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"सशक्त महिला, सशक्त समाज: SHG से मिली नई पहचान"

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  ग्रामीण भारत में महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में अनेक संस्थाएँ कार्य कर रही हैं, जिनमें आरएसकेएस (राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान) द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह (SHG) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इन समूहों का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना, उनमें नेतृत्व की भावना विकसित करना और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाना है। ऐसे ही एक SHG की सदस्य एक ग्रामीण महिला हैं, जिन्होंने अपने परिश्रम, लगन और आत्मबल से मनीहारी (सौंदर्य प्रसाधन एवं घरेलू उपयोग की वस्तुएँ बेचने का कार्य) को अपने जीवन का साधन बना लिया है। यह कार्य उन्होंने सीमित संसाधनों में शुरू किया, लेकिन आज वे अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। यह महिला प्रतिदिन सुबह घर के कामों के साथ-साथ अपने व्यवसाय के लिए समय निकालती हैं। उन्होंने आरएसकेएस द्वारा प्रदान की गई ट्रेनिंग और लघु ऋण की सहायता से मनीहारी का काम आरंभ किया था। धीरे-धीरे उन्होंने अपने ग्राहकों की पसंद और जरूरतों को समझना शुरू किया और उसी के अनुसार अपना सामान रखना शुरू किया। उनकी ईमानदारी, व्यवहार-कुशलता और गुणवत्ता ने ...

''शिक्षा के पथ पर एक सशक्त कदम"

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  शिक्षा मानव जीवन की नींव है। यह केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की कुंजी है। जब एक बालिका शिक्षित होती है, तो न केवल उसका भविष्य उज्जवल होता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन आता है। इसी उद्देश्य के साथ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने "Education for Every Girl" अभियान के अंतर्गत एक सराहनीय पहल की – विद्यालयी बालिकाओं के बीच स्कूल बैग और स्टेशनरी सामग्री का वितरण। यह पहल न केवल बालिकाओं को उनकी शिक्षा में सहारा देने के लिए की गई, बल्कि समाज में यह संदेश देने के लिए भी कि शिक्षा पर हर बच्ची का समान अधिकार है। यह लेख उसी अभियान को केंद्र में रखकर बालिका शिक्षा के महत्व, आवश्यकताओं और सामाजिक प्रभाव को विस्तार से प्रस्तुत करता है। भारत में आज भी बहुत से क्षेत्रों में बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त करने में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। गरीबी, सामाजिक कुरीतियाँ, लिंग भेदभाव, संसाधनों की कमी और पारिवारिक मानसिकता जैसी बाधाएँ उन्हें स्कूल तक पहुँचने से रोकती हैं। विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों...

समाज में सम्मान और आत्म-संमान: शिक्षा के माध्यम से जीवन में सकारात्मक बदलाव

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मेरा नाम गायत्री है ! मैं अजमेर के पास अजयसर गांव में रहती हूँ ! मेरे माता पिता बहुत गरीब है ! जिसकी वजह से उनकी मजदूरी प्रभावित होती है ! इसलिए घर के संचालन के लिए मेरी माँ मजदूरी कार्य करती है ! हम 3 भाई बहन है ! मैं मे सबसे बड़ी हूँ ! एक बहन 10 वर्ष की है व् भाई 8 वर्ष का है ! इसी कारण मेरा भाई बस स्कूल जाता हैं ! वहम बहनें घर ही रहती हैं और काम करती है! मेरी आगे पड़ने की बहुत मंशा है ! मगर घर की विकट परिस्थिति के कारण मेरा अब स्कूल अध्ययन करना संभव नहीं हैं ! कभी कभी सारी इच्छाएं पूरी नहीं होती है ! हमे मौजूदा हालात से समझौता करना पड़ता है !   फिर एक दिन स्कूल प्रशासन ने मुझे बुलाया औ बताया की उसे आगे पढ़ने हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अध्ययन हेतु 25 बालिकाओं में उसे भी जोड़ा गया है ! जिसमे उसको अध्ययन सम्बंधित सभी सुविधाये प्राप्त होगी ! उसे वर्ष भर के लिए स्कूल के अध्ययन हेतु समस्त सामग्री जैसे स्कूल बैग, कॉपी, किताब, स्टेशनरी, जयोमेक्ट्री बॉक्स, कलर सेट,एग्जामिनेशन बोर्ड, स्कूल ड्रेस, जूते, मौजे, स्वेटर, जाकेट, हाइजीन किट, व् छात्रवर्ती दी जाएगी ! यह बात सुन आकर...