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ग्रामीण स्कूलों में यौन और प्रजनन स्वास्थ्य जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

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मेरा नाम जगदीश है और में अजमेर के ग्रामीण स्कूल में अध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ हमारे यहाँ वर्ष भर स्कूली बालिकाओ के साथ विभिन्न मुद्दों पर कार्यक्रम करवाये जाते रहते है ! जिसमे राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बहुत योगदान रहता है ! सामान्यतया यौन प्रजनन एक सोचनीय विषय है जिस पर आज भी हमारे समाज, घर, बाहर, आदि जगहों पर खुलकर चर्चाये नहीं की जाती है ! प्रमुखता यौन प्रजनन स्वास्थ्य  में मुख्य बिंदु समाहित रहते है ! जिसमे यौन रोग प्रजनन स्वास्थ्य, स्त्री पुरुष प्रजनन तंत्र, माहवारी चक्र व् स्वछता, लिंग समानता, बाल विवाह, परिवार नियोजन, प्रजनन तंत्र संक्रमण, यौन संचारित रोग / एच. आई. वी / एड्स  के बारे में खुलकर समझाया जाये ! संस्था इस विषय पर बालिकाओ से चर्चा भी करती है और उनकी झिझक, शर्मिदगी, बालपन आदि के कारण वे भी कभी कभी बोल नहीं पाती है ! जो उनके जीवन के लिए बड़ी कठिनाइयाँ देने वाले पल होते है ! उनकी जैसी प्रतिक्रिया पर ही समाज उन्हें सदा दबाये रहता है ! स्कूलों में यह  शिक्षा को सर्वव्यापी बना देना चाहिये ! जिससे उनको इसका सम्पूर्ण ज्ञान हो सके ! और उनको अपनी शारारिक स्वास्थ्य क

एक पिता की आशा: शिक्षा के माध्यम से बच्चों के भविष्य को सवस्थ और उज्ज्वल बनाना

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मेरा नाम किशन लाल है और मैं एक गरीब किसान हूँ जो जैसे तैसे अपने परिवार का भरण पोषण करता हूँ ! मेरे परिवार में मेरी पत्नी व् माँ और 2 बेटे और 3 बेटियाँ  है ! दोनों बेटे मेरा कृषि कार्य में साथ देते है व् 2 बेटियाँ पढ़ने जाती है ! एक बेटी को में पड़ने में असमर्थ हूँ दिल तो बहुत करता है मगर अपनी गरीबी, लाचारी, व् विवशता के कारण मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है ! इस बात को मैंने स्कूल प्रशासन को भी बताकर आया था ! फिर एक दिन स्कूल से हमारे यहाँ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान से कुछ प्रतिनिधि हमारे घर आये ! उन्होंने बताया मेरी बेटी को वो आगे पढ़ने में मदद करेंगे ! उनकी बात सुनकर मेरा दिल ख़ुशी से झूम उठा ! फिर उन्होंने कुछ सवाल पूछे व् मेरी बेटी का सर्वे प्रपत्र फॉर्म भरा गया !  इसके कुछ दिन बाद मेरी बेटी को स्कूल में दाखिला मिल गया !और वह फिर से शिक्षा प्राप्त करने स्कूल जाने लगी ! एक पिता होने के नाते अपनी बेटी के प्रति मेरे भी कुछ सपने है ! वह भी उच्च शिक्षा प्राप्त करे और समाज में अपना नाम कमाये व् देश की तरक्की में अपना योगदान दे ! इन सभी बातों का आज मुझे साराँश नजर आ गया ! अब जिंदगी में क

लैंगिक असमानता: महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और उसकी जटिलताएँ

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लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है ! परम्परागत रूप से समाज में महिलाओं को कमजोर वर्ग के रूप में देखा जाता है ! वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान, और भेदभाव से पीड़ित होती है ! महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है ! यह असमानता कई प्रकार से हो सकती है ! इसमें रोजगार और पदोन्नति के मामले में महिलाओ को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है ! नौकरी के अवसरों और वेतनमान के मामले में पुरुषों को महिलाओँ पर प्राथमिकता दी जाती है ! स्वामित्य असामनता में कई समाजों में सम्पति का स्वामित्व असमान है !  जहा भी पुरुष प्रधान समाज होगा वह स्त्री सदा तिरस्कार पूर्ण जीवन व्यतीत करेगी ! यहाँ पर स्त्री को इतनी प्राथमिकता नहीं दी जायेगी ! ये अक्सर भेदभाव या लिंगवाद के द्वारा ही उत्पन्न होता है ! इसके मुख्य कारण गरीबी, लिंग, धर्म, और जाति है ! लैंगिक भेदभाव, सामाजिक मानदंडो और प्रयासों के प्रचलन के कारण, लड़कियों के बाल विवाह, किशोरावस्था  में गर्भधारण, बाल घरेलु कार्य, ख़राब शिक्षा प्रणाली, ख़राब  स्वास्थ्य, यौन शोषण, शोषण और हिंसा की संभावना बढ़ जाती है इनमे

महिलाओं का सम्मान: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सशक्तिकरण और समानता

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नारी शक्ति, अभिमान, ज्ञान, त्याग, बलिदान, की मूरत है। हमारा भारतीय समाज सर्वप्रथम नारी पूजने से ही अपने कार्य को प्रारंभ करता है। महिलाएं जीवन को गति प्रदान करती है। हमारे यहां नारी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। महिला दिवस कार्यक्रम का अर्थ है महिलाओं की अहमियत को समझने के लिए लोगों को जागरूक करना उनके लिए ऐसे समाज का निर्माण करना जहां महिलाएं खुद को जुड़ा हुआ और सशक्त महसूस करें। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारियों और तरक्की के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को समाज में समानता, समरसता और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा 8 मार्च 2024 को अजमेर के लामाना व नारेली गांव में बड़ी धूमधाम के साथ महिला दिवस कार्यक्रम मनाया गया | जिसमें लगभग 1475 महिलाएं शामिल हुई। महिला जागरूकता और महिला सशक्तिकरण की भावना से संस्था द्वारा उनके साथ सगोष्ठी, नाटक, नृत्य, प्रतियोगिता, रेस, खेलकूद, बैनर, चर्चा, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से कई आयोजन ह

समाजिक परिवर्तन: कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता

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 कन्या भ्रूण हत्या एक कानूनी अपराध होने के साथ-साथ सामाजिक अपराध भी है क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या इसी तरह जारी रही तो 1 दिन हम अपना परिवार,समाज,व अपनी नस्ल तक को खो देंगे। जिस दिन हम अपनी बेटियों को बेटों के बराबर समझने लगेंगे उस दिन कन्या भ्रूण हत्या अपने आप रुक जाएगी। लैंगिक समानता सिर्फ समान प्रतिनिधित्व से कई अधिक है। यह महिलाओं के अधिकारों के दृढ़ता से जुड़ी हुई जुड़ी हुई है | अशिक्षा,गरीबी व पुराने रीति -रिवाज इसका मुख्य कारण है। यह जरूरी है महिला और पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हो। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इसको देखते हुए बालिकाओं से संबंधित हमारे यहाँ कई कार्यक्रम किये जा रहे हैं। जैसे बेटी बचाओ -बेटी पढ़ाओ,शिक्षा हर बालिका का अधिकार,कन्या विवाह कार्यक्रम,बालिका शिक्षा हेतु शिक्षण सामग्री वितरण, महिला कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करना, उद्यमिता व लीडरशिप कार्यक्रम करना, स्वरोजगार प्रशिक्षण,छात्रवृत्ति प्रदान करना, स्वास्थ्य हेतु हाइजीन बनाना,विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम करना, लिंग समानता आधारित हिंसा रोकना इत्यादि काम संस्था के द्वारा किये जाते हैं | हमारा समाज आज भी