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"ठिठुरती सर्दी में गर्माहट की सौगात: गरीब बच्चों के लिए एक मानवीय प्रयास"

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  सर्दी का मौसम जहां कुछ के लिए गर्म कपड़े, रज़ाई और आराम का प्रतीक है, वहीं समाज के कई वंचित वर्गों के लिए यह मौसम संघर्ष और बीमारी का कारण बन जाता है। खासकर गरीब बच्चे जो झुग्गियों, सड़कों और स्लम बस्तियों में रहते हैं, उनके लिए सर्दी की ठिठुरन एक गंभीर खतरा बन जाती है। इस परिस्थिति को समझते हुए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने एक सराहनीय कदम उठाया है।संस्थान ने हाल ही में सर्दियों के मौसम में गरीब बच्चों को राहत पहुँचाने के उद्देश्य से एक "सर्दी से सुरक्षा अभियान" चलाया। इस अभियान के अंतर्गत बच्चों को टोपी, मोज़े, दस्ताने (हाथ के ग्लव्स), क्रॉक्स (जूते) आदि गर्म वस्तुएँ वितरित की गईं। इस पहल का उद्देश्य केवल वस्त्र देना नहीं था, बल्कि बच्चों को यह महसूस कराना था कि वे अकेले नहीं हैं। समाज का एक संवेदनशील वर्ग उनके साथ है जो उनकी आवश्यकताओं को समझता है और उनके लिए खड़ा है। सर्दी से बचाने वाले ये साधन न केवल उन्हें शारीरिक राहत देंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी उन्हें सुरक्षित और cared for महसूस कराएँगे। कार्यक्रम के दौरान बच्चों के चेहरों पर मुस्कान, उनकी आँखों में चमक और उ...

"बीज से बगिया तक: बच्चों को पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में मार्गदर्शन"

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आज के इस बढ़ते दौर में पर्यावरण का हास्र सम्पूर्ण मानव जाती के लिए एक चिंताजनक विषय है।  हमारा कर्त्तव्य है हम इसकी रक्षा करें इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा स्कूली बच्चों के साथ पर्यावरण संरक्षण पर यह कार्य किया गया।  जिसमे लगभग 42 स्कूल थे। हमारा पर्यावरण हमे प्राकर्तिक संसाधन, ऑक्सीजन, जल, भूमि, और अन्य चीजों से पोषित करता है हालांकि आजकल तेजी से बढ़ती जनसँख्या , प्रदूषण और मानवीय घटको के कारण हमारे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। ऐसे में हमे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाने की जरुरत है इस दिशा में स्कूलों का योगदान बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है क्योकि स्कूल बच्चों को शिक्षा और जागरूकता प्रदान करने का सबसे अच्छा ध्येय होते है।  आजकल स्कूलों में विभिन्न तरह के पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इनमें से एक प्रमुख कार्यक्रम है बीज वितरण ! इस कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को विभिन्न प्रकार के बीज दिए जाते है ताकि वे इन्हे घर पर लगाकर स्वयं अपने परिवेश को हरा भरा बना सकें। इस प्रकिर्या के दौरान बच्चों को यह समझाया जाता है की पेड़ पौधे...

अनुशासन और संस्कार : जीवन की नींव और सफलता की कुंजी

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अनुशासन एवं संस्कार मानव जीवन की वो विशेषता है जो पृथ्वी पर अन्य जीवों से हमको पृथक कर सर्वोच्च स्थान प्रदान करती है ! इसमें मानवीय दृष्टिकोण की वो झलक मिलती है जो उन्हें शिक्षित प्रतिरूप में प्रदर्शित करती है ! यह शिक्षा उसको अपने माता- पिता, भाई -बहन, अपने गुरुजन और समाज के मार्गदर्शकों से प्राप्त होती है ! अनुशासन और संस्कार बच्चे के पैदा होते ही उसको सिखाये जाने लगते है जिसमे एक व्यवस्थित दैनिक दिनचर्या और अनुशासित रहने का भाव विधमान होता है ! हम किस प्रकार से अपने दिन का प्रारंभ करे उसे दिन समाप्त होने तक हमारे क्या और कैसे क्रिया कलाप होने चाहिये ! बहुत हद तक मानवीय संवेदनाये और व्यवहार हमारे अनुशासन और संस्कार पर ही निर्भर करता है और हमे जीवन की सही राह के लिए प्रेरित करता है व् हमारी बौद्धिक क्षमताओ का विकास कर हमे वृह्द दृष्टिकोण उपलब्ध करवाता है !  मेरा नाम गोविन्द श्री वास्तव है मेरे 2 बेटे व् 1 बेटी है पत्नी एक घरेलु महिला है हम दोनों मिलकर अपने बच्चों का लालन पालन किया और उन्हें प्राथमिक अवस्था से ही वो संस्कार दिए जो उन्हें अनुशासित बनाते है ! सुबह उठकर सभी को प्रणाम...

स्पर्श : मानवता का एक अहसास

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मेरा नाम भागचंद है और में नागौर जिले के बाड़ी घाटी गांव में रहता हूँ ! मेरे परिवार में मेरी पत्नि व् 2 बेटियाँ साथ रहती है ! जिनकी सुरक्षा को लेकर दिल में एक डर सा बना रहता है ! किसी भी बेटी का बाप होने पर उसको अपनी बेटियों की परवाह बनी रहती है ! वैसे तो मेरे द्वारा हर बात का ध्यान रखा जाता है ! परन्तु हर वक़्त मैं उनके साथ नहीं रह सकता हूँ आर्थिक गतिविधी के संचालन के लिये मुझे घर से बाहर जाना ही पड़ता है ! फिर एक दिन मेरी बच्चियों के साथ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के प्रतिनिधियों द्वारा स्कूल में गुड टच बैड टच को लेकर  हमारी बस्ती    इन बच्चों  साथ यह कार्यक्रम किया गया ! जिसमें उनको सही व् गलत तरीके से शरीर के अंगों को स्पर्श करने व् सामने वाले की प्रतिक्रिया के सम्ब्नध में सभी को सूक्ष्म व् विस्तृत जानकारी विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से दी गई ! स्कूल से आकर यह बात सुनकर मैं मन ही मन खुश था क्योकि बहुत सी बात हम बढ़ती उम्र के बच्चों के साथ नहीं कर पाते है ! उन बातों को संस्था के माध्यम से अच्छे से रूप में स्कूलो में बताया जा रहा है ! जिससे मानवीय संकीर्णताऐ सम...

"जीव रक्षा का धर्म: बयां पक्षियों के लिए योगदान पर्यावरणीय जागरूकता

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भगवान् के द्वारा संसार में बनाई हर रचना अद्भुत और अद्वितीय है  कही तो  ये जीव रूप में  बड़े तो कही छोटे रूप में विधमान है ! मेरा नाम अतुल गोस्वामी है ! मै शुरू से एक पर्यावरणीय प्रेमी हूँ ! और मैंने अपने घर के आस पास पेड़ पौधे लगा रखे है ! जिन्ह पर कई जाति के पंछी आते है ! और अपना बसेरा बसाते है ! साथ ही मैंने अपने स्थान पर उनको खाने योग्य दाने की व्यवस्था भी कर रखी है ! जिससे वो अपना पेट भर सकती है ! एक दिन मैंने अपने कंप्यूटर में इस विषय पर मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के बारे में सुना जो पर्यावरण बचाव हेतु बयां पक्षी के बचाव के लिए एक अभियान चला रखा है ! जिसमे बयां को सुरक्षित जीवन चक्र संचालित करने हेतु वह एक चिड़ियाघर और फीडर की व्यवस्था मुहैया करवाते है !  इसे पढ़ने के बाद मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान से संपर्क किया और इस विषय की उनसे पूर्ण जानकारी प्राप्त की फिर उसके पश्चायत उनसे मैंने 5 चिड़ियाघर व् 5  फीडर हेतु फॉर्म भरकर उनसे आवेदन किया ! उन्हें प्राप्त करके मैंने अपने आँगन व् पेड़ो पर इन चिड़ियाघरों को स्थापित किया और उनके खाने की व्यवस्था फीड...

धरती की हरी छांव: हर व्यक्ति की वृक्षारोपण जिम्मेदारी

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धरती पर वृक्ष महिला के शृंगार की तरह है जो उसे सुशोभित करता है ! उसकी आभा  व् सुंदरता में 4 चाँद लगा देता है ! यह हमे जीवन देने का कार्य करते है ! मानवीय जीवन में बहुत सारी आवस्यकताये इन्ही के द्वारा पूरी की जाती है ! यह रहने , खाने, पीने  व् रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते है ! हमारी धरती पर कुल 3 ट्रिलियन पेड  है व् इसकी करीब 3,80,000 पौधों की प्रजातियां इस धरती पर मौजूद है ! दुनिया के हर व्यक्ति पर करीब 400 पेड़ है इनमें से 2,60,000 प्रजातियां बीज़ पैदा करती है दुनिया के आधे से ज्यादा वन रूस,ब्राजील,कनाडा,अमेरिका और चीन जैसे 5 देशों में है ! भारत में कुल वन और पेड़ो का क्षेत्रफल देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 24. 62 / है ! लगभग 31 / प्रतिशत वन हमारी दुनिया में फैले हुए है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष गरीब किसानो को फलदार पौधों का वितरण किया जाता है ! जो पर्यावरण प्रोत्साहन में समाज, गांव, देश की मदद करता है ! संस्था द्वारा सर्वप्रथम ग्राम में भ्रमण किया जाता है ! व् उसके पश्चयात चिन्हित किसान के साथ यह वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जाता है ! जहा इनके...

वृक्षारोपण से जुड़ी हमारी दायित्वपूर्ण संवेदनशीलता हमारी जिम्मेदारी

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  पर्यावरण मानवीय आवश्यकताओं की बहुमूल्य धरोहर है और हर मनुष्य को इसकी सुरक्षा व् संधारण करना अतिआवश्यक है वृक्ष हमारे जीवन को प्राण वायु देते है जिस से हमारा जीवन संचालित होता है व् जीवन की आवस्यकताओ की बहुत सी वस्तुओ की प्राप्ति का स्रोत्र भी यही वृक्ष होते है। आज मानव अपने स्वार्थ के लिए धरती से लगातार इसका विदोहन करता जा रहा है। जिस के कारण हर वर्ष तापमान बढ़ रहा है। और उसके फ़लस्वरूव जलवायु परिवर्तन हो रहा है। अगर सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन धरती हमारी वृक्ष विहीन हो जाएगी।   पर्यावरण के इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान इस धरा पर हर वर्ष पौध वितरण कार्यक्रम किया जाता है। जिस में ग्रामीण जनता को वृक्षों से होने वाले लाभ की अनेको जानकारियां दी जाती है। जिस से हमे जीवनदायनी प्राणवायु , लकड़ी, फल, गोंद, पत्ते, फूल, व् कई प्रकार की औषधीया भी पाई जाती है। यह प्रकर्ति में कार्बनडाइऑक्सइड को खत्म कर ऑक्सीजन का प्रवाह करते है। जो की हमारे जीने के लिए बहुत जरुरी है। प्रकर्ति में वृक्षों का बचाव बेहद जरुरी है। इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्व्रारा ...

विकलांगता प्रमाणन के साथ मेरी यात्रा - मान्यता द्वारा परिवर्तन

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा वैसे तो बहुत सारे सामाजिक, मानवीय, व पर्यावरणीय कार्य करती है, परंतु इनमें एक विषय है  विकलांगता यह विकलांगता प्रमाण पत्र किसी भी व्यक्ति की विकलांगता और उसकी गंभीरता को प्रमाणित करने वाला सरकारी दस्तावेज है। भारत में यह प्रमाण पत्र अमूमन सरकारी अस्पतालों में गठित चिकित्सीय समिति द्वारा दिया  जारी किया जाता है। विकलांगजन के लिए यह एक जरूरी दस्तावेज है क्योंकि उन्हें मिलने वाली हर सरकारी सुविधा और लाभ इसी प्रमाण पत्र के आधार पर मिलते हैं। केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही विकलांग व्यक्तियों के लिए अनेक सुविधाओं का प्रबंध करते हैं। इनमें से किसी भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति के पास विकलांगता प्रमाण पत्र होना चाहिए। मेरा नाम श्रवण है। मुझे जन्म से ही दोनों पैरों से पोलियो हो गया था मैं चलने फिरने में असक्षम था। जानकारी न होने की वजह से मैंने अपना विकलांगता प्रमाण पत्र भी नहीं बनवाया जिससे मुझे किसी भी तरह का कोई सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा था। इस वजह से मैं और भी हताश था। फिर एक दिन हमारे गांव में राजस्थान समग्र कल्याण सं...