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वर्जनाओं को तोड़ना: ग्रामीण भारत में स्वच्छता जागरूकता के माध्यम से महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना

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मेरा नाम रुकमा देवी है। मेरी उम्र 30 वर्ष है और मैं डोडियाना गांव में रहती हूं। ग्रामीण जीवन वास्तव में बहुत कठिन है। महिलाओं में होने वाला मासिक धर्म प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक प्राकृतिक क्रिया है। गांव में अशिक्षा के कारण ग्रामीण महिलाएं आज तक कपड़े का उपयोग करती है जिसके कारण उन्हें कई तरह की चमऺ से संबंधित बीमारियां हो जाती है, जिससे महिला की मृत्यु तक हो जाती है। शिक्षा से अज्ञान के कारण ग्रामीण महिलाएं शमऺ, झिझक के कारण किसी से कुछ कह नहीं पाती हैं। आज इसी समस्या से कई ग्रामीण महिलाएं गुजर रही है। कुछ दिन पहले हमारे गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था की टीम आई। वह ग्राम पंचायत भवन में महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन वितरण कार्यक्रम रखा गया। इसमें मासिक धर्म स्वास्थ्य से संबंधित बातें बताई गई | कार्यक्रम में इस विषय पर बताया गया कि किस तरह कपड़े से महिलाओं को शारीरिक हानि पहुंचती है। वह इससे कितने नुकसान हमारे शरीर को होते हैं। कार्यक्रम में चर्चा,सवाल-जवाब,फ्लिपकार्ट , पोस्टर के द्वारा महिलाओं को समझाया गया |और सभी को सेनेटरी पेड का उपयोग करने के फायदे व नुकसान बताए गए |