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आओ वृक्षारोपण कर हम धरती का शृंगार करे

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मानवीय स्वार्थ व् कुछ लालच के लिए इंसान द्वारा लगातार धरती का विदोहन किया जा  रहा है ! बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के चलते वृक्षों  की अंधाधुंध कटाई हो रही है ! जिसके परिणामस्वरूप धरती का तापमान प्रति वर्ष बढ़ता जा रहा है और जलवायु व् मानसून परिवर्तन हो रहा है ! जगह जगह पानी से तबाही आ रही है लगातार  मिटटी का कटाव हो रहा है ! जैवीय परिवर्तन हो रहा है व् कई विनाशकारी घटनायें जन्म ले रही है ! भूकंप ,सुनामी , तूफ़ान , बाड़ें , शिला स्खलन , व् मानव अनियंत्रित आपदाये हमे नुक्सान पंहुचा रही है ! जिसमे एक बड़ी मात्रा में जन धन की हानि हो रही है ! इसका सिर्फ एक कारण है हमारी धरती से वृक्षो का विनाश करना एक दिन हमारे लिए इस धरती पर प्राणदायक वायु लेना बहुत कठिन हो जायेगा और मानव अपना  विनाश  स्वय अपने हाथों से अंजाम देगा ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस अत्यंत चिंताजनक विषय पर आम जनों के साथ कई कार्यक्रम किये जा रहे है ! जिसमे वार्ता , संगोष्ठियां , रैली , प्रतियोगिताएँ ,शिक्षा सम्बंद्दी सामग्री वितरण व् कई और भी कार्य इसमें शामिल है!  स्कूली छात्र छात्राये , ग्रामीण कास्तकार , मजदुर वर्ग , क

जल जागरूकता अभियान कार्यक्रम

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हमारी धरती पर 78 / जल ही जल है परन्तु हमारे उपयोग व् पीने योग्य पानी की मात्रा 2 / ही है ! भविष्य की जरूरतों को देखते हुये यह मात्रा बहुत कम है ! हम सभी को मितव्ययता से इसका उपयोग करना होगा ! इसके दुरुपयोग से हम भविष्य की पीढ़ियों को नुकसान की स्तिथि में पंहुचा देंगे यह जागरूकता हमे समाज के हर वर्ग तक पहुचानी होगी ! जिसमे भविष्य को हम सुरक्षित रख सकेंगे व् इस धरती का संतुलन बनाये रख सके !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा ग्रामीण स्कूलो में बच्चों के साथ जल जागरूकता अभियान कार्यक्रम करवाए जाते है ! जिसमे जल की मितव्ययता उसके उपयोग, संधारण, लाभ, व् नुकसानों के बारे में विस्तृत चर्चा की जाती है ! व् उनको पोस्टर , चित्र , सेल्फी, हस्ताक्षर अभियान , रैली ,संगोष्ठी ,चित्रकला प्रतियोगिता व् अन्य माध्यमो से इस विषय पर गहनतापूर्ण जानकारी दी जाती है व् बताया जाता है ! की किस तरह एनीकेट बनाकर वर्षा के जल का संचय करे , झील , तालाब, बावड़ियाँ आदि साफ व् सुरक्षित रखें इसे दूषित होने से बचाये व् इसको मानवीय उपयोग के लिए सफल प्रयास किये जाये इसमें सभी जन की सहभागिता बहुत जरुरी है ! जल हमारे जीवन मे

पर्यावरणीय संरक्षण: गौरैया पक्षी के संरक्षण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का योगदान

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु कई विविध कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं जिससे पर्यावरण और परिस्थितिक से संबंधित सभी मुद्दे शामिल है। इसी विषय पर संस्था द्वारा गौरैया जाति की चिड़िया की संरक्षण हेतु विभिन्न जगहों पर चिड़ियाघर व फिडर लगती है जिसका उद्देश्य लुप्त हो रही इस प्रजाति को बचाना है जिससे पारिस्थितिक तंत्र बना रहे और हमारा आंगन भी चेहकता रहे | पहले हमारे घर, आंगन, ऑफिस, बाग, बगीचे, पेड़ों पर यहां वहां बहुतायत संख्या में पाई जाती थी, परंतु पर्यावरण विनाश, प्रदूषण, इंसानी अतिक्रमण, व रासायनिक सामग्री के बढ़ते प्रयोग से इनकी संख्या लगातार गिरती ही जा रही है। समय रहते हम एक जरा से कार्य से उनका संरक्षण कर उनकी संख्या में वृद्धि करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा इस वर्ष लगभग 180 चिड़ियाघर व उनके खाने की फिडर लगाए गए हैं, जिसमें शहर के सी आर पी एफ स्कूल मुख्य है। कुछ ज्यादा पेड़ पौधे वाली जगह में अगर निवास स्थान और भोजन सहायता उपलब्ध हो जाए तो इनको भोजन की तलाश हेतु दूर नहीं जाना होता और उनके जीवन चक्र पर

पर्यावरण संरक्षकों का पोषण करना : राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के शैक्षिक प्रयास

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिले के हर सरकारी स्कूलों में बच्चों के साथ पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाए जा रहे हैं, जिसमें इस बढ़ती पीढ़ी को पर्यावरण के बारे में एक सामाजिक जागरूक संदेश प्रतिपादित किया जा रहा है कि हमारी प्रकृति में पर्यावरण की कितनी आवश्यकता है। इस कार्यक्रम को और भी अधिक सरल बनाने के लिए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बच्चों के साथ फोटोग्राफी, निबंध, लेखन, वाद विवाद, पोस्टर, सेल्फी, रैली, चित्रकला प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी व कई माध्यम से और प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। संस्था द्वारा कराई गई इन गतिविधियों का प्रभाव सबसे ज्यादा पड़ता है जिससे सभी छात्र-छात्राओं द्वारा उत्साह पूर्वक इसमें भाग लिया जाता है। हमारा पर्यावरण कई माननीय कारणों से प्रदूषित हो रहा है जिसमें वृक्षों को काटना, औद्योगिक कचरों का नदियों में बहाना,प्लास्टिक वस्तुओं का उपयोग,पानी का दुरुपयोग, धुएं से वायु प्रदूषण होना, कीट नाशक से मिट्टी की उपजाऊपन  का नष्ट होना, भू क्षरण व कई खतरनाक गैसों के रिसाव से हमारा पर्यावरण लगातार प्रदूषित हो रहा है। पर्यावरण जागरूकता का अर्थ है।

पर्यावरणीय संरक्षण: समाज की जिम्मेदारी और योगदान

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पर्यावरण प्रदूषण का तात्पर्य मानव गतिविधियों के कारण पर्यावरण में किसी भी यह अवांछनीय सामग्री के शामिल होने से है जो पर्यावरण और परिस्थिति की में अवांछनीय परिवर्तन का कारण बनता है। उसे हमें पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। पर्यावरण प्रदूषण में मानव विकास की प्रक्रिया, औद्योगिकरण तथा नगरीकरण आदि का महत्वपूर्ण योगदान है। पर्यावरणीय घटकों के आधार पर पर्यावरणीय प्रदूषण को ध्वनि,जल,वायु,एवं मृदा प्रदूषण में बांटा गया है। सभी जीवो को अपनी वृद्धि व विकास के लिए तथा जीवन चलने के लिए संतुलित पर्यावरण की आवश्यकता होती है। संतुलित पर्यावरण से तात्पर्य है जिसमें प्रत्येक घटक, एक निश्चित मात्रा एवं अनुपात में उपस्थित होता है। जब घटकों की मात्रा बढ़ जाती है तो प्रदूषण होता है जो हमारे जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक होता है।                                  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा जिले के हर स्कूल के साथ यह कार्यक्रम किया जाता है जिसमें हमारी बढ़ती पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण करने हेतु उन्हें प्रेरित किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों को   पोस्टर,रैली,व्याख्यान,वाद- विवाद, चित्रकला प्रतियोगिता,स