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"ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण शिविर: महिलाओं के उज्जवल भविष्य की ओर"

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सुन्दर दिखना और दिखाना किसको अच्छा नहीं लगता है आज का युग बढ़ता हुआ युग है जिसमें सभी अपने रहने, खाने, पीने और शारारिक सुंदरता के विभिन्न साधनो का प्रयोग कर रहे है ! इसी कर्म में ब्यूटी पार्लर व्यवसाय महिलाओं की प्रमुख पसंद बना चुका है जिससे शारारिक सौन्दर्य बढ़ाने के साथ उसकी व्यक्तित्व को निखारा जाता है।  इसी को देखते हुये राजस्थान समग्र कल्याण द्वारा शहरी क्षेत्र में ब्यूटी पार्लर  प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया गया। जिसमें संस्था प्रतिनिधि, मुख्य अथिति पार्षद और मास्टर ट्रेनर इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के समक्ष एवं आत्मनिर्भर बनाना है जो इस कार्य को सीख कर स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर सकें।  कार्यक्रम का शुभारंभ पार्षद महोदया द्वारा किया गया और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुये उन्हें सशक्तिकरण का आभास भी कराया बाद में मास्टर ट्रेनर द्वारा इस कार्यक्रम में जो सिखाया जायेगा उसकी विस्तृत रूप से सभी को बातें व् विषय बताये। जिसमे जीवन कौशल, मार्केटिंग, नेतृत्व क्षमता, उद्यमिता, प्राथमिक अभिविन्यास व् लीडरशीप जैसे कार्यक्रम भी इनके ...

"उद्यमिता में सफलता का मार्ग: "ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता

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उद्यमिता से अभिप्राय अपने सबसे बुनियादी स्तर पर एक व्यक्ति या भागीदारो के एक छोटे समूह से हैं जो एक नया व्यवसाय बनाने के लिए एक मूल मार्ग पर चलते है ! इसमें एक व्यक्ति की विचारों को कार्यवाही में बदलने की क्षमता हैं जो रचनात्मक व् नवाचारों से भरी होती हैं जिसमे परियोजनाओं की योजना बनाने और प्रबंधन करने की क्षमता भी शामिल है राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ग्रामीण महिलाओ के साथ उद्यमिता विकास कार्यक्रम हमारे गांव में किया गया ! जिसमे लगभग 150  महिलाओ ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया ! सभी महिलाये उत्साहित थी और संस्था प्रतिनिधियों द्वारा इस कार्यक्रम में सम्बोधन के साथ इसे प्रारंभ किया और हमें हमे कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की , जिसमे सभी महिलाओं को इस विषय पर जानकारी दी ! मेरा नाम सविता है मैं एक पढ़ी लिखी साक्षर महिला हूं मैं भी अपना स्वय का कार्य स्थापित करना चाहती हूँ परन्तु सही और सटीक जानकारी और मेरे पास संसाधनो का अभाव था ! जिसके कारण मुझे हर बार अपने कदम पीछे करने पड़ते थे ! लेकिन फिर संस्था प्रतिनिधियों ने जिस प्रकार इस कार्यक्रम में हमें जानकारी दी और वे मार्ग बताये ...

महिलाओं का उद्यम: सफलता की नई परिभाषा

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मेरा नाम मंजू नायक है मैं एक ग्रामीण महिला हूँ और कक्षा 5वी तक पढ़ी हूँ ! मेरे परिवार में मेरे 2 बच्चे व् पति हम सब साथ रहते है शादी के बाद से मेरे घर की आर्थिक स्थितियां ठीक नहीं रहती थी ! पति फुटकर मजदूरी करते है ऐसे में बच्चों को पढ़ना, घर खर्च चलाना बहुत मुश्किल हो जाता है ! घर की जरूरतों का जैसे एक पहाड़ सा खड़ा हो गया जिसे पार करना बेह्द कठिन सा लगता है ! फिर मैंने समूह मे अपना नाम लिखवाकर मासिक बचत करने लगी ! धीरे धीरे ये बचतें बढ़ने लगी और समूह आपस में पारस्परिक ऋण प्रदान करने लगे ! जिनको मैं समय समय पर अपनी  आवस्यकतानुसार प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा कर सकने में सक्षम हो गई ! परन्तु अभी मुझे अपने पैरो पर खड़ा होना था ! उसके बाद हमारे समूह को बैंक से ऋण प्राप्त हुआ ! जिसको मैंने भी लिया और गांव में ही सब्जी की दुकान का कार्य प्रारम्भ किया ! शुरू शुरू मैं कुछ परेशानियों के बाद यह व्यवसाय रफ़्तार पकड़ने लगा ! पहले तो गांव में पास के लोग ही सब्जियाँ लिया करते थे पर अब पूरा गांव व् आस पास के गांव भी आकर मुझसे ही सब्जी प्राप्त करने लगे ! इस काम में मेरे पति भी मेरा सहयोग करते थ...

समृद्धि की दिशा: महिला स्वावलंबन से कृषि तक का सफर

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मेरा नाम मीरा रावत है और मैं करनौस में रहती हूं। मेरे घर पर दो बच्चे,पति,व सास -ससुर साथ रहते हैं। मैं 12वीं तक पढ़ी हूं। पति पैशे से किसान है और मेरे बच्चे भी पढ़ने जाते हैं। सब कुछ सही चल रहा था परन्तु हमें परेशानी तब हुई जब हमारे कुएं में पानी सूख गया और खेती नहीं होने लगी। धीरे-धीरे घर की स्थिति खराब होने लगी। फिर मेरे पति भी मजदूरी करने लगे। अब केवल वर्षा के समय हम खेती करते हैं और हम एक ही फसल प्राप्त कर पाते हैं। इसके बाद मैंने गांव में जो महिलाएं समूह चलती थी, उसमें अपना नाम लिखवा लिया। मैं हर माह अपनी छोटी-छोटी बचत उस समूह में जमा करवाने लगी। धीरे-धीरे हमारा समूह बढ़ता गया। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आई और उसने हमें समूह के विषय में गहनतम जानकारी दी। व हम महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी बताया जिसमें बचत के द्वारा बहुत सारे स्वरोजगार है जो महिलाएं अपने घर बैठकर कर सकती है, वो हमें बताएं। इसके बाद मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मुर्गी पालन व्यवसाय प्रशिक्षण में अपना नाम लिखवाया। व मुर्गी पालन में अपनी अभिरुचि दिखाते हुए इस कार्य पर गहनता से ध्यान ...

स्वयं सहायता समूह से स्वरोजगार की ओर पहल : महिला सशक्तिकरण

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मेरा नाम मनोहरी है, मैं एक विधवा महिला हूं। कुछ समय पूर्व मेरे पति का देहांत हो गया था | मेरे एक बच्चा है। वह अभी बहुत छोटा है। मैं गांव के नरेगा कार्य वह मजदूरी पर जाती हूं, परंतु इससे मेरा परिवार नहीं चल पाता क्योंकि मुझे कभी-कभी तो मजदूरी मिलती है और कभी नहीं। इसलिए जरूरी है कि कोई रोजगार मेरे पास हो। इसके लिए मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों को अपनी पूरी कहानी बताई की किस तरह मुझे कितना कष्ट दायक जीवन जीना पड़ रहा है। फिर संस्था द्वारा मुझे स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वरोजगार ऋण दिलवाया गया। वे मुझे आश्वस्त किया गया कि अपने सपने का जहां तुम स्वयं बनाओ | फिर मैंने उसे ऋण से एक केबिन बनाई और सब्जी मंडी से कई प्रकार की सब्जियां लाकर दुकान में रखी। हमारे गांव में सब्जी की कोई दुकान न होने की वजह से मेरी बिक्री दिन प्रतिदिन अच्छी होने लगी। धीरे-धीरे मेरा यह रोजगार बढ़ने लगा और मेरी आय भी बढ़ने लगी। अब मेरे घर के माली हालत सुधरने लगे और मेरा बच्चा भी अब अच्छे स्कूल में पढ़ने लगा। कुछ समय बाद मैंने गांव में स्वयं की एक बड़ी पक्की दुकान खोल ली। अब मुझे कोई चिंता नही...

महिला उद्यमिता: एक संघर्षपूर्ण स्वरोजगार की कहानी

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मेरा नाम आफिसा है घर पर पति व तीन बच्चे हैं। पति को लकवा मार गया है जिससे वह कमाने नहीं जा सकते। घर का संचालन करना बेहद मुश्किल साफ हो गया है। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं उनकी भी पढा़ई  मुश्किल से हो रही है फिर कुछ दिनों बाद मैं एक महिला के सहयोग से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था से जुड़ी। उन्होंने SHG  के माध्यम से मुझे जोड़कर यह बताया कि कैसे छोटी-छोटी वस्तुओं को जोड़कर हम अपनी आर्थिक जरूरत से पूरी कर सकते हैं। व स्वयं का अपना कार्य भी प्रारंभ कर सकते हैं। यह महिलाओं के लिए एक व्यवस्थित और बेहद अच्छा कार्यक्रम है। इसमें सभी वर्ग व जाति की महिलाएं शामिल हो सकती है। ग्रामीण दृष्टि से यह कार्यक्रम बहुत सकारात्मक में उपयोगी है। SHG में जुड़ने के कुछ समय बाद मुझे बैंक से एक अच्छा ऋण प्राप्त हुआ जिससे मैंने चार बकरियां खरीद ली और उन्हें पालने लगी। उनके दूध में खाद से मैं आय भी अर्जित करने लगी। धीरे-धीरे एक वर्ष के बाद मेरे पास 13 बकरियां हो गई। मेरा व्यवसाय धीरे-धीरे अच्छा बढ़ने लगा। अब बहुत हद तक मैं अपने परिवार का आर्थिक संचालन करने लगी और अपना घर चलाने लगी। 3 वर्ष के...