संदेश

आवश्यकता लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

"सर्दी से राहत, मानवता की सेवा : ठंडी हवाओं में गरमाहट संस्था का कम्बल वितरण अभियान"

चित्र
मानव जीवन में यदि शरीर का बचाव पूर्णतया किया जाए तो जीवन के सभी कार्य सुगमता से पूर्ण होते है यदि शारारिक कष्ट मिले तो अक्षमता, लाचारी, बीमारी और कभी- कभी मृत्यु भी हो सकती है समाज का का ऐसा ही वंचित वर्ग हमारे शहर के आसपास झुग्गी- झोपड़ी ,स्लम , स्ट्रीट, डेरों व् गन्दी बस्तियों में प्राय देखने को मिल जायेगा।  जो अपनी गरीब व् लाचारी के चलते स्वयं का शारारिक बचाव करने में असमर्थ होते है इस भीषण सर्दी में शरीर को गर्म वस्त्रों  से आवरण करना बहुत जरुरी है। नहीं तो इसके कारण ये बीमार हो सकते है।  गरीबी समाज का वो कलंक है जिसमे ये गरीब सदा पिसते रहते है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इनको इस सर्दी से बचने हेतु गर्म कम्बलों का वितरण किया जाता है।  संस्था उन स्थानों पर जाकर गरीब बच्चों , महिला, पुरुष, असक्षम लोगों को सर्दी बचाव हेतु गर्म कम्बल प्रदान करते है। अपनी गरीबी, लाचारी, विवशता के कारण यह अपनी जरूरतों को कभी पूरा नहीं कर पाते है। कोई न कोई वस्तु या अन्य का इनको हमेशा अभाव बना रहता है। एक मानव की सच्चे भाव से सेवा करना मानवता कहलाता है हमे यह भाव रख निस्वार्थ ...

समर्थन और सहायता : दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समाज सेवाओं की अद्वितीय पहल

चित्र
राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था सदा ही दिव्यांगों के कार्य हेतु प्रयासरत में प्रत्यनशील है। समाज के इस उपेक्षित वर्ग को हमेशा किसी न किसी मदद की आवश्यकता रहती ही है। हमारे द्वारा की गई एक जरा सी मदद से उनके विकास की कुछ राहें संभव हो जाती है। हमारे गांव व समाज में कई दृष्टिबाधित, मूकबधिर, तथा शारीरिक रूप से दिव्यांग निराश्रित ऐसे व्यक्तियों का जिनके जीवन यापन के लिए स्वयं का ना तो कोई साधन है और ना ही व किसी प्रकार का ऐसा परिश्रम कर सकते हैं जिससे वह समस्या से घिरे रहते हैं। व आर्थिक रूप से भी सशक्त नहीं होते कि स्वयं की समस्या हल कर सके। विकलांग का मुख्यता निम्न प्रकार की होती है। दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित,वाक बाधित, चलन बाधित, मानसिक रोगी, मानसिक मंदता वह बहु विकलांगता से ग्रस्त व्यक्ति होते हैं। विकलांगता में व्यक्तियों को अनेक प्रकार की चुनौतियों और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस कारण से मन में निराशा, हताशा आदि के भाव आना स्वाभाविक होता है। हम ऐसे तरीके खोजने पढ़ते हैं जिससे उनका मानसिक संतुलन बना रहे और वह अपनी मानवियता न खोये इसके लिए संस्था द्वारा ऐसे व्यक्तियों को चश्...