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कन्या विवाह सामाजिक उत्थान की एक अग्रसर राह

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 मेरा नाम गायत्री कंवर है मैं 20 वर्ष की हूँ घर में विकलांग मां है पिता पूर्व में देंहान्त हो गया है | इसके अलावा 1 भाई व एक बहन और है अभी कुछ दिनों पहले मेरा विवाह तय कर दिया परन्तु मेरे घर के माली हालत ठीक नहीं है मां की विधवा पेंशन आती है और परिवार फुटकर मजदूरी कार्य करता है अंत विवाह हेतु हमारे पास कुछ भी नहीं है इस समस्या से हम सब परिवार के लोग ग्रसित थे | कि इतना कुछ सब कैसे संभव होगा | फिर हमें ग्रामीणों व संरपच के द्वारा  इस संदर्भ में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का पता चला जो सामाजिक कायों मे अग्रणी स्थान रखती है  हमने उनसे सम्पर्क किया व अपनी समस्या उनके सम्मुख रखी  | संस्था प्रतिनिधियों ने सवेऺ कर मौका मुआयना किया व हमें इस समस्या से उबारने का दिलासा दिया | विवाह से कुछ दिन पहले ही संस्था के प्रतिनिधि हमारे घर आये और मेरे विवाह हेतु रसोई का सामान जिसमें तवा, बेलन, चकला, परात, थाली, गिलास, कटोरी, जग, घडे़,करछी, पलटा, व बहुत सारे रसोई सामग्री दी | इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स में  प्रेस, मिक्सी, पंखा, सिलाई मशीन इत्यादि दिये | साज श्रृंगार में उन्होंने मुझे पैर की पाजेब,