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"सिलाई से स्वावलंबन तक: ग्रामीण महिलाओं की नई उड़ान"

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राजस्थान  समग्र कल्याण संस्थान (आरएसकेएस) ने ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु एक और सराहनीय पहल की है। संस्था द्वारा हाल ही में एक सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनाना है। इस कार्यक्रम में महिलाओं को सिलाई के सभी आवश्यक पहलुओं की व्यावहारिक जानकारी दी गई, ताकि वे खुद का रोजगार शुरू कर सकें और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। प्रशिक्षण में महिलाओं को सभी प्रकार के पारंपरिक व आधुनिक परिधानों की सिलाई सिखाई गई, जैसे सलवार-सूट, ब्लाउज़, बच्चों के कपड़े, पैंट-शर्ट, पेटीकोट, पल्लू और फैशन से जुड़ी सिलाई की बारीकियाँ। इसके साथ ही कपड़े की कटिंग, माप लेना, डिजाइनिंग, बुटीक स्तर की सिलाई, फिनिशिंग और मशीन संचालन जैसे कौशल भी सिखाए गए। प्रशिक्षकाओं ने महिलाओं को बाजार की मांग और ग्राहकों की पसंद के अनुरूप कपड़े तैयार करना भी सिखाया, जिससे उन्हें भविष्य में ज्यादा ऑर्डर मिलने की संभावना हो। इस कार्यक्रम का महिलाओं पर सीधा सकारात्मक प्रभाव पड़ा। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं में आत्मविश्वास का स्तर बढ़ा और उन्होंने स्वयं क...

"हुनर और हौसले की मिसाल: स्वावलंबन की राह पर महिलाएं ''

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के तत्वावधान में संचालित ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है। इस कार्यक्रम के तहत महिलाओं को सौंदर्य सेवाओं का व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे स्वयं का व्यवसाय शुरू कर सकें या किसी प्रतिष्ठान में कार्य करके आर्थिक रूप से सशक्त बन सकें। हाल ही में इस प्रशिक्षण के अंतर्गत महिलाओं के लिए एक विशेष जीवन कौशल कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें उन्हें विभिन्न व्यवहारिक एवं मानसिक कौशलों की जानकारी दी गई। जीवन कौशल कार्यक्रम का उद्देश्य केवल आर्थिक सशक्तिकरण तक सीमित नहीं था, बल्कि महिलाओं को मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी सक्षम बनाना था। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने संवाद कौशल, आत्मविश्वास, समय प्रबंधन, टीम वर्क, तनाव प्रबंधन और निर्णय लेने की क्षमता जैसे विषयों पर चर्चा की। प्रशिक्षणार्थियों ने समूह गतिविधियों, रोल प्ले और खेलों के माध्यम से इन कौशलों को सीखने का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया। इस कार्यक्रम का महिलाओं पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। उन्होंने न केवल ब्यूटी पार्लर के तकनीकी ज्ञा...

समृद्धि की दिशा: महिला स्वावलंबन से कृषि तक का सफर

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मेरा नाम मीरा रावत है और मैं करनौस में रहती हूं। मेरे घर पर दो बच्चे,पति,व सास -ससुर साथ रहते हैं। मैं 12वीं तक पढ़ी हूं। पति पैशे से किसान है और मेरे बच्चे भी पढ़ने जाते हैं। सब कुछ सही चल रहा था परन्तु हमें परेशानी तब हुई जब हमारे कुएं में पानी सूख गया और खेती नहीं होने लगी। धीरे-धीरे घर की स्थिति खराब होने लगी। फिर मेरे पति भी मजदूरी करने लगे। अब केवल वर्षा के समय हम खेती करते हैं और हम एक ही फसल प्राप्त कर पाते हैं। इसके बाद मैंने गांव में जो महिलाएं समूह चलती थी, उसमें अपना नाम लिखवा लिया। मैं हर माह अपनी छोटी-छोटी बचत उस समूह में जमा करवाने लगी। धीरे-धीरे हमारा समूह बढ़ता गया। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आई और उसने हमें समूह के विषय में गहनतम जानकारी दी। व हम महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी बताया जिसमें बचत के द्वारा बहुत सारे स्वरोजगार है जो महिलाएं अपने घर बैठकर कर सकती है, वो हमें बताएं। इसके बाद मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मुर्गी पालन व्यवसाय प्रशिक्षण में अपना नाम लिखवाया। व मुर्गी पालन में अपनी अभिरुचि दिखाते हुए इस कार्य पर गहनता से ध्यान ...