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भारत में आत्मविश्वास की और महिला शक्ति के बढ़ते कदम

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भारत में आज का युग बदलता युग है ! जहा एक और परम्परावादी रूढ़ियों का समाप्तीकरण हो रहा है वही दूसरी और भारत  का हर वर्ग शिक्षित व् आत्मनिर्भर बनता जा रहा है आज के इस बदलते युग में महिलाये भी आगे आकर सशक्तिकरण कर रही है और स्वय को शिक्षा या किसी कार्य  के माध्यम से आत्मनिर्भर बना रही है ! महिलाओ की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ दिया जाये तो  वह स्वय के साथ साथ अपने परिवार का भरण पोषण भी कर सकती है व् उनका सामाजिक, आर्थिक ,शैक्षिणक स्तर बढ़ाती है स्वरोजगार की भावना को प्रेरित करती है !   राजस्थान सम्रग कल्याण संस्थान द्वारा इसी क्रम में 3 माह की ब्यूटी पार्लर ट्रेनिंग परियोजना का समापन करवाया गया ! जिसमे सभी प्रशिणार्थियों व् संस्था प्रतिनिधियों द्वारा हर्सोउल्लास से समापन गतिविधियाँ करवाई गई ! जिसमे सभी महिलाओ द्वारा मेहंदी प्रतियोगिता , दुल्हन श्रृंगार ,रेमवॉक ,सावन महोत्सव ,रंगोली सजावट , सर्वश्रेष्ठ छात्रा पुरस्कार ,सक्रिय छात्रा पुरस्कार , गीत - संगीत , नृत्य ,व् विभिन गतिविधियों  के माध्यम से हर्ष के साथ इसे समापित किया गया व् कार्यक्रम के अं

सामाजिक उत्थान की दिशा में: राजस्थान में ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण और जीवन कौशल विकास

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रा जस्थान समग्र कल्याण संस्थान अजमेर दवारा ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम किया जा रहा है जिस में लगभग 35 युवतिया भाग ले रही है। इस कार्यक्रम के भी  अलावा उनको जीवन सम्बन्धी कई मुद्दों पर चर्चाये व कार्यक्रम किया जाता है। जीवन शिक्षा उन्हें बढ़ने और विकसित होने के साथ किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करती है। इसमें निर्णय लेने की प्रकिया में मुद्दों को पहचाना  ,आकड़े एकत्र करना, संभावित कार्यवाही के तरीके तैयार करना , विकल्पों का मूल्यांकन करना और सोच समझ कर निर्णय लेना शामिल है। जीवन कौशल विकास कार्य का मार्ग है।  जीवन कौशल शिक्षा ,किशोरियों के सकारात्मक सामाजिक व् मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी मनोसामाजिक हस्तक्षेप रणनीति पाई गई है। जो मुकाबला करने की रणनीतियो को मजबूत करने और आत्मविश्वास व् भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करने जैसे सभी पहलुओ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जीवन कौशल युवाओ में जीवन की वास्तविकताओ का सामना करने के लिए मानसिक  स्वास्थ्य एवं क्षमता को प्रोत्साहित करते है। इस मई हमें आत्मसम्मान, जागरूकता, सहानभूति, महत्वपूर्ण, सोच, रचनात्मक

आत्मनिर्भरता की ओर: एक महिला उद्यमिता की कहानी

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मेरा नाम नेहा वर्मा है मैंने स्नातक कर रखा है और अभी से घर पर ही रहती हूं। घर में माता-पिता व दो भाई हैं। पिता का छोटा सा कार्य है वे भाई पढ़ते हैं पढ़ने के बाद मेरी शुरू से इच्छा थी कि मैं कोई अपना व्यवसाय चलाऊं जिससे मुझे मेरा नाम और पैसे दोनों की प्राप्ति हो सके। सौंदर्य श्रृंगार में मेरी रुचि बहुत थी। सुंदर दिखना आकर्षण का परिचायक होता है और यही शुरू से मेरी इच्छा रही फिर मेरी सहेली से मुझे ज्ञात हुआ कि राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे यहां ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है जिसमें सर्व के दौरान मैंने अपना नाम अंकित करवा लिया इसके लिए परिवार से मैंने सहमति ही प्राप्त कर ली। कुछ दिनों पश्चात यह प्रशिक्षण शिविर प्रारंभ हुआ। इसमें हम 30 महिलाएं थी। इस कार्यक्रम में हमें प्रत्येक दिन 8 घंटे का प्रशिक्षण दिया जाने लगा, जिसमें महिलाओं के साज श्रृंगार के सभी काम हमें बारी-बारी सिखाए जाने लगे। 3 माह के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक कुशल मास्टर ट्रेनर के नेतृत्व में हमने अपना ब्यूटी पार्लर काम जारी रखा।   इस कार्यक्रम में हम सभी को साथ समय- समय पर अन्य और भी कार्य

आत्मनिर्भरता का निर्माण: सिलाई कौशल के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा सतत रूप से महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कार्यक्रम किए जाते रहते हैं। संस्था द्वारा इन सभी कार्यों में महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया जाता है। वह उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता है। इसमें जरूरत मंद महिलाओं को सर्वे किया जाता है जिसमें 30 से 35 महिलाओं का एक समूह बनाया जाता है। उसके बाद साक्षात्कार करके उनके विचार में गतिविधि पूछ कर आर्थिक गतिविधि से जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया जाता है। शहर के पास में लामाना गांव में संस्था द्वारा सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें महिलाओं से संबंधित व बच्चों के कपड़े सिलना शामिल है। यह कार्यक्रम 90 दिवस का होता है जिसमें प्रत्येक दिन 8 घंटे उनके साथ मौखिक में व्यावहारिक कार्य किए जाते हैं ताकि इस गतिविधि को सीखकर यह सभी अपनी आर्थिक जीवन नैया को आसानी पूर्वक चला सके। इसमें सिलाई से संबंधित सभी बातें उनको बताई जाती है। जैसे सुईयों के प्रकार, उनके नंबर, कपड़ों के विभिन्न प्रकार, सिलाई के तरीके, इससे संबंधित सभी उपकरण के बारे में विस्तृत रूप से बताया जाता है। वह इसके कार्य जैसे धागा भरना, तुरपन, बखियां, गोट

दिव्यांग युवाओं को सशक्त बनाना : अवसरों का सृजन परिवर्तन की प्रेरणा

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हमारे देश में आज बहुत तरक्की कर ली है। विभिन्न प्रकार के कार्य सभी के लिए है जिसमें वह अपनी आय अर्जित कर सकें। गांव में समाज में ऐसे बहुत से विकलांग जन है जिनके पास किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं। ऐसे दिव्यांगों का सर्वे कर उन्हें चिन्हित किया जाता है और उनकों रोजगार के लिए प्रेरित किया भी जाता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इनके साथ व्यावसायिक प्रशिक्षण कराए जाते हैं, जिसमें परचूनी की दुकान, पंचर की दुकान, सब्जी दुकान, कौशल विकास के कार्य, हाथ करधा कार्य, हस्तशिल्प, बागवानी, कंप्यूटर शिक्षा, बिजली फिटिंग कार्य, व्हीकल रिपेयरिंग व और भी कार्य कराए जाते हैं। यह सभी कार्य उनके कौशल को बढ़ाते हैं और क्षमतावधऺन करते हैं। इससे उनमें कार्य कुशलता बढ़ती है। इस कार्य की सीख और उसे स्थापित करने से रोजगार पनपता है और उनका आर्थिक विकास भी होता है।  इस कार्यक्रम का उद्देश्य विकलांग युवाओं को व्यावसायिक कौशल निर्माण और प्लेसमेंट समर्थन निर्माण के माध्यम से वितिय रूप में स्वतंत्र जीवन जीने में सक्षम बनाना है। कौशल निर्माण और रोजगार सहायता की दिशा में निदेशित प्रयासों के माध्यम से प्रशिक्षु

महिला सशक्तिकरण द्वारा स्वरोजगार: एक गांव प्रगति की ओर

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मेरा नाम मैंना नायक है, मैं एक गृहणी हूं। घर में मेरे चार बच्चे हैं। वह पति मजदूरी का कार्य करते हैं। हमारा गांव अभी भी बहुत पिछड़ा हुआ है। यहां रोजगार संबंधी कोई भी साधन उपलब्ध नहीं है जिसके कारण  हमें यहाँ रोजगार नहीं मिल पाता है अतः हमारी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। फिर बच्चों की पढ़ाई का खर्च बहुत अधिक हो जाता है। कुछ माह पुवऺ हमारे गांव में RSKS की टीम आई | उनके द्वारा महिलाओं के लिए   SHG का कार्यक्रम रखा गया जिसमें बहुत सारी महिलाओं ने भाग लिया। वहाँ उन्हें बहुत अधिक जानकारियां दी गई। उनके द्वारा बनाए गये SHG में मैंने भी अपना नाम लिखवा लिया। समय-समय पर मीटिंग के माध्यम से वह हमें बचत करने की प्रेरणा सीखते थे और अपनी बचत को SHG की महिलाओं में आपसी ऋण के रूप में बांटने के लिए प्रेरित करते थे। धीरे-धीरे फिर हमनें बैंक से स्वरोजगार लिए ऋण आवेदन किया। उसके बाद मैंने संस्था के माध्यम से सिलाई प्रशिक्षण में अपना नाम लिखवा दिया। प्रशिक्षण में हमें सभी प्रकार के वस्त्र सिलना सिखाया गया। और उस काम में हमें पांरगत किया फिर हमें बैंक से जो ऋण प्राप्त हुआ, उससे मैंने सिलाई मशीन खरीद कर घर

दिव्यांग व्यक्तियों को सशक्त बनाना: राजस्थान की व्यापक कल्याण पहल

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किसी व्यक्ति के शारीरिक,मानसिक, ऐन्द्रिक,बौद्धिक विकास में किसी प्रकार की कमी को इंगित करता है। विकलांगता शरीर या दिमाग की कोई भी स्थिति (हानि) है जो इस स्थिति वाले व्यक्ति के लिए कुछ गतिविधियां व उनके आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करना ( भागीदारी प्रबंध ) को और कठिन बना देती है। विकलांगता में मुख्य प्रकार से अंधता,कम दृष्टि,कुष्ठ रोग, मुक्त श्रवण शक्ति का ह्रास, चलन दिव्यांगता, मानसिक मंदता व मानसिक रुग्णता प्रमुख है। या यूं कहा जाए कोई भी व्यक्ति किसी कार्य को शारीरिक या मानसिक रूप से पूरा न कर पाए वह विकलांगता है। भारत में कुल जनसंख्या अनुपात में 2.21% व्यक्ति दिव्यांग है। विकलांगता एक शारीरिक,मानसिक,संज्ञानात्मक,या विकासात्मक स्थिति जो कि किसी व्यक्ति की कुछ कार्यों में संलग्न होने या सामान्य दैनिक गतिविधियों और इंटरैक्शन में भाग लेने की क्षमता को खराब करती है हस्तक्षेप करती है या सीमित करती है।  विकलांगता कहलाई जाती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा दिव्यांगों हेतु अनेक कार्यक्रम किए जाते हैं जिनमें उनका ग्रामीण गांव में जाकर सर्वे कर उन्हें चिन्हित किया जाता है। फिर उनके

राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान: महिलाओं के सामर्थ्य को बढ़ाते हुए ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा अजमेर के काई शहरी ,अधऀशहरी,व ग्रामीण भागों में उघमिता विकास को लेकर महिलाओं के साथ उनके कौशल विकास को निखारने के लिए कई प्रशिक्षण कार्यक्रम किए जाते हैं जिनमें आज के युग में प्रचलित ब्यूटी पार्लर बहुत ही प्रचलित कार्य है। संस्था द्वारा सर्वप्रथम किसी गांव व शहर के इलाके में जाकर वहाँ सर्वे किया जाता है जिसमें युवा वर्ग की महिलाओं को शामिल किया जाता है। घर-घर जाकर सर्वे में उनसे उनकी स्थिति वह अभिरुचि तय कर उनका नाम लिस्ट में जोड़ा जाता है। फिर एक साक्षात्कार किया जाता है जिसमें उन्हें कार्यक्रम की रूपरेखा समझाई जाती है। वह बीच में इसको ना छोड़ने की आज्ञा भी दी जाती है। सभी सर्वे कार्य साक्षात्कार पूर्ण हो जाने के बाद मां के जन्म प्रतिनिधि या समाजसेवी के द्वारा इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया जाता है। जीवन में महत्वाकांक्षी होना बहुत जरूरी है और महिला शक्ति अपने कार्य के प्रति बड़ी सजग रहती है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। इस बढ़ते युग में सौंदर्य प्रसाधन भी बढ़ रहा है। इसको देखते हुए ब्यूटी पार्लर व्यवसाय सफल वह अच्छा कार्य है। राजस्थ

परिवर्तन के धागे: सिलाई के माध्यम से सशक्तिकरण

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मेरा नाम सुनीता कंवर है। मैं एक विधवा महिला हूं। मेरे छः बच्चे हैं जो अभी बहुत ही छोटे हैं। पति का एक एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया है। घर में एक बुढ़ी सास है अब मुझे मेरा वह मेरे बच्चों का पालन पोषण करना बहुत ही कठिन हो गया है। मेरे पास अन्य कोई साधन भी नहीं जिसके उपयोग से मैं अपने परिवार का निवऺहन कर सकूं। इस बात की जानकारी मैंने गांव की एक महिला की मदद से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था तक पहुचाई | जिससे मुझे कुछ मदद मिल सके। फिर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा संस्था प्रतिनिधियों ने मेरा सर्वे किया है जिसमें मुझे आजीविका के साधन अपनाने हेतु सुझाव दिया। मैंने उन्हें बताया मुझे कुछ सिलाई आती है फिर उनके द्वारा मुझे एक सिलाई प्रशिक्षण में मेरा नाम जुड़वां दिया गया। मैंने 90 दिन की कठिन परिश्रम से इस प्रशिक्षण में और अच्छा सिलाई कार्य सीखा। फिर इसके पश्चात संस्था द्वारा मुझे एक सिलाई मशीन का वितरण किया गया जिससे मैं स्वयं का कार्य प्रारंभ कर अपने बच्चों व अपने परिवार का भरण पोषण कर सकूं। सिलाई मशीन मिलने के पश्चात मैंने समीप के पुष्कर गांव में अंग्रेजों के वस्त्र सिलन

महिलाओं के लिए कौशल विकास: आर्थिक स्वतंत्रता की मेरी राह

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  मेरा नाम एकता है मैं एक गृहणी हूँ घर में सास, ससुर, पति व 1 बच्चा है मेरी पढ़ाई 12 तक पूरी हुई फिर इसके बाद मैं अपना  एक दिन मुझे अजमेर की प्रतहस्थ जीवन व्यतीत करने लगी वैसे तो देखा जाये हर नारी को खूबसूरत दिखना व साज श्रृंगार करना बहुत अच्छा लगता हैं इसी रूचि के देखते हुए मैंने कई बार ब्यूटी पार्लर कोसऺ करने की सोची परन्तु किसी ना किसी कारण से अपनी अभिरुचि को इतना समय नहीं दे पाई एक दिन अजमेर की प्रतिष्ठित संस्था राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का मालूम चला जो महिलाओं के लिये रोजगार सम्बंधित प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम आयोजित करती है | उनके द्वारा हमारे यहाँ घर घर सवऺ कार्यक्रम हुआ वे हमारे घर आये उनके बताने और काफी समझाईश के बाद परिवार की स्वकृति के के बाद अपनी रूचि को देखकर मैंने अपना नाम इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में लिखवा दिया | संस्था द्वारा 90 दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हमें ब्यूटी पार्लर के सभी कार्य सिखाये गयें जिसमें केश सज्जा, मेंहदी कार्य, फेशियल, नैल कटिंग, पैडिक्योर, वैक्सीन, मेनिक्योर, ब्लीचिंग, बाल कलर करना, बाल स्ट्रेट करना, बाॅडी मसाज, इत्यादि थे | संस्था के मास्टर

आत्मविश्वास को अपनी पहचान बनाना ( बैग मेकिंग कार्यक्रम )

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  मेरा नाम मोनिका है मैंने बी. ए कर रखा है व मेरे परिवार में माँ, पिताजी, व एक भाई है पढाई पूरी करने के बाद मैं खाली सी हो गई हूँ कोई कार्य हाथ में ना होने के कारण मैं कुछ परेशान सी रहने लगी पर एक दिन  मेरी सहेली के द्वारा पता चला  गाँव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा हमारे गाँव में महिलाओं के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ होने जा रहा है जिसमें संस्था कार्यक्रता सवऺ हेतु हमारे घर आये और बताया कि किस तरह इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर हम स्वयं का अपना व्यवसाय घर से ही प्रारंभ कर सकते हैं वे एक हुनर को अपना जीवन सफल बना सकते हैं मुझे ये जानकर बेहद खुशी हुई व मैंने इस कार्यक्रम में रूचि दिखाते हुए अपना नाम प्रविष्ट करवा दिया | फिर संस्था द्वारा 3 माह का बैग मेकिंग कार्यक्रम हमारे यहाँ आयोजित किया गया | जिसमें विभिन्न प्रकार के बैग जिसमें कपड़े, रेगजीन, चमड़े, सन, जूट व स्कूल बैग, घरेलू सामान बैग आदि सिखाने का कार्यक्रम रखा |पहले तो कुछ परेशानी हुई परन्तु अच्छे मास्टर टैनर द्धारा बैग मैकिंग के कुछ बारिक बातें बताई गई जिसमें हमारी समस्या का निदान कर हम जल्दी इस कार्य को सिखने

प्रशिक्षण से सशक्तिकरण तक: कौशल विकास में ग्रामीण महिलाओं की यात्रा

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अजमेर के ग्रामीण भागो में उनके जीवन को निखारने व् विकासशील बनाने हेतु संस्था की टीम द्वारा 20 गांव में 650 महिलाओ के साथ जीवन कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया। जिसमे उनको विभिन गतिविधियों के माध्यम से जीवन को बेहत्तर बनाने हेतु कई गतिविधिया उनके साथ करवाई जाती है। यह कार्यक्रम उनमे चेतना का विकास करता है और अपने जीवन को एक दिशा देने का काम करता है यह परम्परागत तरीको को पीछे छोड़ विकास की नै तकनीक व् मुद्दों पर चर्चा करता है।  इस प्रशिक्षण में लगभग एक गांव की 30 महिलाओ को इस कार्यक्रम में सम्मिलित किया जाता है और इनको कई गतिविधियों जैसे एक्टिविटी गेम्स ,रिंग,गिलास गेम्स  के माद्यम से , मैजिक , सांप सीढ़ी ,बैलून ,कांच की गोलियों के द्वारा रेस ,पेपर मार्कर इत्यादि के द्वारा उनका ज्ञान वर्द्धन किया जाता है इसमें 18 से 45 वर्ष की सभी बालिका व् महिलाये भाग लेती है। इस उत्त्साह वर्द्धन कार्यक्रम के माध्यम से उन सभी में जागरूकता का विकास होता है। व् अपने जीवन के नए नए आयामों का चुनाव करती है। ताकि अपने जीवन को और बेहतर और सुचारु रूप से चला सके।  जीवन को जीने