी। फिर संस्था द्वारा स्वरोजगार हेतु बैंक से हमें एक बड़ा लोन करवाया गया जिसको 2 वर्ष में पूर्ण अदा करना था। मैंने उन पैसों से अपनी एक लकड़ी की केबिन बनवाई और उसमें मनिहारी ( महिला श्रृंगार ) का सामान विक्रय करने लगी। मुख्य बाजार में मेरी केबिन होने की वजह से मेरी आमदनी अच्छी खासी होने लगी। धीरे-धीरे फिर और सामान मैंने अपनी केबिन में डाला। अब मुझे प्रति माह 10000 से 12000 की आय प्राप्त होने ल