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"पोषण से परिवर्तन तक: वंचित बच्चों के लिए एक आशा की किरण"

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    भारत जैसे विकासशील देश में आज भी लाखों बच्चे कुपोषण और अस्वस्थ जीवनशैली से जूझ रहे हैं। खासकर झुग्गी-झोपड़ियों, स्लम और निचली बस्तियों में रहने वाले बच्चों को संतुलित आहार और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित न्यूट्रिशन कार्यक्रम एक प्रेरणादायक और समाजोपयोगी पहल के रूप में सामने आया है। यह कार्यक्रम विशेष रूप से झुग्गी-झोपड़ी, सड़कों, स्लम एरिया और निचली बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए आयोजित किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था – बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना, उन्हें साफ-सफाई और संतुलित आहार के प्रति जागरूक करना तथा उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देना। संस्थान के स्वयंसेवकों ने पूरे समर्पण और प्रेम के साथ बच्चों को पौष्टिक भोजन वितरित किया। बच्चों को दूध, फल, दाल, चावल और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ दिए गए। साथ ही उन्हें स्वच्छता के मूल सिद्धांत, हाथ धोने की आदत, और स्वस्थ दिनचर्या के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान बच्चों के चेहरे पर जो मुस्कान देखने को मिल...

छोटे कदम, बड़ी मुस्कान: सपनों को गर्माहट देती एक पहल

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कभी-कभी मदद के रूप में दिए गए छोटे-छोटे कदम किसी के जीवन में आशा की एक नई सुबह ले आते हैं। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जरूरतमंद स्कूली बालिकाओं को सर्दी से बचाव हेतु वितरित किए गए जूते, मोजे, स्वेटर, टोपी और दस्ताने न केवल शरीर को गर्म रखने वाले साधन थे, बल्कि उनमें छिपी थी संवेदना, अपनापन और एक उज्ज्वल भविष्य की आस। सर्दी का मौसम ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर कठिनाइयों से भरा होता है। जब कई बच्चियों के पास न तो पहनने के लिए पर्याप्त कपड़े होते हैं और न ही पैरों को ढकने के लिए जूते—तब ऐसे में संस्थान की यह पहल उन बच्चियों के लिए एक आशीर्वाद बनकर आई। स्वेटर और दस्तानों से कहीं ज्यादा, उन्हें मिला वह आत्मविश्वास जो उन्हें शिक्षा के पथ पर डगमगाने से बचाता है। संस्थान का यह कार्य सिर्फ एक वितरण कार्यक्रम नहीं था, यह एक स्नेह की डोर थी, जो समाज के उन हिस्सों तक पहुँची जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। यह प्रयास इस सोच को बल देता है कि समाज में समानता और अवसर तभी आ सकते हैं जब हम सभी को समान गरिमा और ज़रूरतें पूरी करने का हक दें। छोटी-छोटी बच्चियों की आँखों में चमक और उनके चेहरों ...

उम्मीदों के घर ( चिड़ियाघर )

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सच कहा है किसी ने घर बिना संसार अधूरा है न पहचान मिलती है न आसरा उसे.....राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इसी संदर्भ में हमारे भारत में पाए जाने वाले एक नन्हे जीव के लिए उम्मीद की किरण बनकर जहा में उभरा है ! जो उनको रहने के लिए आसरा व् दानापानी के लिए फीडर उपलब्ध करता है ! बयां एक छोटा सा पंछी है जो घरो ,पेड़ो, इमारतों पर अपना घास फूस का एक छोटा सा घोंसला बनाकर रहती है ! प्रदूषण,वायुमंडल,वातावरण परिवर्तन,केमिकल उपयोग,मानवीय दखल व् ओद्योगिकरण के चलते इसकी संख्या में बहुत तेजी से गिरावट देखने को भारत में मिली जो अब मानवीय अथक प्रयासों के कारण इनकी संख्या में कुछ इजाफा हुआ है !  संस्था ऐसे कई पर्यावरणीय प्रेमियो को इस बयां के रहने हेतु चिड़ियाघर व् फीडर उपलब्ध करवाती है ! जो इनके बचाव या पर्यावरण में स्थिरता लाना चाहते है ! यह पक्षी सामाजिक प्राणी है ! जो समूहों में रहता है ! यह अपने जोड़ों के साथ रहता है ! और प्रजनन करता है ! यह हमारे  घरो के आस पास खेतों में और ऐसी जगह आसानी से उपलब्ध हो जाते है ! जहा इनको भोजन प्राप्ति की सुविधा मिल सके यह पक्षी पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने के लिए...