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खुशी को सशक्त बनाना : होली और दोस्ती के बंधन बढाना

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  होली रंगों का त्यौहार है। सभी रंग हमें जीवन के एहसासों का अनुभव करते हैं और यह बताते हैं कि हर रंग जीवन में क्या अहमियत होती है। यह मिलन का त्यौहार है सभी आपसी प्रेम भाव सौहार्द्र से मिलते हैं। इस त्यौहार में बच्चे अधिक उत्साहित होते हैं और प्रेम पूर्वक इसे से मनाते हैं। समाज में कुछ वंचित वर्ग या गरीब बच्चों को यह सब नहीं मिल पाता है। इसलिए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष स्टीट व स्लम एरिया के बच्चों के साथ यह कार्यक्रम बड़ी धूमधाम उत्साह के साथ मनाया जाता है ताकि हर बचपन को उसके बचपन का एहसास हो सके और वो जिंदगी के हर क्षण का आनंद प्राप्त कर सके। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम सर्वप्रथम स्ट्रीट व स्लम एरिया में जाकर बच्चों को एकत्रित करती है। फिर सभी को यथास्थान पर बिठाकर उनके साथ विभिन्न सास्कृतिक मनोरंजन कार्यक्रम किए हैं, जिसमें बच्चों को होली त्यौहार के बारे में बताया जाता है। वह उसके महत्व को समझाया जाता है। संस्था फिर बच्चों को पिचकारी, रंग, गुलाल, मिठाई में अन्य चीजों का वितरण करती है। इस में यह भी समझाया जाता है कि हमें की होली के त्योहार पर हानिकारक केमि

वन्यजीव संरक्षण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्था का अभियान, संकल्प, व योगदान

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्था पिछले 32 वर्षों से कई विभिन्न मुद्दों पर काम कर रही है जिसमें महिला सशक्तिकरण ,जल ,पर्यावरण, शिक्षा, लीडरशिप, उद्यमिता, कौशल विकास ,बाल कल्याण ,व महिला विकास जैसे बहुत सारे कार्य समाहित है। इन्हीं कार्यों की श्रृंखला में राजस्थान समग्र कल्याण संस्था द्वारा वृह्रद पैमाने पर सेव द वर्ड चिड़ियाघर कार्यक्रम अभियान किया जाता है जिसका उद्धेश्य प्रकृति से प्रेम वह जीव रक्षा है। गौरैया एक छोटा सा पक्षी है जो पहले यहां संख्या में बहुत थे । परंतु अब इसकी प्रजाति संकटमय स्थिति में है। इसके लिए एक अभियान के माध्यम से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा प्रकृति प्रेमियों को चिड़ियाघर में फिडर दिए जाते हैं, जिन्हें वह अपने घर,कार्यालयों में लगाकर इस बेजुबांन विलुप्त होते जींव (पक्षी ) की रक्षा कर सकें और इसकी वृद्धि करवा कर इस प्रकृति में अपना भी सहयोग प्रदान कर सकें। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस वर्ष लगभग 350 चिड़ियाघर वह उनके खाने हेतु 350 फीडर व्यक्तिगत,स्कूल,कॉलेज,सरकारी कार्यालयों,हॉस्पिटल, व उद्यानों में टीम के द्वारा लगवाए गए। यह प्रेरणा स्रोत कार्य प्

पक्षियों के विलुप्त होने के खतरे से लड़ते हुए: राजस्थान समग्र कल्याण संस्था का प्रयास

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हमारी इस दुनिया में लाखों प्रकार की जीव निवास करते हैं जिसमें कई तो बहुत बड़े व कई छोटे जीव पशु पक्षी यहां रहते हैं। भारत के हर घर आंगन में पहले गौरैया पक्षी पाई जाती थी, परंतु पर्यावरण प्रदूषण से, खान-पान का अभाव से और इस बढ़ते तापक्रम से इनकी संख्या नगण्य हो गई है। बचपन में हम भी चिड़िया के लिए घर बनाते थे और उनके खाने-पीने के लिए दाना भी डालते थे। सुबह-शाम यह संख्या में बहुतायत रूप से हमें मिलती थी परंतु अब यदा कदा देखने को ही मिलती है। और इनकी संख्या में भारी कमी आई है। मैंने इस बार बच्चों के जन्मदिन पर उनके लिए कुछ अलग नया सोचा मैंने अपनी सहेली के द्वारा पता किया कि राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा गौरेया संरक्षण हेतु चिड़िया घर प्रदान करती है। फिर मैं उनके कार्यालय जाकर चिड़िया घर प्राप्त किया और देखा उनके कार्यालय के बाहर पेड़ों पर हजारों चिड़िया चहल-पहल कर रही थी। यह देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।  फिर मैंने अपने बच्चे के जन्मदिन पर उसको यह चिड़ियाघर उपहार में दिया। मेरा बच्चा बहुत खुश हो गया। हमने अपने घर के बाहर छांव वाली जगह पर इसको लगाया और देखरेख करने लगी कुछ दि