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किचन गार्डन: स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए एक संकल्प

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की तरफ से बागवानी कार्यक्रम के तहत किचन गार्डन कार्य भी किया जाता है  किचन गार्डन में अपने घर के पिछवाड़े में रसोई के अपशिष्ट जल का उपयोग करके फल और सब्जियां उगाना शामिल है। इसे किचन गार्डन माना जाता है। यह सब्जी उगाने का एक छोटे पैमाने का रूप है। किचन गार्डनिंग से हमें ताजी सब्जियां और हब्सऺ घर पर ही मिल जाती है। इन्हें बाजार से लाने की जरूरत नहीं पड़ती। यह बिना कीटनाशक वाली होती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक होती है। किचन गार्डनिंग करने से हम प्रकृति में पर्यावरण का पोषण भी करते हैं क्योंकि इससे हरियाली बढ़ती है, पर्यावरण स्वच्छ रहता है। यह कार्य कम खर्च वह बिना रखरखाव के भी पूरा हो जाता है। इसे लगाने हेतु ज्यादा जमीन की आवश्यकता नहीं होती। इससे हमें ऑर्गेनिक फूड मिलता है। हम अपने किचन गार्डन में टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी पालक, मैथी, गोभी, बैंगन, पुदीना, धनिया आदि लगा सकते हैं। इसमें बस गमले में मिट्टी डालकर उसमें गोबर खाद और कुछ सूखी पत्तियां डाल दें व खुरपी चलाकर इनमें सब्जी के बीच रोप दें। इसमें इनमें ज्यादा पानी की आवश्यकता भी नहीं होती है