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"लैंगिक समानता की ओर: बच्चों में जागरूकता और बदलाव की दिशा में कदम"

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हमारे जीवन में लिंग  आधारित  भेदभाव एक गहरी समस्या रही है । जो कई वर्षो से हमारे जीवन का हिस्सा रही है। लेकिन धीरे धीरे समय के साथ यह सोच बदल रही है और अब हम यह मानते है की लड़के और लड़कियां दोनों को सामान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए।  इस दिशा में कई स्कूलों में लैंगिक समानता पर जागरूकता  फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है इन कार्यक्रमों का उद्देश्य  बच्चों को यह समझाना है की लिंग के आधार  पर  किसी  प्रकार  का  भेदभाव  नहीं  होना  चाहिये । ग्रामीण  स्कूल  में  भी  लैंगिक समानता कार्यक्रम का आयोजन  किया  गया , जिसमे  स्कूल  की  सभी  बालिकाओं  को शामिल  किया गया।   इस कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में उन्हें सामान अवसर देने की आवश्यकता पर बल देना था।  इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को यह समझाना था की किसी भी कार्य के लिए लड़को से कम नहीं है। लिंग के आधार पर किसी को भी पीछे नहीं रखना चा...

"नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ, शिक्षा और समृद्धि की ओर कदम बढ़ाते बच्चे"

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बीते हुए वर्ष की विदाई और नए वर्ष का आगमन हम सब में एक नव संचार ऊर्जा के रूप में भर देता है सभी लोग नए साल में कुछ नया करना चाहते है और जीवन नया मुकाम पाना चाहते है सभी धर्म, जाति, समुदाय, समाज के लोग इस त्यौहार को बहुत खुशियों के साथं मना कर इसका आगमन करते है। नववर्ष की रात्रि को सब नाच कर, गा कर, मिठाइयां बांटकर , एक दूसरे के साथ ख़ुशी मनाकर इसको मनाते है। संस्थान यह कार्यक्रम शहर के नजदीक रह रहे गरीब, असहाय, अनाथ, विकलांग, झग्गी-झोपड़ी, स्लम व् स्ट्रीट के बच्चो के साथ मिलकर यह कार्यक्रम हर वर्ष मनाती है। अधिकांश बच्चें आर्थिक रूप से कमजोर तबके से ताल्लुक रखते है इनकी शिक्षा पर खास ध्यान दिए जाने की जरुरत है नववर्ष पर हमारा संकल्प है की बच्चों की जितनी संभव होगी उतनी मदद करेंगे। जिससे ये बच्चे स्वालम्बन के रास्ते पर चल सकें।  आजकल इस युग में बढ़ते दौर के साथ ओधोगिककरण बढ़ रहा है जहा काम कीमत पर काम करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह सभी दिहाड़ी मजदूरी वाले परिवार शहर के आसपास गन्दी बस्तियों में , स्ट्रीट किनारे, स्लम एरिया में अपनी गुजर बसर करते है। इसके साथ इनका परिवार भी यही र...

संकल्प और मेहनत से सशक्त जीवन की ओर- आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम

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मेरा नाम गीता है मेरे परिवार में मेरे पति व् 2 बच्चे हम सब साथ रहते है पति फुटकर मजदूरी करते है जो जीवन संचालित करने हेतु काफी नहीं है ! साथ ही बच्चे भी स्कूल  जाते है उनका खर्चा निकालना भी बहुत मुश्किल हो जाता है ! फिर मैंने गांव में चल रहे स्वयं सहायता समूह में अपना नाम लिखवाया व् उसकी गतिविधियों में भाग लेने लगी ! धीरे धीरे मैंने अपने ध्यान  विदेशी कपडे की डिजाइन कार्य में लगाया !  ऐसे कपड़ो की   हर घर में हर महिला को जरुरत होती है ! यह कार्य अच्छी आय प्राप्त करने में मेरी मदद करने लगा ! जिसमे मैं घर की जरूरतों के खर्चे के अलावा समूह से प्राप्त ऋण की भी चुकौती करने लगी !  स्वयं सहायता समूह की महिलाओँ को आत्मनिर्भर बनाने की वो प्रक्रिया है जिसमे बचत, ऋण, चुकौती, अनुशासन, आर्थिक गतिविधिया व् प्रशिक्षण इत्यादि सिखाये जाते है व् उनके सफलतम गुर बताये जाते है की कैसे हम व्यवस्थित रूप से अपने जीवन का संचालन कर अपनी जरूरतें अपनी आर्थिक गतिविधियो से पूरी कर सकते है ! यह ग्रामीण महिलाओ के लिए एक सशक्त माध्यम है जो बाकी दुनिया में लाकर एक महिला को क्रियात...