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बालिका शिक्षा और बाल विवाह पर जागरूकता

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अपनी बेटी को अरमानों की डोली में बैठकर अपने ससुराल जाना किस बाप का एक अच्छा सपना नहीं होता है सब पिताओं का यही सपना उनकी जिंदगी भर की कमाई होता है ! बेटी का पालना , उसे पढ़ाना, बड़ा करना, समाज के सभी विषयों का ज्ञान देना फिर जब एक दिन बेटी ब्याह के लायक हो जाती है ! तो दिल पर अरमानों का एक बड़ा सा पत्थर रख कर उसको विदा करना जिंदगी का सबसे मार्मिक क्षण होता है ! जब बरबस ही उसकी आखों के आँसू उस पिता की विवशता को दर्शाते है ! यह क्षण अत्यंत यादगार होता है ! इसके विपरीत जब एक पिता के द्वारा अपनी नाबालिग  बच्ची का जब बाल विवाह किया जाता है तो यह एक हत्या के सामान करा जाने वाला कृत्य कहलाता है ! जो उस बच्ची का बचपन खा जाता है ! और उसे नर्क की आग में जलने को जिंदगी भर के लिए डाल देता है !  मेरा नाम बलवंत सिंह है मैं पेशे से एक कारीगर हूँ मेरे परिवार में मेरी पत्नी ,माता पिता, व् 4 लड़किया है जो क्रमशः 14, 12, 10, 8 वर्ष की है ! जो की सभी स्कूल में अध्ययनरत है ! मेरे परिवार में जब मेरी बहन की शादी  की तब वह नाबालिग थी जो एक बच्चे को जन्म देने के बाद चल बसी ! इस वजह से मेरे दिल में यह डर  व्याप्त ह

संस्कार शिक्षा व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम

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शि क्षा मानव व्यवहार परिवर्तन करने का सबसे बड़ा अंग है। शिक्षा से ही ज्ञान, कर्म, श्रद्धा प्राप्त होती है। जो उनके जीवन में बदलाव लाती  है। शिक्षा जीवन  का अनमोल उपहार है। जो वयक्ति के जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल देती है। और संस्कार जीवन का सार है। अगर आपके संस्कार सही है तो आपकी शिक्षा भी सही दिशा में जाएगी हमारा दायित्व है समाज की इस बढ़ती युवा पीढ़ी को सही मार्ग दिखाए। ताकि आने कल अच्छा हो , स्कूल में शिक्षा व् घर पर संस्कारो को लेकर उनके साथ रोजाना बातचीत की जाये तो बच्चे स्वयं ही नैतिक मूल्य व् संस्कारो के प्रति सजग रहेंगे। जिस से हमारा दायित्व भी पूरा हो जायेगा।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्व्रारा सहर के स्लम भागो में , झुगी - झोपड़ियों इलाके , कच्ची बस्तियों में गरीब बच्चो के साथ संस्कार शिक्षा व् व्यवहार परिवर्तन पर कार्यक्रम में साँप - सीढ़ी गेम के माध्यम से इस विषये पर बच्चो को पूर्ण जानकारियाँ दी जाती है। जिस से उनका मानसिक विकास बढ़े। और उनकी बौद्धिक समताये भी विकसित हो सके। यह नैतिक विकास करता है व् हमारी सोच में सही गलत को जानने , पहचानने, की समताये विकसित करता है। इस से

समृद्ध भारत की दिशा में युवाओं का योगदान: शिक्षा, संगठन और प्रेरणा

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  स्वच्छ भारत मिशन देशभर में व्यापक और राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू किया गया था। इस अभियान के अंतर्गत हाथ से सफाई करने की प्रथा को समाप्त करना, नगरिय ठोस अपशिष्ट का आधुनिक और वैज्ञानिक प्रबंध करना, स्वस्थ स्वच्छता संबंधी आदतों के संभव में लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और जन स्वास्थ्य से इसके संबद्ध होने के बारे में जागरूकता लाना है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अघोसंरचना को साफ सुधार करना और कूड़ा साफ रखना है। इनमें स्वच्छता वे स्वास्थ्यता को लेकर सभी कार्य किए जाते हैं और खुले में सच में भारत के सपने को ये साकार कर रहे हैं। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा लगभग 9 ग्रामीण इलाके के गांव में 9 सरकारी स्कूलों के अंतर्गत यह कार्यक्रम करवाया गया जिसमें स्कूल के टीचर्स बच्चे व राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम ने मिलकर स्कूलों की सफाई की, वहां फैली गंदगी को इकट्ठा कर उसका निस्तारण किया,सभी टॉयलेट साफ किये,वृक्षों के किनारे गड्ढे किये व उसमें पानी दिया, वह खुले में सोच ना करें इसके लिए सभी को प्रेरित किया। शारीरिक साफ सफाई की ओर भी संस्था द्वारा यह बताया गया।इस कार्यक्