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ऋतु स्त्राव चक्र और प्रजनन स्वास्थ्य: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बालिकाओं को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

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मेरा नाम प्रिंयका है मैं कक्षा 10 वी की छात्रा हूँ मेरे माता पिता किसान है हमारी वार्षिक जरूरतें सब खेती कार्य से सम्पन होती है घर में एक भाई व् एक बहन है हम सभी स्कूल में अध्ययनरत है एक दिन मुझे बहुत तेजी से पेट में दर्द हुआ जो बहुत असहनीय था यह बात मैंने अपनी माँ को बताई तो उन्होंने मुझे ऋतू स्त्राव चक्र के बारे बताया और कहा महिलाओ के लिए होना बहुत जरुरी है और उन्होंने मुझे सेनेटरी पेड उपयोग करने को कहा व् सलाह दी ! 5  दिन बाद मुझे राहत महसूस हुई ! फिर यह प्रकिर्या हर माह होने लगी ! वह मुझ में शारारिक बदलाव भी होने लगे जिसको में किसी को बतला नहीं पाती थी ! इसके कुछ दिनों पश्च्यात हमारी स्कूल में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा स्कूली बालिकाओ के शिक्षा विकास को लेकर एक कार्यक्रम किया गया ! जिसमे सभी स्कूली बालिकाओ को यौन प्रजनन एवं जागरूकता कार्यक्रम हमारे साथ किया गया ! इस कार्यक्रम में बताया गया किस तरह बालिकाओ में 13 से 15 वर्ष की उम्र में ऋतु स्त्राव चक्र प्रारम्भ होता है ! और यह कब तक रहता है कैसे महिला व् पुरुषों में शारारिक बदलाव होते है और जननांग विकसित होते है ! कैसे , क

शिक्षा समाज का प्रथम सोपान और अभिव्यक्ति की आजादी

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  शिक्षा हमारे जीवन का आधार है ! इसके बिना जीवन की कल्पना करना निरर्थक है ! आज भी हमारे समाज में बालिका शिक्षा को बढ़ावा नहीं दिया जाता है इसी कारण हमारी शिक्षा का स्तर अभी काफी नीचे सोपान पर है शिक्षा से वयक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है व् उसे उन्मुखीकरण की और अग्रसित करती है व् सकारात्मक विचारों को हमारे ह्रदय में जन्म देती है ! किसी भी स्वत्रंत व् विकासशील राष्ट्र के लिए शिक्षा सभी के लिए बहुत जरुरी है ! इस से नेतृत्व करने की क्षमता का विकास होता है व् सामाजिक द्रृष्टिकोण भी बदलता है परम्परागत कुरीतियाँ और विचारधाराओ को बदलना बहुत जरुरी है तभी हम अच्छे राष्ट्र व् समाज की परिकल्पना को सार्थक कर सकेंगे !    इसी सन्दर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अजमेर के लगभग 139  ग्रामीण स्कूलो में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ! जिसमें समाज व् गांव के निराश्रित ,गरीब ,असहाय ,विकलांग ,बेसहारा , बालिका को प्रोत्साहित किया जा रहा है ! जिसमे उनको वर्ष भर के लिए स्कूल बैग ,स्टेसनरी , कॉपी , किताब , जेयोमैट्री बॉक्स ,कलर सेट , पेन , रबर , पेंसिल , ड्रैस ,

सामाजिक उत्थान की दिशा में: राजस्थान में ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण और जीवन कौशल विकास

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रा जस्थान समग्र कल्याण संस्थान अजमेर दवारा ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा रहा है जिस में लगभग 35 युवतिया भाग ले रही है। इस कार्यक्रम के भी  अलावा उनको जीवन सम्बन्धी कई मुद्दों पर चर्चाये व कार्यक्रम किया जाता है। जीवन शिक्षा उन्हें बढ़ने और विकसित होने के साथ किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। इसमें निर्णय लेने की प्रकिया में मुद्दों को पहचाना  ,आकड़े एकत्र करना, संभावित कार्यवाही के तरीके तैयार करना , विकल्पों का मूल्यांकन करना और सोच समझ कर निर्णय लेना शामिल है। जीवन कौशल विकास कार्य का मार्ग है।  जीवन कौशल शिक्षा ,किशोरियों के सकारात्मक सामाजिक व् मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी मनोसामाजिक हस्तक्षेप रणनीति पाई गई है। जो मुकाबला करने की रणनीतियो को मजबूत करने और आत्मविश्वास व् भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने जैसे सभी पहलुओ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जीवन कौशल युवाओ में जीवन की वास्तविकताओ का सामना करने के लिए मानसिक  स्वास्थ्य एवं क्षमता को प्रोत्साहित करते है। इस मई हमें आत्मसम्मान, जागरूकता, सहानभूति, महत्वपूर्ण, सोच, रचनात्मक

दिव्यांग बच्चों को सशक्त बनाना: अभिनव घर-आधारित शिक्षा पहल

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा विकलांग बच्चों के साथ कई कार्यक्रम किए जाते हैं। इनमें इन्हें घरेलू बेसिक शिक्षा भी दी जाती है जो बच्चे विकलांगता के कारण स्कूल जाने में असमर्थ हैं। उन्हें स्पेशल एजुकेटसऺ के माध्यम से उन्हें घर पर ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है। गंभीर रूप से बहु दिव्यांग बच्चों को होम बेस्ड शिक्षा के लिए दर्जनों सामग्रियों से उन्हें समझाया जाता है। इनमें लकड़ी, प्लास्टिक के विभिन्न मॉडल अंग्रेजी व हिंदी में अल्फाबेटिक नंबर, नंबर आकर, आकृतियों का पहला, शरीर के अंग, फल, सब्जियां, यातायात साधनों के चार्ट, विभिन्न प्रकार के पैग बोर्ड, म्यूजिकल इक्विपमेंट, किचन व डॉक्टर सेट विभिन्न प्रकार के हिस्टोरिकल चाटऺ, पशु पक्षियों के चार्ट काउंटिंग फ्रेम सहित सामग्रियां होती है। इस कार्यक्रम में उनके आत्मनिर्णय शक्ति को बढ़ाया जाता है और शारीरिक क्रियाकलाप से गतिविधियां भी कराई जाती है जिससे उनकी मांसपेशियों में खिंचाव हो और वह शारीरिक क्रियाएं कर सके। यह सकारात्मकता को बढ़ावा देती है। व स्वयं कार्य करने की क्षमता का वधऺन करती है। उनके साथ सामाजिक बनकर भावनात्मक लगाव रखें, जिससे व

बच्चों के लिए शिक्षा और संस्कार शिविर: जीवन में सकारात्मक परिवर्तन

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 मेरा नाम आकाश है और मैं माक्कड़वाली के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके में रहता हूं। परिवार में माता-पिता भाई व बहन है। हमारी आय अधिक न होने के कारण हम आगे पढ़ाई नहीं कर सके | जिससे हमें अनुशासन,संस्कार व अन्य चीजों के बारे में कुछ नहीं पता है। जीवन को अच्छा जीने का कौशल हमें नहीं आता है। हमारा बचपन घर के काम करने व खेल कूद में ही निकल जाता है। हमारे जीवन में सब किस तरह से संभव हो, यह हमें नहीं पाता है। इसके लिए हमारे यहां एक समाजसेवी संस्था द्वारा अनुशासन व संस्कार शिविर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्था द्वारा बताया गया कि बच्चों में शिक्षा के साथ अनुशासन  व संस्कार क्यों अति आवश्यक है। सभी को अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु जीवन में ये दोनों बातें अपनानी बहुत जरूरी है। शिक्षा और विकास के क्षेत्र में अनुशासन महत्वपूर्ण विषय है। अनुशासन मानवीय संसाधनों का एक मूल तत्व है जो व्यक्ति को संगठित करने,समय प्रबंधन करने, लक्षण की प्राप्ति के लिए कर्मकता और संगठनशीलता को विकसित करता है। बच्चों के बौद्धिक विकास क्षमताओं को निखारने का काम करते हैं। जीवन एक चुनौती पूर्ण लक्ष्य है। इसकी प्राप्ति के लिए इनका