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प्रशिक्षण के साथ आत्मनिर्भरता: महिलाओं के लिए नई दिशा

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आत्मनिर्भरता जीवन की वो सीढ़ी है जो जीवन में सफलतायें लाती है और आत्मविश्वास को जगाती है एक आत्म  निर्भर व्यक्ति कभी आश्रित नहीं रहता उसका कार्य सदा उसको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहता है ! इसी क्रम में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ग्रामीण महिला युवा शक्ति को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने हेतु संस्था द्वारा खापरी ग्राम में 90 दिवसीय गारमेंट मेकिंग ट्रेनिंग का शुभांरभ किया गया ! जिसमे लगभग 40 महिलाओं ने भाग लिया ! यह कार्यक्रम ग्राम में पड़े लिखे बेरोजगार महिला शक्ति को प्रोत्साहित करता है जो प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं का उद्यम स्थापित कर सकती है और जीवन में अपनी आय बढ़ा सकती है !  संस्था द्वारा यह कार्य प्रक्रियात्मक रूप से पूर्ण किया जाता है जिसमे सर्वप्रथम जो इस कार्यक्रम के लिए इच्छुक महिलायें है उन्हें चिन्हित किया जाता है फिर घर जाकर उनके परिवार के साथ विचार विमर्श कर उन्हें प्राथमिक तालिका में अंकित कर दिया जाता जाता है प्रशिक्षण प्रारम्भ होने पर जो  भी  महिला  शक्ति  तालिका के क्रम के अनुसार यथावत रहती है उसे प्रशिणार्थी मान कर प्रशिक्षण शिविर ...

ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना- आशा और आत्मनिर्भरता का मार्ग

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मेरा नाम सुनीता है मैं एक बहुत गरीब और विधवा महिला हूँ मेरे 1 बेटा है जो बहुत छोटा है पहले तो जैसे तैसे मैं अपना गुजारा कर लेती थी परन्तु बच्चे की शिक्षा, घर खर्च की वृद्धि को देखते हुए मेरा कार्य करना बहुत जरुरी था ! लेकिन मुझे कोई राह , दिशा , जानकारी प्राप्त न होने के कारण दिल में डर का भाव बना रहता था ! फिर पड़ोस की महिला के द्वारा मुझे स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला ! जिसमे सभी महिलायें मिलकर एक समूह गठित करती है और अपनी छोटी छोटी बचतों से एक दूसरे की मदद करती है यह बात जानकार मैंने एक समूह में अपना नाम लिखवा लिया और अपनी समूह के बचत के माध्यम से अपनी छोटी मोटी जरूरतों को इसी से पूरा करने लगी ! परन्तु मैं स्वयं का अपना कोई रोजगार डालना चाहती थी ! फिर हमारे समूह को 1 वर्ष पश्चायत बैंक से ऋण प्राप्त हुआ और फिर मैंने अपने कृषि  कार्य को प्रारंभ किया ! धीरे धीरे मैंने इस कार्य से प्राप्त राशि को बैंक किश्त रूप में अपने ऋण में चुकौती करवाई ! अपने इस कार्य को करने में पूर्ण स्वतंत्र हो गई ! स्वयं सहायता समूह महिलाओ को वो मंच प्रदान करता है जहां पर उसे अपने विचार अभिव्यक्त...

"सुरक्षित बचपन: शारीरिक स्पर्श और बच्चों के अधिकार"

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शारारिक स्पर्श वो अहसास है जो सामने वाले के मन का भाव प्रदर्शित करता है ! परिवार वालो का बच्चो के प्रति स्पर्श उनको प्यार और एक सीख देता है जबकि किसी अन्य बाहरी व्यक्ति का यकायक आपको छूना उसकी निर्लज्ज मानसिकता को दर्शाता है ! बच्चों के साथ हो रही ज्यायती इनको हीं भावना की और ले जाती है यह मानसिकता कभी कभी उनकी दुर्दशा का शिकार हो जाती है ! इसी क्रम में संस्था ग्रामीण स्कूली छात्राओं, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों , स्लम एरिया के बच्चों व् निर्धन बच्चों के साथ यह कार्यक्रम क्रियान्वित करती है ! जिसमे किसी व्यक्ति के हाथों से शारारिक स्पर्श करने की अवस्था को समझाया जाता है ! जो सही है या नहीं ये बालिग और नाबालिग दोनों के लिए बहुत जरुरी है ! यदि कोई आपको स्पर्श करे और वह स्पर्श आपको अच्छा लगे तो यह गुड टच कहलाया जाता है ! जैसे सर पर हाथ रखना , आदर सहित हाथ मिलाना आदि है जबकि अगर कोई आपको ऐसे टच करे की आपको वह स्पर्श बुरा लगे तो वह बेड टच कहलाया जाता है ! बच्चों को यह बात बताई जाती है की शरीर के किस किस अंगो पर गुड टच होता है व् किस अंग पर छुये तो वह बेड टच होता है बच्चो को इस बात के लिए विरोध ...

समर्थन और सहायता : दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समाज सेवाओं की अद्वितीय पहल

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था सदा ही दिव्यांगों के कार्य हेतु प्रयासरत में प्रत्यनशील है। समाज के इस उपेक्षित वर्ग को हमेशा किसी न किसी मदद की आवश्यकता रहती ही है। हमारे द्वारा की गई एक जरा सी मदद से उनके विकास की कुछ राहें संभव हो जाती है। हमारे गांव व समाज में कई दृष्टिबाधित, मूकबधिर, तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों का जिनके जीवन यापन के लिए स्वयं का ना तो कोई साधन है और ना ही व किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं जिससे वह समस्या से घिरे रहते हैं। व आर्थिक रूप से भी सशक्त नहीं होते कि स्वयं की समस्या हल कर सके। विकलांग का मुख्यता निम्न प्रकार की होती है। दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित,वाक बाधित, चलन बाधित, मानसिक रोगी, मानसिक मंदता वह बहु विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति होते हैं। विकलांगता में व्यक्तियों को अनेक प्रकार की चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस कारण से मन में निराशा, हताशा आदि के भाव आना स्वाभाविक होता है। हम ऐसे तरीके खोजने पढ़ते हैं जिससे उनका मानसिक संतुलन बना रहे और वह अपनी मानवियता न खोये इसके लिए संस्था द्वारा ऐसे व्यक्तियों को चश्...

मेहनत और ईमानदारी से स्वरोजगार की ओर: रुकमा की यात्रा

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मेरा नाम रुकमा है। मैं पीसांगन गांव में रहती हूं। मेरा परिवार बेहद गरीब है। मेरे तीन लड़कियां हैं। मेरे पति कभी कभी फुटकर मजदूरी करते हैं। मैं भी मजदूरी करके अपना घर चलाती हूं। मैं जैसे तैसे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाई हेतु भेज रही हूं जिससे वह साक्षर हो सके। मुझे एक दिन पंचायत से पता चला कि हमारे यहां राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा स्वयं सहायता समूह का कार्यक्रम करवाया जा रहा है। मैंने उसमें भाग लिया और एक समूह से जुड़ी धीरे-धीरे मुझे इसकी बारीकियाँ समझ में आने लगी और मैं अपनी छोटी-छोटी बचत उसमें जमा करने लगी और आपसे ऋण सहयोग से अपने घर की जरूरत को पूरा कर उस ऋण को चुकाने लगी। फिर संस्था द्वारा स्वरोजगार हेतु बैंक से हमें एक बड़ा लोन करवाया गया जिसको 2 वर्ष में पूर्ण अदा करना था। मैंने उन पैसों से अपनी एक लकड़ी की केबिन बनवाई और उसमें मनिहारी ( महिला श्रृंगार ) का सामान विक्रय करने लगी। मुख्य बाजार में मेरी केबिन होने की वजह से मेरी आमदनी अच्छी खासी होने लगी। धीरे-धीरे फिर और सामान मैंने अपनी केबिन में डाला। अब मुझे प्रति माह 10000 से 12000 की आय प्राप्त होने लग...

बाधाओं को तोड़ना: उद्यमिता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण संघर्ष से सफलता तक

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 मेरा नाम लाडू कंवर है और मैं पुष्कर के नजदीक डूंगरिया कला गांव में रहती हूं। मैं एक विधवा एकल महिला हूं घर में हालात सही नहीं है | घर के काम के अलावा मैं नरेगा में भी जाती हूं और उसी से अपना भरण पोषण करती हूं। मैं जीवन में कुछ करना चाहती हूं। मगर ज्ञान न होने की वजह से मेरे कदम पुनः पीछे आ जाते हैं। फिर एक दिन हमें पता चला कि गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द्वारा महिलाओं के लिए उद्यमिता वह लीडरशिप प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा जा रहा है, जिसमें महिलाओं को उद्यमिता वह लीडरशिप की संपूर्ण जानकारी प्रदान की जायेगी | गाँव के नजदीक सामुदायिक भवन में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया | जिसमें गांव की अधिक से अधिक महिलाएं पधारी | कार्यक्रम में संस्था के प्रतिनिधित्व द्वारा भारत के कुटीर उद्योग , हाथ करघा ,उघोग,पशुपालन,बैंकिंग,बचत व कई मुद्दों पर चर्चा की गई और बताया गया। किस तरह हम छोटी पूंजी से भी अपना घरेलू व्यवसाय चालू कर सकते हैं और अपनी आमदनी के स्त्रोत को उत्पन्न कर आर्थिक सशक्त जीवन व्यतीत कर सकते हैं। कार्यक्रम में पोस्टर प्रतियोगिता,प्रश्नोत्तरी,भाषण,खेलकूद के माध्यम से ...