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जल जागरूकता एक विश्वसनीय पहल की जरूरत

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जल हमारे जीवन का पर्याय है इस से ही जीवन का संचालन होता है ! यह हमारे दैनिक रोजमर्रा की सभी जरूरतों के लिए बहुत जरुरी है हमारी इस दुनिया में स्वच्छ पीने योग्य पानी मात्र 2 / ही है ! हमको इसके संचय करने के अनेको साधन खोजने होंगे तभी हम अपनी पीढ़ी को सुरक्षित रख पाएंगे ! इसी विषय को लेकर आज पूरी  दुनिया में इसको लेकर चिंतन किया जा रहा है ! जिसको लेकर कई सरकारें ,देश, संस्थाए, निकाय इस विषय पर प्रोत्साहन व् जागरूकता कार्यक्रम कर लोगो को सजग कर रहे है ! ताकि सभी इसके प्रति जागरूक बन सके ! इसे सबसे अच्छा बनाने के लिए हमे आने वाली सभी पीढ़ीयों को जागरूक बनाना होगा तभी इसे हम आगे तक बढ़ा पाएंगे ! नव चेतना यदि सजग व् जागरूक हो तो फिर कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही ज्वलन्त मुद्दों को स्कूली बालक-बालिकाओ के साथ कार्यक्रम सम्पादित करती है ! जिसमे उनको पोस्टर प्रदर्शन, व्याख्यान, रैली, खेलकूद, सेल्फी, अभिभाषण, अभिव्यक्ति, नाट्य मंचन, वाद-विवाद , विचार विमर्श व् कई प्रारूपों से समझाने व् बताने का कार्य करती है ! जिसको देख समझ कर सभी बालक बालिकाएं अति उत्सा

बालिका शिक्षा और बाल विवाह पर जागरूकता

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अपनी बेटी को अरमानों की डोली में बैठकर अपने ससुराल जाना किस बाप का एक अच्छा सपना नहीं होता है सब पिताओं का यही सपना उनकी जिंदगी भर की कमाई होता है ! बेटी का पालना , उसे पढ़ाना, बड़ा करना, समाज के सभी विषयों का ज्ञान देना फिर जब एक दिन बेटी ब्याह के लायक हो जाती है ! तो दिल पर अरमानों का एक बड़ा सा पत्थर रख कर उसको विदा करना जिंदगी का सबसे मार्मिक क्षण होता है ! जब बरबस ही उसकी आखों के आँसू उस पिता की विवशता को दर्शाते है ! यह क्षण अत्यंत यादगार होता है ! इसके विपरीत जब एक पिता के द्वारा अपनी नाबालिग  बच्ची का जब बाल विवाह किया जाता है तो यह एक हत्या के सामान करा जाने वाला कृत्य कहलाता है ! जो उस बच्ची का बचपन खा जाता है ! और उसे नर्क की आग में जलने को जिंदगी भर के लिए डाल देता है !  मेरा नाम बलवंत सिंह है मैं पेशे से एक कारीगर हूँ मेरे परिवार में मेरी पत्नी ,माता पिता, व् 4 लड़किया है जो क्रमशः 14, 12, 10, 8 वर्ष की है ! जो की सभी स्कूल में अध्ययनरत है ! मेरे परिवार में जब मेरी बहन की शादी  की तब वह नाबालिग थी जो एक बच्चे को जन्म देने के बाद चल बसी ! इस वजह से मेरे दिल में यह डर  व्याप्त ह

समाज में सम्मान और आत्म-संमान: शिक्षा के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव

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मेरा नाम गायत्री है ! मैं अजमेर के पास अजयसर गांव में रहती हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है ! जिसकी वजह से उनकी मजदूरी प्रभावित होती है ! इसलिए घर के संचालन के लिए मेरी माँ मजदूरी कार्य करती है ! हम 3 भाई बहन है ! मैं मे सबसे बड़ी हूँ ! एक बहन 10 वर्ष की है व् भाई 8 वर्ष का है ! इसी कारण मेरा भाई बस स्कूल जाता हैं ! वहम बहनें घर ही रहती हैं और काम करती है! मेरी आगे पड़ने की बहुत मंशा है ! मगर घर की विकट परिस्थिति के कारण मेरा अब स्कूल अध्ययन करना संभव नहीं हैं ! कभी कभी सारी इच्छाएं पूरी नहीं होती है ! हमे मौजूदा हालात से समझौता करना पड़ता है !   फिर एक दिन स्कूल प्रशासन ने मुझे बुलाया औ बताया की उसे आगे पढ़ने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अध्ययन हेतु 25 बालिकाओं में उसे भी जोड़ा गया है ! जिसमे उसको अध्ययन सम्बंधित सभी सुविधाये प्राप्त होगी ! उसे वर्ष भर के लिए स्कूल के अध्ययन हेतु समस्त सामग्री जैसे स्कूल बैग, कॉपी, किताब, स्टेशनरी, जयोमेक्ट्री बॉक्स, कलर सेट,एग्जामिनेशन बोर्ड, स्कूल ड्रेस, जूते, मौजे, स्वेटर, जाकेट, हाइजीन किट, व् छात्रवर्ती दी जाएगी ! यह बात सुन आकर मेरे मन

बाधाओं को पार करते हुए: सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए प्रिया की लड़ाई

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इंडियन आर्मी में आज महिलाएं ऊंचे ऊंचे पदों पर कार्यरत हैं। मगर पहले एक वक्त था जब सेना में केवल पुरुष ही भर्ती हुआ करते थे, लेकिन एक चिट्ठी ने सब कुछ बदल दिया जिसके बाद इंडियन आर्मी में महिलाओं के लिए रास्ते खुल गए। यह उस महिला की कहानी है जिसने जमाने की सोच का विरोध करते हुए इंडियन आर्मी में जाने का सपना देखा | बता दे कि उसे दौर में महिलाओं को इंडियन आर्मी में जाने पर पाबंदी थी, जिसके खिलाफ प्रिया ने सरकार को चिट्ठी लिखी थी। प्रिया जीवन का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर में हुआ था। प्रिया के पिता एक पुलिस अफसर थे। जिस वजह से उनके घर पर काफी अनुशासन था। इसके बावजूद भी प्रिया बचपन में बहुत शैतान थी। प्रिया की पढ़ाई लोरेंटो कान्वेंट तारा कोल स्कूल से पूरी हुई | स्कूल में भी वे अपनी चंचलता के लिए जानी जाती थी। प्रिया बचपन से ही लड़कों की तरह रहती थी। वह जब भी कुछ ठान लेती थी, उसे पूरा किए बिना हार नहीं मानती थी। बचपन से ही उनके शौक लड़कों की तरह थे। वह खेल कूद में अपनी टोली की सरदार भी रहा करती थी। प्रिया जब नौवीं क्लास में पढ़ती थी तब उन्होंने पहली बार सेना में जाने का मन बनाया। दरअसल उ

दहेज प्रथा से महिला स्वतंत्रता: समाज का संकल्प

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भारत में वैसे तो परंपरागत रूप से आज भी कई कुरितीयां  विद्यमान है। बाल विवाह,निरक्षरता,दहेज प्रथा,सती प्रथा,पर्दा प्रथा,बहु विवाह, विधवा विवाह विरोध,जातिवाद, और सांप्रदायिकता प्रमुख है। दहेज प्रथा के नाम पर यह एक प्रचलित सामाजिक बुराई है जो संपत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ से दी जाती है। इस बुराई में महिलाओं के प्रति कठोर यातनाएं और अपराध उत्पन्न हुयें हैं। एक गरीब पिता की अपनी पुत्री का विवाह करना बहुत ही कठिन में कष्टदायक हो जाता है। इस अभिशाप से लड़की का जीवन नर्क के समान बन जाता है जिसके लिए उसके परिवार द्वारा उसे प्रताड़ित भी किया जाता है। दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ है बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने के लिए कई बार किया गया है। इसके कारण वर वधू के परिवारों के बीच दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। दहेज प्रथा के ये विभत्स परिणाम हमें देखने को मिलते हैं। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज प्रथा अभी भी विकराल रूप में है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस कार्य में कई भरसक प्रयास किया ज

बच्चों की सुरक्षा: समाज में जागरूकता की ओर एक कदम

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 मेरा नाम शारदा है, मेरी उम्र 14 वर्ष है। मैं अजमेर के ब्यावर रोड पर स्ट्रीट में रहती हूं। बच्चों की सुरक्षा होना कौन नहीं चाहता परंतु हर वक्त माता-पिता बच्चों के साथ नहीं रह सकते हैं । सभी परिवार अपने बच्चों की सुरक्षा चाहते हैं। बच्चों को इसकी शिक्षा का ज्ञान होना बेहद जरुरी है | इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा झुग्गी झोपड़ी व स्लम एरिया के बच्चों के साथ गुड टच बेड टच कार्यक्रम रखा गया, जिसमें हमारे इलाके के सभी बच्चों ने भाग लिया। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था प्रतिनिधियों ने बताया अच्छा स्पर्श व बुरा स्पर्श क्या होता है ? अगर कोई आपके सिर पर हाथ फेर रहा है बालों को खिला रहा है या गाल खींच रहा है तो उसे गुड टच कहते हैं। परंतु जब कोई वही सर के नीचे हिस्सों को छुए या ऐसे हिस्सों को छूयें जहां आपको अच्छा ना लगे तो वह बेड टच होता है। बच्चों के इस बदलते व्यवहार के बारे में आपको जानकारी रखनी चाहिए। ऐसे में छोटे बच्चों के साथ विश्वास का रिश्ता कायम करना बेहद जरूरी हो जाता है। बच्चों के साथ परिवार वाले ऐसा व्यवहार रखें जिससे वह अपनी सभी बातें आपसे शेयर करें

शिक्षा के प्रति आत्मनिर्भरता: एक परिवर्तन की ताकत शिक्षा से जीवन की ओर

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  मेरा नाम नीतू है और मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय केसरपुरा में छठी क्लास की छात्रा हूं मेरे पिता का एक सड़क दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया है वह घर में मेरी विकलांग माँ और एक भाई है स्कूल में पढ़ने के लिए मेरे पास फीस तक पैसे नहीं है जिसका कारण मुझे अध्ययन में  बहुत परेशानी हो रही है इस परेशानी से मैंने शाला प्रधान को अवगत कराया उनके द्वारा मुझे राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों के बारे में बताया। व इस विषय पर उनसे मेरी बात भी करवाई गई | फिर दिन संस्था के कुछ प्रतिनिधि पाठशाला में आए वे शाला प्रधान से मेरे घर जाने की बात कर हमारी स्थिति को जांचा व पुन् शाला में आकार आश्वासन दिया की हम तुम्हारी फीस व शिक्षण सामग्री का बंदोबस्त करते हैं फिर एक दिन शाला प्रधान को उन्होंने एक वर्ष की फीस की रकम एक साथ शाला में जमा करा दी | इस बात से मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हुआ उनका यह कार्य मुझे और लगन देगा जिससे मैं और अच्छा पढ़ लिखकर कुछ बनकर अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओ को पूरा कर सकूँ | समाज में ऐसा कई निराश्रित परिवार है जिनके बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं मगर घर की माली हालत व गरीबी

आने वाले कल का भविष्य बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

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  मेरा नाम नीति है और मैं कक्षा 9  वी की छात्रा हूँ  घर में मेरे माँ व भाई है अधिक शराब के सेवन के कारण पूवऺ मे मेरे पिता का देहान्त हो गया हमारे समाज में आज भी बेटीयों को आगे तक पढ़ाया नहीं जाता है व क ई बार कन्या भूत हत्या तक की जाती है मेरी माँ मजदूरी करती है इतना सब कुछ परिवार चलाने के लिए संभव नहीं हो पाता है परन्तु एक दिन स्कूल प्रशासन द्वारा मुझे बताया कि उन्होंने उसका नाम संस्था मे लिखवाया है जिससे उसे कुछ मदद मिल सकेगी | कुछ दिन बाद राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के प्रतिनिधि हमारे घर आये व मेरा सवऺ कर संस्था द्वारा बेटी बचाओ व बेटी पढ़ाओ में मेरा नाम सवऺ लिस्ट में लिख लिया | इस कार्यक्रम में संस्था द्वारा रैली, प्रतियोगिता, चित्रकला, काॅम्पिडिसन, प्रशनोतरी, व आपसी चचाऺ कर यह कार्यक्रम किया गया | जिसमें बताया गया कि कन्या भूण हत्या पर पूणऺत पांबन्दि हो, समाज में लिंगानुपात समान हो, कोई भेदभाव न हो, सबको शिक्षा का अधिकार हो व सामाजिक स्वत्रंता भी सबको प्राप्त हो सकें | कार्यक्रम में जो गरीब तबके की बालिकाऐ स्कूल में अध्ययन कर रही है उनके लिये शिक्षा प्रोत्साहन हेतु स्कूल