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समाज में सम्मान और आत्म-संमान: शिक्षा के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव

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मेरा नाम गायत्री है ! मैं अजमेर के पास अजयसर गांव में रहती हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है ! जिसकी वजह से उनकी मजदूरी प्रभावित होती है ! इसलिए घर के संचालन के लिए मेरी माँ मजदूरी कार्य करती है ! हम 3 भाई बहन है ! मैं मे सबसे बड़ी हूँ ! एक बहन 10 वर्ष की है व् भाई 8 वर्ष का है ! इसी कारण मेरा भाई बस स्कूल जाता हैं ! वहम बहनें घर ही रहती हैं और काम करती है! मेरी आगे पड़ने की बहुत मंशा है ! मगर घर की विकट परिस्थिति के कारण मेरा अब स्कूल अध्ययन करना संभव नहीं हैं ! कभी कभी सारी इच्छाएं पूरी नहीं होती है ! हमे मौजूदा हालात से समझौता करना पड़ता है !   फिर एक दिन स्कूल प्रशासन ने मुझे बुलाया औ बताया की उसे आगे पढ़ने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अध्ययन हेतु 25 बालिकाओं में उसे भी जोड़ा गया है ! जिसमे उसको अध्ययन सम्बंधित सभी सुविधाये प्राप्त होगी ! उसे वर्ष भर के लिए स्कूल के अध्ययन हेतु समस्त सामग्री जैसे स्कूल बैग, कॉपी, किताब, स्टेशनरी, जयोमेक्ट्री बॉक्स, कलर सेट,एग्जामिनेशन बोर्ड, स्कूल ड्रेस, जूते, मौजे, स्वेटर, जाकेट, हाइजीन किट, व् छात्रवर्ती दी जाएगी ! यह बात सुन आकर मेरे मन

शिक्षा के प्रति आत्मनिर्भरता: एक परिवर्तन की ताकत शिक्षा से जीवन की ओर

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  मेरा नाम नीतू है और मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय केसरपुरा में छठी क्लास की छात्रा हूं मेरे पिता का एक सड़क दुर्घटना में स्वर्गवास हो गया है वह घर में मेरी विकलांग माँ और एक भाई है स्कूल में पढ़ने के लिए मेरे पास फीस तक पैसे नहीं है जिसका कारण मुझे अध्ययन में  बहुत परेशानी हो रही है इस परेशानी से मैंने शाला प्रधान को अवगत कराया उनके द्वारा मुझे राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों के बारे में बताया। व इस विषय पर उनसे मेरी बात भी करवाई गई | फिर दिन संस्था के कुछ प्रतिनिधि पाठशाला में आए वे शाला प्रधान से मेरे घर जाने की बात कर हमारी स्थिति को जांचा व पुन् शाला में आकार आश्वासन दिया की हम तुम्हारी फीस व शिक्षण सामग्री का बंदोबस्त करते हैं फिर एक दिन शाला प्रधान को उन्होंने एक वर्ष की फीस की रकम एक साथ शाला में जमा करा दी | इस बात से मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हुआ उनका यह कार्य मुझे और लगन देगा जिससे मैं और अच्छा पढ़ लिखकर कुछ बनकर अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओ को पूरा कर सकूँ | समाज में ऐसा कई निराश्रित परिवार है जिनके बच्चे पढ़ना तो चाहते हैं मगर घर की माली हालत व गरीबी