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गरीब किसानों की मदद में एक कदम: खाद और बीज के माध्यम से आत्मनिर्भरता की ओर

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान वर्षो से समाज के विभिन्न विषयों पर कार्यरत है जो समाज को एक सकारात्मक दृष्टि प्रदान करने का कार्य कर रही है ! जो उनको लक्ष्य प्राप्ति तक पहुंचाने में मदद करती है भारत एक कृषि प्रधान देश है परन्तु यह मानसून पर पूर्णता निर्भर है दूसरे देशो की अपेक्षाकृत भारतीये किसान एक छोटे तबके का गरीब व्यक्ति है जो पनि खेती के लिए भी कर्जा लेकर कार्य करता है और सदा कर्जे के बोझ तले दबा रहता है इस परिस्थिति में हमारे बहुत से छोटे किसानो के पास उपलब्द्य साधन मौजूद नहीं है जो उसको अच्छे दर्जे की उपज दिलवाने में उसकी मदद कर सके ! कई बार धन के आभाव में भी यह खेती नहीं कर पाते है! मिट्टी हमारी सोना है यदि सही साधन और सही फसले हमे सही समय से प्राप्त हो तो किसानों की स्थिति इतनी दयनीय नहीं बनेगी !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ऐसे ही किसानो के संग संस्था प्रति वर्ष खाद बीज वितरण का कार्य करती है जो उसे ले पाने में असमर्थ्य है होते है  इसके द्वारा उनको पुनः प्रोत्साहित किया जाता है किन वो पुनः अपने कृषि कार्य में लगे और अपने खेत व् उपज पर ध्यान दे सके ! भारत सरचनात्मक दृष

एक पिता की संघर्ष और समर्पण गरीब परिवार की बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम

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मेरा नाम भेरूलाल है मैं एक फुटकर मजदूरी कार्य करता हूँ ! मेरे घर पर पत्नी व् 2 बेटियाँ  है व् दोनों स्कूल पढ़ने जाती है ! मैं एक निरक्षर पिता हूँ ! जो सभी की जानकारी नहीं रख सकता हूँ परन्तु मेरी पत्नी और मैंने शादी के 2 वर्ष बाद अपनी पहली पुत्री को जन्म दिया जो पूर्णता स्वस्थ थी इसमें मैंने पत्नी को पूर्ण आहार जैसे प्रोटीन , विटामिन, व् खाने पिने की सभी जरूरतों का ध्यान रखा !जब यह बच्ची 3 वर्ष की हुई तब मेरी पत्नी को दूसरा गर्भ धारण करवाया ताकि माँ और बच्चा स्वस्थ्य बने रहे ! दूसरी बच्ची होने के बाद मैंने ऑपरेशन करवा लिया क्योकि 2 से ज्यादा बच्चो का लालन पालन मैं अच्छे से नहीं कर पाता ! अंत यही मेरे लिए सब कुछ है मैंने अपनी लड़कियों  को हमेशा लड़को की तरह पाला व् बड़ा किया ! उन्हें वो हर बात कहने की आजादी दी जो सभी के हित में ही हो, मेरी पत्नी भी मेरे कार्यो में पूर्णता सहयोग करती है !  मेरी सबसे बड़ी बेटी 9 क्लास में है व् छोटी 6 क्लास में है ! बच्चियाँ धीरे धीरे बड़ी हो रही है मेरी पत्नी उनके शारारिक विकास, समस्याएं व् कुछ भी बात हो उनका विशेष ध्यान रखती है ! एक बेटी अपनी माँ को सबसे अच्छा

सपनों की उम्मीद और शिक्षा की राह: एक बालिका की कहानी

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जिंदगी में अगर सपनें सच हो जाये तो जिंदगी के अरमान हो कुछ और होते है ! दुनिया में हर कोई सपने देखता है व् छोटे बड़े कुछ भी हो सकते है ! जिंदगी हर कोई अपने नजरिये से जीना चाहता है मगर सामाजिक रीति -रिवाज, रिश्ते, प्रचलन, दिखावा आदि में फंस कर ही रह जाते है ! कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ ! मेरा नाम बरखा है मैं 16 वर्ष की हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है हम घर में कुल 7 सदस्य है दादा दादी भी हमारे साथ रहते है शेष 2 मेरे भाई है वे स्कूल पढ़ने जाते परन्तु दादा जी की इच्छा है की मैं अपनी आँखो  से वो मेरी शादी देखें ! इसलिए पिता जी ने मेरा स्कूल छुड़वा दिया और मेरा रिश्ता तय कर दिया ! जिस वजह से मुझ में बहुत निराशा भर गई ! स्कूल जाने और आगे पढ़ाई करने का मैंने पिता जी कहा पर वह समाज, दादा के वचन और प्रथाओं से जुड़े थे ! इस लिए इंकार कर दिया !  फिर एक दिन स्कूल प्रशासन द्वारा एक गैर वित्तीय संस्थान जिसका नाम राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान है ! जो वंचित, गरीबी, निर्धन, विकलांग, जरूरतमंद बालिकाओं के लिए शिक्षा सम्बन्धी कार्य करती है उनके प्रतिनिधि हमारे घर आये और सभी परिवार जनों से बातचीत की ! उन्होंने बत

भारत में आत्मविश्वास की और महिला शक्ति के बढ़ते कदम

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भारत में आज का युग बदलता युग है ! जहा एक और परम्परावादी रूढ़ियों का समाप्तीकरण हो रहा है वही दूसरी और भारत  का हर वर्ग शिक्षित व् आत्मनिर्भर बनता जा रहा है आज के इस बदलते युग में महिलाये भी आगे आकर सशक्तिकरण कर रही है और स्वय को शिक्षा या किसी कार्य  के माध्यम से आत्मनिर्भर बना रही है ! महिलाओ की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ दिया जाये तो  वह स्वय के साथ साथ अपने परिवार का भरण पोषण भी कर सकती है व् उनका सामाजिक, आर्थिक ,शैक्षिणक स्तर बढ़ाती है स्वरोजगार की भावना को प्रेरित करती है !   राजस्थान सम्रग कल्याण संस्थान द्वारा इसी क्रम में 3 माह की ब्यूटी पार्लर ट्रेनिंग परियोजना का समापन करवाया गया ! जिसमे सभी प्रशिणार्थियों व् संस्था प्रतिनिधियों द्वारा हर्सोउल्लास से समापन गतिविधियाँ करवाई गई ! जिसमे सभी महिलाओ द्वारा मेहंदी प्रतियोगिता , दुल्हन श्रृंगार ,रेमवॉक ,सावन महोत्सव ,रंगोली सजावट , सर्वश्रेष्ठ छात्रा पुरस्कार ,सक्रिय छात्रा पुरस्कार , गीत - संगीत , नृत्य ,व् विभिन गतिविधियों  के माध्यम से हर्ष के साथ इसे समापित किया गया व् कार्यक्रम के अं

आत्मनिर्भरता का निर्माण: सिलाई कौशल के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा सतत रूप से महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कार्यक्रम किए जाते रहते हैं। संस्था द्वारा इन सभी कार्यों में महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ाया जाता है। वह उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाता है। इसमें जरूरत मंद महिलाओं को सर्वे किया जाता है जिसमें 30 से 35 महिलाओं का एक समूह बनाया जाता है। उसके बाद साक्षात्कार करके उनके विचार में गतिविधि पूछ कर आर्थिक गतिविधि से जोड़ने का कार्य प्रारंभ किया जाता है। शहर के पास में लामाना गांव में संस्था द्वारा सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें महिलाओं से संबंधित व बच्चों के कपड़े सिलना शामिल है। यह कार्यक्रम 90 दिवस का होता है जिसमें प्रत्येक दिन 8 घंटे उनके साथ मौखिक में व्यावहारिक कार्य किए जाते हैं ताकि इस गतिविधि को सीखकर यह सभी अपनी आर्थिक जीवन नैया को आसानी पूर्वक चला सके। इसमें सिलाई से संबंधित सभी बातें उनको बताई जाती है। जैसे सुईयों के प्रकार, उनके नंबर, कपड़ों के विभिन्न प्रकार, सिलाई के तरीके, इससे संबंधित सभी उपकरण के बारे में विस्तृत रूप से बताया जाता है। वह इसके कार्य जैसे धागा भरना, तुरपन, बखियां, गोट

आशा की किरण: जीवन में परिवर्तन मेरी कहानी

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  मेरा नाम सुरेश है, मैं सरवाड़ गांव में रहता हूं। मैं पोलियो के कारण एक हाथ और एक पैर से अपाहिज़ हूँ घर में माता-पिता है जो काफी बुजुर्ग है। विकलांगता के कारण मैं कुछ भी कार्य करने में असमर्थ हूं। इस बात से सभी चिन्तित है कि मैं स्वयं का भरण पोषण कैसे कर पाऊंगा। अपनी बात को किससे कह पाऊंगा। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम हमारे गांव में आई और उन्होंने गांव के सभी दिव्यांगों का सर्वे कर उनकी जरूरत से पूछी। मैंने अपनी सभी बातें उनको बताई। फिर संस्था द्वारा मेरा UDID कार्ड ,दिव्यांगता प्रमाण पत्र,व पेंशन फॉर्म भर गया। दिव्यांगों को दी जाने वाली पेंशन में लाभ उठाने के लिए कम से कम विकलांग व्यक्ति को 40℅ विकलांगता का सर्टिफिकेट देना होगा। विकलांग पेंशन योजना के तहत लाभार्थियों को प्रदान किए जाने वाली धनराशि सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में सरकार द्वारा ट्रांसफर की जाएगी। इसके लिए आवेदक का अकाउंट होना जरूरी है। यह एक ऑनलाइन पोर्टल के जरिए इसमें लाभार्थी का फॉर्म भरा जाता है। इसमें लाभार्थी को ₹500 पेंशन दी जाती है। यह कोई बड़ी रकम तो नहीं लेकिन विकलांग लोग को अपनी निजी वस