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सरकारी योजनाओं का लाभ: विकलांगता पहचान कार्ड का महत्व

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मेरा नाम गिरीश है, मैं सरमालिया गांव का निवासी हूं। मेरा एक पैर व एक हाथ पूणऺत विकलांग है। मेरी उम्र 26 वर्ष की है। मेरे पास मेरी विकलांगता से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है और मैं पूर्णतया अपने घर वालों पर आश्रित हूं। इस बात को मुझे बहुत बुरा लगता है। इस बात का पता मुझे तब चला जब राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम मेरे घर आई और मुझसे बातचीत की वह बताया मुझे सर्वप्रथम UDID कार्ड बनवाना होगा। उसके बाद यह सब प्रक्रिया प्रारंभ होगी | कयोंकि UDID कार्ड को स्वावलंबन कार्ड भी कहा जाता है। आसान शब्दों में कहे तो यह विकलांगता पहचान पत्र है जो भारत में रहने वाले विकलांग जनों के लिए एक बहुत जरूरी दस्तावेज है। यदि आपने ये नहीं बनाया तो आप की पहचान छुपी हुई है। इसका सरकार द्वारा ऑनलाइन पोर्टल बनाया हुआ है जहां से कोई भी व्यक्ति अपने कार्ड के लिए आसानी से घर बैठे आवेदन कर सकता है। इस फॉर्म में 4 भाग हैं। 1- व्यक्तिगत विवरण 2- विंकलागता विवरण 3-रोजगार विवरण 4- पहचान विवरण इस फॉर्म की सभी प्रक्रिया पूर्ण हो जाने पर आपको मैसेज या ईमेल के जरिए सूचना मिल जाती है। आपको ई एन नंबर दिया जाता है और उस

विकलांगता प्रमाणन के साथ मेरी यात्रा - मान्यता द्वारा परिवर्तन

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 राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा वैसे तो बहुत सारे सामाजिक, मानवीय, व पर्यावरणीय कार्य करती है, परंतु इनमें एक विषय है  विकलांगता यह विकलांगता प्रमाण पत्र किसी भी व्यक्ति की विकलांगता और उसकी गंभीरता को प्रमाणित करने वाला सरकारी दस्तावेज है। भारत में यह प्रमाण पत्र अमूमन सरकारी अस्पतालों में गठित चिकित्सीय समिति द्वारा दिया  जारी किया जाता है। विकलांगजन के लिए यह एक जरूरी दस्तावेज है क्योंकि उन्हें मिलने वाली हर सरकारी सुविधा और लाभ इसी प्रमाण पत्र के आधार पर मिलते हैं। केंद्र सरकार व राज्य सरकार दोनों ही विकलांग व्यक्तियों के लिए अनेक सुविधाओं का प्रबंध करते हैं। इनमें से किसी भी सुविधा का लाभ उठाने के लिए व्यक्ति के पास विकलांगता प्रमाण पत्र होना चाहिए। मेरा नाम श्रवण है। मुझे जन्म से ही दोनों पैरों से पोलियो हो गया था मैं चलने फिरने में असक्षम था। जानकारी न होने की वजह से मैंने अपना विकलांगता प्रमाण पत्र भी नहीं बनवाया जिससे मुझे किसी भी तरह का कोई सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा था। इस वजह से मैं और भी हताश था। फिर एक दिन हमारे गांव में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आ