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"पोषण से परिवर्तन तक: वंचित बच्चों के लिए एक आशा की किरण"

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    भारत जैसे विकासशील देश में आज भी लाखों बच्चे कुपोषण और अस्वस्थ जीवनशैली से जूझ रहे हैं। खासकर झुग्गी-झोपड़ियों, स्लम और निचली बस्तियों में रहने वाले बच्चों को संतुलित आहार और स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा आयोजित न्यूट्रिशन कार्यक्रम एक प्रेरणादायक और समाजोपयोगी पहल के रूप में सामने आया है। यह कार्यक्रम विशेष रूप से झुग्गी-झोपड़ी, सड़कों, स्लम एरिया और निचली बस्तियों में रहने वाले बच्चों के लिए आयोजित किया गया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था – बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना, उन्हें साफ-सफाई और संतुलित आहार के प्रति जागरूक करना तथा उनके शारीरिक और मानसिक विकास को बढ़ावा देना। संस्थान के स्वयंसेवकों ने पूरे समर्पण और प्रेम के साथ बच्चों को पौष्टिक भोजन वितरित किया। बच्चों को दूध, फल, दाल, चावल और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ दिए गए। साथ ही उन्हें स्वच्छता के मूल सिद्धांत, हाथ धोने की आदत, और स्वस्थ दिनचर्या के बारे में भी जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान बच्चों के चेहरे पर जो मुस्कान देखने को मिल...

"स्वस्थ्य, पोषण और आर्थिक सुरक्षा: किसानों के लिए फलदार पौधों का निःशुल्क वितरण"

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान पर्यावरण के सन्दर्भ में विभिन्न प्रकार के कई तरह के कार्यक्रम वर्ष भर करते है जिसमें गरीब किसानों को फलदार पौधों का वितरण भी किया जाता है भारत में कृषि क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है लेकिन कृषि पर निर्भर किसानों को अक्सर कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे की पैदावार का कम होना, मानसून की अनिश्चियता और बाजार में सही मूल्य का न मिलना।  इस सन्दर्भ में गरीब किसानों को फलदार पौधों का निःशुल्क वितरण एक अभिनव और प्रभावी कदम साबित हो सकता है।  जो न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकता है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगा।  संस्था द्वारा आर्थिक स्थिरता स्वास्थ्य और पोषण व दीर्घ कालिक विकास के उदेश्य को ध्यान में रखते हुये इन्हे पौधों का वितरण किया जाता है यह कार्यक्रम गरीब किसानों को खाद्य सुरक्षा , स्वास्थ्य लाभ और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाता है।  गरीब किसानों को फलदार पौधो का निःशुल्क वितरण एक सकारात्मक पहल है।  जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है यह केवल उनकी...

कुपोषण से लड़ना: शहरी गरीबी में पोषण शिविरों की भूमिका

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 मेरा नाम शंकर बावरिया है मैं पुष्कर की झुग्गी झोपड़ी इलाके में रहता हूं पेशे से मैं मांग कर अपने परिवार का जीवन यापन करता हूं मेरे तीन बच्चे हैं, व पत्नी और माँ घर में रहती है। गरीबी एक अभिशाप है जिसमें इंसान तिल तिल कर मरता है और कभी-कभी अपनी खाने तक की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है । बच्चों और परिवार को कभी-कभी पोषण का अभाव वे खाने तक का अभाव हो जाता है। हमारे यहां राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा गरीब बच्चों के लिए पोषण शिविरक कार्यक्रम समय -समय पर लगाए जाते हैं, जिसमें बच्चों को न्यूट्रिशन, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट जैसी कई खाद्य सामग्रियां उनके हाथों को धूलवा कर उन्हें प्रदान की जाती है। इसके सेवन से इन बच्चों का स्वास्थ्य बहुत हद तक ठीक हो रहा है। वह उनके शरीर का विकास शनै-शनै हो रहा है। यह कार्यक्रम बच्चों के शारीरिक विकास में बहुत उपयोगी है। इसमें बच्चों को पनीर,मिठाई ,फल, चने, दाल, दूध आदि दिया जाता है जिससे बढ़ते बच्चों के लिए यह बहुत सहायक सिद्ध होता है। संस्था प्रतिनिधि इस कार्यक्रम से पहले स्वच्छता का सबको ज्ञान देते हैं ताकि सभी स्वस्थ व स्वच्छ रह...