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"उन्नत बीजों से बदलती तक़दीर: ग्रामीण असक्षम महिलाओं की नई शुरुआत"

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भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक महिलाएँ आज भी सीमित संसाधनों और आर्थिक असक्षमता के कारण कृषि कार्य में पिछड़ जाती हैं। इनके पास ज़मीन तो होती है, पर सही जानकारी, उन्नत तकनीक और बेहतर बीजों की कमी के कारण वे अपनी ज़मीन का पूरा लाभ नहीं उठा पातीं। ऐसे में जब किसी संस्था या सरकारी योजना के माध्यम से उन्हें उन्नत बीज प्रदान किए जाते हैं, तो यह उनके जीवन में एक नई उम्मीद की किरण बनकर आता है। यह केवल बीज नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में पहला कदम होता है। ऐसी ही एक कहानी है एक ग्रामीण असक्षम महिला की, जिसे एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा उन्नत बीज दिए गए। पहले वह अपने छोटे से खेत में पारंपरिक बीजों से बहुत ही कम पैदावार ले पाती थीं, जिससे घर की जरूरतें भी पूरी नहीं हो पाती थीं। लेकिन उन्नत बीज मिलने के बाद उन्होंने नई तकनीक से खेती करना शुरू किया। समय पर सिंचाई, जैविक खाद और संस्था द्वारा दी गई मार्गदर्शन से उनकी फसल न केवल अच्छी हुई, बल्कि बाज़ार में अच्छे दामों में बिकी। इससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और वह अपने परिवार को बेहतर जीवन देने में सक्षम हो सकीं। अब वह अपने अनुभव गाँव क...

छोटी सी छतरी, बड़ी मुस्कान: झुग्गी बच्चों की सुरक्षा की पहल

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मानवता की सेवा और सामाजिक सरोकार की दिशा में कार्य कर रही विभिन्न संस्थाएं समय-समय पर उन वर्गों के लिए पहल करती हैं जो समाज के सबसे कमजोर और उपेक्षित हिस्से माने जाते हैं। हाल ही में एक ऐसी ही पहल के अंतर्गत झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले गरीब और वंचित बच्चों को बारिश से बचाने के उद्देश्य से छतरी वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम इस सोच के साथ शुरू किया गया कि ये बच्चे, जो संसाधनों की कमी के चलते अक्सर भीगने को मजबूर हो जाते हैं, अब बरसात के दौरान सुरक्षित रह सकें। झुग्गी इलाकों में रहने वाले अधिकतर परिवार दिहाड़ी मजदूरी, रिक्शा चलाने या छोटे-मोटे कामों पर निर्भर होते हैं। उनके पास इतने संसाधन नहीं होते कि वे अपने बच्चों के लिए रेनकोट या छतरियां खरीद सकें। ऐसे में बारिश के मौसम में बच्चों को भीगकर स्कूल या अन्य जगहों पर जाना पड़ता है, जिससे वे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। इस जरूरत को समझते हुए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकत्रित होकर इन बच्चों को छतरी उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया। कार्यक्रम के अंतर्गत सैकड़ों बच्चों को रंग-बिरंगी और मजबूत छतरियां वितरित की गईं। छतरियां मिलन...

गरीब किसानों की मदद में एक कदम: खाद और बीज के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान वर्षो से समाज के विभिन्न विषयों पर कार्यरत है जो समाज को एक सकारात्मक दृष्टि प्रदान करने का कार्य कर रही है ! जो उनको लक्ष्य प्राप्ति तक पहुंचाने में मदद करती है भारत एक कृषि प्रधान देश है परन्तु यह मानसून पर पूर्णता निर्भर है दूसरे देशो की अपेक्षाकृत भारतीये किसान एक छोटे तबके का गरीब व्यक्ति है जो पनि खेती के लिए भी कर्जा लेकर कार्य करता है और सदा कर्जे के बोझ तले दबा रहता है इस परिस्थिति में हमारे बहुत से छोटे किसानो के पास उपलब्द्य साधन मौजूद नहीं है जो उसको अच्छे दर्जे की उपज दिलवाने में उसकी मदद कर सके ! कई बार धन के आभाव में भी यह खेती नहीं कर पाते है! मिट्टी हमारी सोना है यदि सही साधन और सही फसले हमे सही समय से प्राप्त हो तो किसानों की स्थिति इतनी दयनीय नहीं बनेगी !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही किसानो के संग संस्था प्रति वर्ष खाद बीज वितरण का कार्य करती है जो उसे ले पाने में असमर्थ्य है होते है  इसके द्वारा उनको पुनः प्रोत्साहित किया जाता है किन वो पुनः अपने कृषि कार्य में लगे और अपने खेत व् उपज पर ध्यान दे सके ! भार...