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"चुप्पी के खिलाफ आवाज़ – अदिति गुप्ता और मासिक धर्म शिक्षा की क्रांति"

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भारत जैसे पारंपरिक समाज में मासिक धर्म को आज भी एक वर्जित विषय माना जाता है। इसके बारे में बात करना शर्म का कारण समझा जाता है, और खासकर किशोरियों और युवतियों को इस विषय पर सही जानकारी नहीं दी जाती। यही कारण है कि कई लड़कियाँ मासिक धर्म की शुरुआत में भ्रमित, भयभीत और असहज हो जाती हैं। लेकिन इस सामाजिक चुप्पी को तोड़ने और एक स्वस्थ संवाद शुरू करने का बीड़ा उठाया है अदिति गुप्ता ने। अदिति का मानना है कि मासिक धर्म कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे समझना और अपनाना बेहद ज़रूरी है। 2012 में अदिति गुप्ता ने अपने पति तुहिन पॉल के साथ मिलकर Menstrupedia.com की स्थापना की। यह भारत की पहली ऐसी वेबसाइट है जो मासिक धर्म से जुड़ी हर जानकारी को सरल, वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है। Menstrupedia न केवल एक वेबसाइट है, बल्कि यह एक आंदोलन बन चुका है जो किशोरियों, शिक्षकों, माता-पिताओं और यहां तक कि पुरुषों को भी इस विषय पर शिक्षित करने का प्रयास करता है। वेबसाइट पर कॉमिक्स, वीडियो, कहानियाँ और वैज्ञानिक जानकार...

"स्वच्छता की ओर एक कदम: ग्रामीण महिलाओं के लिए संस्थान की पहल"

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ग्रामीण भारत में महिलाओं का स्वास्थ्य और स्वच्छता एक ऐसा विषय है, जो आज भी सामाजिक संकोच और जानकारी की कमी के कारण उपेक्षित रहता है। खासकर मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर अनेक भ्रांतियाँ, असुविधाएं और संसाधनों की कमी आज भी महिलाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रभावित करती है। ऐसे समय में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित सैनिटरी पैड वितरण कार्यक्रम एक सराहनीय और दूरदर्शी पहल के रूप में सामने आया है। इस कार्यक्रम का आयोजन ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति जागरूक करने और उन्हें आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया। कार्यक्रम के अंतर्गत महिलाओं को न केवल नि:शुल्क सैनिटरी पैड वितरित किए गए, बल्कि उन्हें मासिक धर्म से जुड़ी स्वच्छता, देखभाल, संक्रमण से बचाव और सही उपयोग के बारे में भी प्रशिक्षण दिया गया। इससे महिलाओं को अपने शरीर के प्रति सम्मान और आत्मविश्वास की भावना मिली। कार्यक्रम में महिलाओं की सहभागिता उत्साहजनक रही। वे न सिर्फ सवाल पूछने के लिए आगे आईं, बल्कि इस विषय पर खुलकर बात भी की। यह बदलाव एक सकारात्मक संकेत है कि ग्रामीण महिलाएं ...