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महाराष्ट्र की धरोहर: डॉ. रानी बंग और कम्युनिटी हेल्थ का क्रांतिकारी कार्य

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जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से, पब्लिक हेल्थ में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त करने के बाद, डॉ रानी बंग के लिए पूरी दुनिया के दरवाज़े खुले थे, पर उन्होंने इंडिया के सबसे पिछड़े हुए क्षेत्रों में से एक को चुना। हाथ में स्टेथोस्कोप लिए, बेहतर हेल्थ के लिए काम करने वाले एक दूत की तरह बंग ने गढ़चिरौली, महाराष्ट्र में कदम रखा। उस समय, इस क्षेत्र में वह इकलौती गायनोकोलॉजिस्ट थी, जिन्होंने औरतों से बातचीत की और उनके अनुभव एवं समस्याओं को समझा – यह बातचीत एक रिसर्च में बदल गई, जिसे उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स सहित कई ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स तक पहुंचाया। पहली बार, किसी कम्युनिटी पर आधारित ऐसी स्टडी, जो वहां पर फैली गायनोकोलॉजिकल समस्याओं को दर्शाती थी, 92 प्रतिशत औरतों को गायनोकोलॉजिकल समस्याएं थी पर उनमें से सिर्फ 8 प्रतिशत ने प्रोफेशनल मदद लेना ज़रूरी समझा। बंग की इस कोशिश ने औरतों की सेहत से जुड़े नज़रिए को ही बदल डाला, जो कि सिर्फ प्रेगनेंसी और बच्चे को जन्म देने तक ही सीमित नहीं है। आईडीआर को दिए अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “औरतों को पहले मेंस्ट्रुएशन की उम्र से लेकर मरने तक, इतनी समस्याएं होती हैं

सुनीता नारायण - पर्यावरणविद्, लेखक, और समाजसेवी

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सुनीता नारायण एक भारतीय पर्यावरणविद् लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता है। इनका जन्म 1961 में हुआ था। यह हरित राजनीति और अक्षय विकास की महान समर्थक है। सुनीता नारायण भारत स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी रही है। इस समय वह केंद्र की निर्देशक हैं। वह पर्यावरण संचार समाज की निर्देशक भी है वे डाउन टू अर्थ नामक एक अंग्रेजी पब्लिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को इंग्लैंड की पत्रिका में दुनिया भर में मौजूद सवऺश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवीयों की श्रेणी में शामिल किया है। पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता सुनीता नारायण समाज की हरित क्रांति विकास की समर्थक है। वे मानती है कि वातावरण में फैलती अशुद्धता प्रकृति और वातावरण की दुद्धऺशा से ज्यादा नुकसान महिलाओं, बच्चों और गरीबों को होता है। उनका यह भी मानना है कि वातावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी महिलाएं ज्यादा सफलतापूर्वक उठा सकती है। उनकी इस कंथनी का उदाहरण वे खुद है। दशकों से पर्यावरण और समाज की