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एक पिता की संघर्ष और समर्पण गरीब परिवार की बेटियों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में कदम

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मेरा नाम भेरूलाल है मैं एक फुटकर मजदूरी कार्य करता हूँ ! मेरे घर पर पत्नी व् 2 बेटियाँ  है व् दोनों स्कूल पढ़ने जाती है ! मैं एक निरक्षर पिता हूँ ! जो सभी की जानकारी नहीं रख सकता हूँ परन्तु मेरी पत्नी और मैंने शादी के 2 वर्ष बाद अपनी पहली पुत्री को जन्म दिया जो पूर्णता स्वस्थ थी इसमें मैंने पत्नी को पूर्ण आहार जैसे प्रोटीन , विटामिन, व् खाने पिने की सभी जरूरतों का ध्यान रखा !जब यह बच्ची 3 वर्ष की हुई तब मेरी पत्नी को दूसरा गर्भ धारण करवाया ताकि माँ और बच्चा स्वस्थ्य बने रहे ! दूसरी बच्ची होने के बाद मैंने ऑपरेशन करवा लिया क्योकि 2 से ज्यादा बच्चो का लालन पालन मैं अच्छे से नहीं कर पाता ! अंत यही मेरे लिए सब कुछ है मैंने अपनी लड़कियों  को हमेशा लड़को की तरह पाला व् बड़ा किया ! उन्हें वो हर बात कहने की आजादी दी जो सभी के हित में ही हो, मेरी पत्नी भी मेरे कार्यो में पूर्णता सहयोग करती है !  मेरी सबसे बड़ी बेटी 9 क्लास में है व् छोटी 6 क्लास में है ! बच्चियाँ धीरे धीरे बड़ी हो रही है मेरी पत्नी उनके शारारिक विकास, समस्याएं व् कुछ भी बात हो उनका विशेष ध्यान रखती है ! एक बेटी अपनी माँ को सबसे अच्छा

खाद बीज वितरण कार्यक्रम

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 राजस्थान में इस बार अच्छी वर्षा के चलते सभी काश्तकार के चेहरे पर मुस्कान है हर जगह पानी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है ! इसके द्वारा गरीब किसान को अपनी फसल बुवाने में कोई समस्या नहीं आएगी ! इसी संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा 10 गांव 50 किसान परिवारों को संस्था की तरफ से सर्वे कर गरीब किसानों को बीज व् खाद का वितरण किया गया ! जिसमे उन्हें वर्मी कम्पोस्ट खाद व् बीज का दिये गए इस खाद के प्रयोग से जमीन की उर्वेरकता बढ़ती है ! जो की हमारे शरीर के लिए हानिकारक नहीं है व् बीज भी काफी अच्छी क़्वालिटी के दिये गए जिससे उनमे रोग क्षमता काम से काम हो ! संस्थान द्वारा किये जाने वाला यह कार्य किसानों को प्रोत्साहित करता है ! व् उन्हें लाभ पहुचता है उन्हें बताया गया की वह धान्न के बदले अन्य फसलों को लेने पर प्रोत्साहित करे ! जिससे किसानो के हित में  बढ़ोतरीया हो सकें ! उनको समूहों में कृषि करने के लिए प्रेरित करे व् फलदार उपज लगाये जाने पर विस्तृत चर्चा करे ! आजकल डी ए पी व् अन्य दूषित केमिकल के उपयोग से हमें काफी नुकसान पहुंच रहा है ! साथ ही धरती में बंजरता निरंतर बढ़ती जा रही है ! यदि हम

महिलाओं का सम्मान: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सशक्तिकरण और समानता

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नारी शक्ति, अभिमान, ज्ञान, त्याग, बलिदान, की मूरत है। हमारा भारतीय समाज सर्वप्रथम नारी पूजने से ही अपने कार्य को प्रारंभ करता है। महिलाएं जीवन को गति प्रदान करती है। हमारे यहां नारी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। महिला दिवस कार्यक्रम का अर्थ है महिलाओं की अहमियत को समझने के लिए लोगों को जागरूक करना उनके लिए ऐसे समाज का निर्माण करना जहां महिलाएं खुद को जुड़ा हुआ और सशक्त महसूस करें। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारियों और तरक्की के प्रति जागरूकता को बढ़ाता है। इसका उद्देश्य महिलाओं को समाज में समानता, समरसता और सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करना है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा 8 मार्च 2024 को अजमेर के लामाना व नारेली गांव में बड़ी धूमधाम के साथ महिला दिवस कार्यक्रम मनाया गया | जिसमें लगभग 1475 महिलाएं शामिल हुई। महिला जागरूकता और महिला सशक्तिकरण की भावना से संस्था द्वारा उनके साथ सगोष्ठी, नाटक, नृत्य, प्रतियोगिता, रेस, खेलकूद, बैनर, चर्चा, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से कई आयोजन ह

पर्यावरणीय संरक्षण: समाज की जिम्मेदारी और योगदान

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पर्यावरण प्रदूषण का तात्पर्य मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण में किसी भी यह अवांछनीय सामग्री के शामिल होने से है जो पर्यावरण और परिस्थिति की में अवांछनीय परिवर्तन का कारण बनता है। उसे हमें पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण प्रदूषण में मानव विकास की प्रक्रिया, औद्योगिकरण तथा नगरीकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यावरणीय घटकों के आधार पर पर्यावरणीय प्रदूषण को ध्वनि,जल,वायु,एवं मृदा प्रदूषण में बांटा गया है। सभी जीवो को अपनी वृद्धि व विकास के लिए तथा जीवन चलने के लिए संतुलित पर्यावरण की आवश्यकता होती है। संतुलित पर्यावरण से तात्पर्य है जिसमें प्रत्येक घटक, एक निश्चित मात्रा एवं अनुपात में उपस्थित होता है। जब घटकों की मात्रा बढ़ जाती है तो प्रदूषण होता है जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।                                  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिले के हर स्कूल के साथ यह कार्यक्रम किया जाता है जिसमें हमारी बढ़ती पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण करने हेतु उन्हें प्रेरित किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों को   पोस्टर,रैली,व्याख्यान,वाद- विवाद, चित्रकला प्रतियोगिता,स

दहेज प्रथा से महिला स्वतंत्रता: समाज का संकल्प

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भारत में वैसे तो परंपरागत रूप से आज भी कई कुरितीयां  विद्यमान है। बाल विवाह,निरक्षरता,दहेज प्रथा,सती प्रथा,पर्दा प्रथा,बहु विवाह, विधवा विवाह विरोध,जातिवाद, और सांप्रदायिकता प्रमुख है। दहेज प्रथा के नाम पर यह एक प्रचलित सामाजिक बुराई है जो संपत्ति, विवाह के समय वधू के परिवार की तरफ से दी जाती है। इस बुराई में महिलाओं के प्रति कठोर यातनाएं और अपराध उत्पन्न हुयें हैं। एक गरीब पिता की अपनी पुत्री का विवाह करना बहुत ही कठिन में कष्टदायक हो जाता है। इस अभिशाप से लड़की का जीवन नर्क के समान बन जाता है जिसके लिए उसके परिवार द्वारा उसे प्रताड़ित भी किया जाता है। दहेज का प्रयोग अक्सर न केवल विवाह के लिए स्त्री की वांछनीयता बढ़ाने के लिए हुआ है बल्कि बड़े परिवारों में यह सत्ता और संपत्ति बढ़ाने के लिए कई बार किया गया है। इसके कारण वर वधू के परिवारों के बीच दहेज को लेकर सहमति न होने पर रिश्ते टूट जाते हैं। दहेज प्रथा के ये विभत्स परिणाम हमें देखने को मिलते हैं। पिछड़े भारतीय समाज में दहेज प्रथा अभी भी विकराल रूप में है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस कार्य में कई भरसक प्रयास किया ज