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स्कूली बालिकाओं को गर्म वस्त्र वितरण

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा स्कूली बालिका शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए उनके शारारिक बचाव व् सुरक्षा हेतु जरूरतमन्द वंचित बालिका को सर्दी से बचाव हेतु ( जूते, मौजे, स्वेटर, गर्म टोपे , हाथों के ग्ल्बस, आदि का वितरण किया जाता है। जिसके उपयोग से यह स्वस्थ्य व् सेहतमन्द बने रहेंगे। संस्था का यह छोटा सा प्रयास जरूरतमंद वंचित बालिकाओं के चेहरे की ख़ुशी और मुस्कान बन जाता है तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनको सहायता प्रदान करता है। संस्थान हर वर्ष ग्रामीण भागों के स्कूलों में यह सामग्री वितरण करती है जिसका लाभ उन वंचित बालिकाओं को अवश्य मिले जो प्राथमिक सहायता पर पहले आती है।  हमारे सामाजिक स्तर का ढाँचा अभी इतना विकसित नहीं है की यहाँ सभी सक्षम परिवार निवास करते हो, ग्रामीण भागों में गरीबी का स्तर काफी नीचे तक है।  यहाँ बहुत सी विषमताऐ है जिसके कारण शिक्षा का स्तर भी काफी अच्छा नहीं है।  यदि शिक्षा सम्बन्धी एक जरुरत पूरी होती है तो दूसरी रह जाती है। इस स्तर को बढ़ाये रखने के लिए इन जरूरतमंद वंचित बालिकाओं को शिक्षा सम्बन्धी पूर्ण सामग्री मिलना बहुत जरुरी है।  जिसको प्...

"विकलांगता के प्रति संवेदनशीलता: विश्व विकलांगता दिवस पर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का प्रेरणादायक कार्य

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विकलांगता या दिव्यांगता एक शारारिक अक्षमता है जो सार्थक रूप में कार्य करने में हमे असक्षम बनाती है। यह शरीर में कई प्रकार से हो सकती है।  विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है अपितु हमारी मानसिकता प्रबल न होने की वजह है।  कई बार इसकी वजह जन्मजात होती है तो कई बार दुर्घटनाओं के कारण भी शरीर में विकलांगता आ जाती है।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान विगत कई वर्षो से इनके साथ कई प्रकार के कार्य कर रही है।  जिसमे उनकी समस्याओं को जानकार उसे दूर करने का यथासंभव प्रयास किया जाता है।  इन्हे भी समाज का हिस्सा मानकर सामाजिक कार्यो के लिए प्रेरित किया जाता है।  हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा विश्व विकलागंता दिवस नजदीक के केसरपुरा ग्राम में आयोजित किया गया।  जिसमें संभाग के बहुत से विकलांगों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।  संस्था द्वारा इनके साथ हर्षोउल्लास पूर्वक यह कार्यक्रम मनाया गया।  जिसमें सरस्वती वंदना करके माल्यापर्ण किया गया।  इसके पश्चायत बच्चों द्वारा नृत्य, गायन, अभिभाषण, खेलकूद, नाटक मंचन, व् विविध प्रकार की सांस्...

बच्चों को शारीरिक सुरक्षा और आत्म-संरक्षण के बारे में जागरूकता"

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हमारी इंसानी प्रवर्ति में बहुत सारे अहसास छुपे होते है जो कभी दिखाई नहीं देते है परन्तु उन अहसासों को हम महसूस अवश्य कर सकते है कुछ अहसास या शारारिक स्पर्श सकारात्मक होते है जबकि कुछ नकारात्मक प्रभाव वाले होते है वहां व्यक्ति की प्रवृति व् नियत का हमे पता चलता है ! कोई व्यक्ति आपके शरीर के उस हिस्से को छूता है जहां आप नहीं चाहते की कोई उसे छुये तो वह बुरा स्पर्श कहलाता है ! और यदि कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है या स्नेह की अनुभूति का अहसास होता है तो यह गुड टच कहलाता है हमारे समाज में बढ़ती उम्र की  स्ट्रीट, झुग्गी झोपडी, निचली बस्तियों के बच्चों यह ज्ञान देना अति आवश्यक है ताकि वह अपनी सुरक्षा को समझे और इसे पूरा करें !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष हजारों स्कूली बालिकाओं के साथ गुड टच बेड टच का कार्यक्रम किया जाता है जिससे उनको विभिन्न तरह से शारारिक स्पर्श के माध्यम से अच्छे व् बुरे स्पर्श के माध्यम से अच्छे व् बुरे स्पर्श का ज्ञान प्रदत किया जाता है ! बालिका के बढ़ते शरीर व् उम्र के साथ ही माता -पिता व् शिक्षक के द्वारा यह जानकारियां प्रारंभ ...

"सुरक्षित बचपन: शारीरिक स्पर्श और बच्चों के अधिकार"

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शारारिक स्पर्श वो अहसास है जो सामने वाले के मन का भाव प्रदर्शित करता है ! परिवार वालो का बच्चो के प्रति स्पर्श उनको प्यार और एक सीख देता है जबकि किसी अन्य बाहरी व्यक्ति का यकायक आपको छूना उसकी निर्लज्ज मानसिकता को दर्शाता है ! बच्चों के साथ हो रही ज्यायती इनको हीं भावना की और ले जाती है यह मानसिकता कभी कभी उनकी दुर्दशा का शिकार हो जाती है ! इसी क्रम में संस्था ग्रामीण स्कूली छात्राओं, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों , स्लम एरिया के बच्चों व् निर्धन बच्चों के साथ यह कार्यक्रम क्रियान्वित करती है ! जिसमे किसी व्यक्ति के हाथों से शारारिक स्पर्श करने की अवस्था को समझाया जाता है ! जो सही है या नहीं ये बालिग और नाबालिग दोनों के लिए बहुत जरुरी है ! यदि कोई आपको स्पर्श करे और वह स्पर्श आपको अच्छा लगे तो यह गुड टच कहलाया जाता है ! जैसे सर पर हाथ रखना , आदर सहित हाथ मिलाना आदि है जबकि अगर कोई आपको ऐसे टच करे की आपको वह स्पर्श बुरा लगे तो वह बेड टच कहलाया जाता है ! बच्चों को यह बात बताई जाती है की शरीर के किस किस अंगो पर गुड टच होता है व् किस अंग पर छुये तो वह बेड टच होता है बच्चो को इस बात के लिए विरोध ...

"स्वच्छ रहो, स्वस्थ रहो: हर लड़की का अधिकार"

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स्वच्छता जीवन के लिए बेहद आवश्यक है यह हमको साफ़ सुधरा रखती है व् इस कारण ही एक स्वस्थ मस्तिष्क हमारे शरीर में निवास करता है ! जो हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है ! इसमें हमे जीवन में अच्छे कार्य करने में मदद मिलती है ! हमारे समाज में आज भी कुछ परिवार सभी आवश्यकताओ की पूर्ति नहीं कर पाते है ! इसमें मुख्यत महिला वर्ग को शामिल किया गया है ! जो अपनी शारारिक अक्षमताओं के कारण हमेशा अस्वछता के कारण घातक बीमारियों का शिकार हो जाती है ! महिलाओ में होने वाला मासिक धर्म एक सामान्यता प्रकिया है ! जो उसके शरीर के लिए बहुत आवश्यक है परन्तु ग्रामीण लोग अपने वही परम्परागत साधनो के उपयोग से स्वय को नुक्सान पंहुचा देते है ! कपडे के प्रयोग से महिलाओ को कई तरह के चर्म रोग व् गुप्त रोगो की समस्या बढ़ जाती है ! जिसमे उनकी जान को भी खतरा बना रहता है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इसी विषय पर हर वर्ष बड़े पैमाने पर स्कूली छात्राओं के साथ हाइजीन पेड वितरण कार्यक्रम किये जाते है ! जिसमे उनको साफ़ व् स्वच्छ रहना , हाइजीन पेड के प्रयोग , शारारिक स्वच्छता व् इससे सम्बंधित रोग व् निदान के बारे में सं...

शारीरिक स्वच्छता और मानसिक स्वास्थ्य: झुग्गी झोपड़ी के बच्चों के लिए प्रेरणादायक कार्यक्रम

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा शहर के आसपास स्लम एरिया , झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके ,निचली बस्ती व् डेरो  बच्चों के साथ 1 दिवसीय स्वच्छ रहे स्वस्थ रहे कार्यक्रम करवाये जाते रहते है यहाँ इन बच्चों को शारारिक स्वच्छता का ज्ञान दिया जाता है ! जिसमे उन्हें नहाना, धोना, शौच नित्यक्रम, सफाई, साफ कपडे पहनना, स्वस्थ भोजन करना, नाख़ून व् बाल नियमित समय पर कटवाना व् बीमारियों से बचाव की बातें समझाई जाती है ! इसके साथ उनको खेलकूद के द्वारा भी प्रोत्साहित किया जाता है ! व् साथ ही व्यायाम के कुछ तरीके भी बताये जाते है की किस तरह वो अपने शरीर को स्वच्छ व् स्वस्थ रख सके ! स्वस्थ रहने के लिए पूरी नींद लेना अति आवश्यक है ! और साथ ही खुश रहना भी जरुरी है ! आज हमारा भारत भी स्वच्छता  को अधिक महत्व दे रहा है ! जिसमे कोई व्यक्ति किसी भी बीमारी से ग्रसित न हो और अपना स्वस्थ जीवन यापन करें ! संस्थान द्वारा इन सभी बच्चो को एक सकारात्मक बदलाव की और प्रेरित किया जाता है ! स्वयं मई खुश रहना एक मनोवैज्ञानिक प्रकिर्या है जिसमे उसकी कई अवस्थाये काम करती है ! इसमें शारारिक स्वास्थ्य बाहरी  स्थितियों ...

ऋतु स्त्राव चक्र और प्रजनन स्वास्थ्य: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा बालिकाओं को दी गई महत्वपूर्ण जानकारी

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मेरा नाम प्रिंयका है मैं कक्षा 10 वी की छात्रा हूँ मेरे माता पिता किसान है हमारी वार्षिक जरूरतें सब खेती कार्य से सम्पन होती है घर में एक भाई व् एक बहन है हम सभी स्कूल में अध्ययनरत है एक दिन मुझे बहुत तेजी से पेट में दर्द हुआ जो बहुत असहनीय था यह बात मैंने अपनी माँ को बताई तो उन्होंने मुझे ऋतू स्त्राव चक्र के बारे बताया और कहा महिलाओ के लिए होना बहुत जरुरी है और उन्होंने मुझे सेनेटरी पेड उपयोग करने को कहा व् सलाह दी ! 5  दिन बाद मुझे राहत महसूस हुई ! फिर यह प्रकिर्या हर माह होने लगी ! वह मुझ में शारारिक बदलाव भी होने लगे जिसको में किसी को बतला नहीं पाती थी ! इसके कुछ दिनों पश्च्यात हमारी स्कूल में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा स्कूली बालिकाओ के शिक्षा विकास को लेकर एक कार्यक्रम किया गया ! जिसमे सभी स्कूली बालिकाओ को यौन प्रजनन एवं जागरूकता कार्यक्रम हमारे साथ किया गया ! इस कार्यक्रम में बताया गया किस तरह बालिकाओ में 13 से 15 वर्ष की उम्र में ऋतु स्त्राव चक्र प्रारम्भ होता है ! और यह कब तक रहता है कैसे महिला व् पुरुषों में शारारिक बदलाव होते है और जननांग विकसित होते है ! कैसे...