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"ठंड से सुरक्षा, स्वास्थय की ओर कदम : गर्म जोड़े, सुरक्षित भविष्य"

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  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा सर्दी के प्रकोप से ग्रामीण स्कूली बालिकाओं इसके बचाव हेतु जूते, मौजे, गर्म दस्तानें व् जैकेट का वितरण कार्यक्रम लगभग 42 स्कूलों में रखा गया।  सर्दी का मौसम हर किसी पर अपनी चुपके चुपके से छाप छोड़ता है। खासकर ग्रामीण बच्चों के लिए यह समय विशेष रूप से बहुत कठिन होता है। ठंडी हवा और बर्फीली रातों में उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है अगर उनकी सुरक्षा के लिए सही कदम नहीं उठाये जाते है ऐसे में ग्रामीण स्कूली बालिकाओं को सर्दी से बचाने के लियें जूते, मौजे और जैकेट वितरण एक महत्त्वपूर्ण कदम है।  आजकल कई स्कूलों और सामाजिक संगठन इन जरूरतों को पहचानते हुये बच्चों को ठण्ड से बचाने के लिये इस प्रकार की सामग्री वितरण करते है जिसमें राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान अग्रणी है। इन सामग्रियों से न केवल उनके शरीर में गर्मी बनी रहती है बल्कि उन्हें सुरक्षा और आत्मविश्वास का अहसास भी होता है।  जूते और मौजे - ठण्ड के मौसम में बच्चों के पैरों की सुरक्षा बेहद जरुरी होती है क्योकि ठंडी जमीन पर चलने से न केवल पैरों में दर्द हो सकता है बल्कि वे जल्दी बीमार...

"समाज में बदलाव का संदेश : दहेज प्रथा को समाप्त करने की दिशा में एक प्रयास "

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान विगत कई वर्षो से सामाजिक क्षेत्र में कई विषयों पर  संस्था  कार्य कर रही है ।  जो हमारे जीवन में  महत्वपूर्ण स्थान रखते है ।  ऐसे ही समाज का एक विषय है दहेज़ प्रथा !  भारत में   यह एक गंभीर और बेहद सवेंदनशील सामाजिक समस्या है जो हमारे देश के कई परिवारों में फैली हुई है यह गरीब परिवार की लड़कियों के लिए एक चुनौती के समान है। हमारे सामाजिक परिवेश में बदलाव बहुत जरुरी है इसका उदहारण राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा दिया गया।  संस्था अर्द्ध ग्रामीण क्षेत्र की एक गरीब लड़की को दहेज़ के रूप में बहुत सा सामान देकर उनको एक तरह की सहायता प्रदान की , जिससे उसके परिवार वालो को विवाह के खर्चो में राहत मिलेगीं और लड़की का विवाह सुगमता के साथ होगा और एक सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा।  संस्था द्वारा उठाया हुआ यह कदम दहेज़ प्रथा को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है यह न केवल उस गरीब लड़की की मदद है बल्कि यह हमारे समाज को एक सन्देश भी देता है की इस दहेज़ प्रथा जैसी सामाजिक बुराई का अंत होना चाहिये। संस्था द्वारा ल...

स्वस्थ शरीर, स्वस्थ विचार: महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में पहल

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शारीरिक स्वच्छता एवं स्वास्थ्य मानव जीवन की वो स्वास्थ्य विशेषता है जो उसे निरोगी काया प्रदान करता है और ऊर्जा का संचार करता है ! इसलिये भारतीय शास्त्रों में भी कहा जाता है `` पहला सुख निरोगी काया `` यह बात पूर्ण सार्थक सिद्ध होती है एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचारों का जन्म होता है और वह द्रस्टिपटल पर पूर्ण रूप से कार्य करते है ! परन्तु आज भी हमारे ग्रामीण जीवन का परिवेश वही पुराणी आदतों और परम्पराओ से घिरा है जहां मानवीय विचारधाराएं आज भी संकीर्ण और संकुचित है मैं भी एक ग्रामीण महिला हूँ मेरा नाम विजयलता है मैं कक्षा 8 वीं मई पढ़ती हूँ ! और इस विषय पर थोड़ी जानकारी रखती हूँ !   राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे गांव में बी हैप्पी बी स्माइल का यह कार्यक्रम किया गया इसमें महिला को हाइजीन बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है और स्वास्थ्य संबधी वो महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जिनसे वो अभिन्न थी ! इस कार्य के प्रति आजकल सरकार भी सचेतक है और महिलाओ के स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे कार्यक्रम चला रही है संस्था प्रतिनिधि द्वारा हाइजीन सेनेटरी पेढ़ की विशेषताओं के बारे में सभी को बताया...

शारीरिक स्वच्छता और मानसिक स्वास्थ्य: झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए प्रेरणादायक कार्यक्रम

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा शहर के आसपास स्लम एरिया , झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके ,निचली बस्ती व् डेरो  बच्चों के साथ 1 दिवसीय स्वच्छ रहे स्वस्थ रहे कार्यक्रम करवाये जाते रहते है यहाँ इन बच्चों को शारारिक स्वच्छता का ज्ञान दिया जाता है ! जिसमे उन्हें नहाना, धोना, शौच नित्यक्रम, सफाई, साफ कपडे पहनना, स्वस्थ भोजन करना, नाख़ून व् बाल नियमित समय पर कटवाना व् बीमारियों से बचाव की बातें समझाई जाती है ! इसके साथ उनको खेलकूद के द्वारा भी प्रोत्साहित किया जाता है ! व् साथ ही व्यायाम के कुछ तरीके भी बताये जाते है की किस तरह वो अपने शरीर को स्वच्छ व् स्वस्थ रख सके ! स्वस्थ रहने के लिए पूरी नींद लेना अति आवश्यक है ! और साथ ही खुश रहना भी जरुरी है ! आज हमारा भारत भी स्वच्छता  को अधिक महत्व दे रहा है ! जिसमे कोई व्यक्ति किसी भी बीमारी से ग्रसित न हो और अपना स्वस्थ जीवन यापन करें ! संस्थान द्वारा इन सभी बच्चो को एक सकारात्मक बदलाव की और प्रेरित किया जाता है ! स्वयं मई खुश रहना एक मनोवैज्ञानिक प्रकिर्या है जिसमे उसकी कई अवस्थाये काम करती है ! इसमें शारारिक स्वास्थ्य बाहरी  स्थितियों ...

शिक्षा और जागरूकता: बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई किए गए प्रयास और रणनीतियाँ

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मेरा नाम मनोज तिवारी है मैं ग्राम पदमपुरा में रा.उ.मा.वि में सरकारी टीचर के रूप में कार्यरत हूँ ! इस गांव में रावत व् गुर्जर जाती बाहुल्य रूप में निवास करती है जिसमे काफी हद तक निरक्षरता विद्यमान है !  जिसके चलते इनके रीती रिवाजो में बहुत सारी  कुरीतियाँ  शामिल है ! जो समाज में हमे नकारात्मकता का सन्देश देती है ! और देश व् राष्ट्र को पीछे धकेलने का कार्य करती है ! कुछ कुरीतियों को जड़ से मिटाना इतना संभव नहीं हो सकता है इस प्रकिर्या में सभी के साथ का होना अति आवश्यक है तभी हम स्वस्थ व् स्वच्छ समाज को पटल पर ला पाएंगे ! बाल विवाह वो दंश है जो एक नहीं समाज की बहुत सारी जिंदगियाँ बर्बाद करती है ! इसमें बालिका का बालपन छिन्न लिया जाता है ! जो उसे नर्क में धकेलने के लिए काफी है ! यहाँ समाज के हर व्यक्ति को इस विषय की सभी नकारात्मक बातों के लिए सोचना बहुत जरुरी है तभी हम बदलाव की किरण को जाग्रत कर पाएंगे !   हमारी स्कूल में पिछले 4-5 वर्षो से जरूरतमंद, वंचित, अनाथ, बेसहारा, गरीब, निर्धन, विकलांग, मानसिक रूप से पीड़ित आदि बालिकाओ की मदद के लिए यह संस्था बेहद सराहनीय व् प...