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विधवा महिलाओं के लिए राहत वितरण – एक सहारा, एक सम्मान

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विधवा होना भारतीय समाज में केवल जीवनसाथी के खो जाने का नाम नहीं, बल्कि एक सामाजिक, मानसिक और आर्थिक संघर्ष की शुरुआत भी है। विशेषकर गरीब वर्ग की विधवा महिलाओं के लिए यह जीवन अत्यंत कठिन हो जाता है। ऐसे में जब कोई संस्था आगे बढ़कर उनके लिए सहायता का हाथ बढ़ाती है, तो वह न केवल राहत देता है, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी संबल प्रदान करता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इसी भावना के साथ जरूरतमंद विधवा महिलाओं के लिए राशन वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जो कि एक सराहनीय और समाजोपयोगी पहल रही। विधवा महिलाओं को अक्सर समाज में कई तरह की उपेक्षा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। पति के निधन के बाद जहाँ एक ओर मानसिक आघात होता है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक रूप से भी वे पूरी तरह निर्भर हो जाती हैं। अनेक बार उन्हें घर से निकाला जाता है, या उन्हें समाज के बोझ की तरह देखा जाता है। ग्रामीण और निम्नवर्गीय महिलाओं के लिए यह परिस्थिति और भी कठिन हो जाती है, जहाँ शिक्षा और रोजगार के अवसर पहले से ही सीमित होते हैं। ऐसे में भोजन, दवा, बच्चों की पढ़ाई और रहने जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ भी एक बोझ बन जाती है...

बच्चों में अनुशासन और संस्कारों का संचार परिवर्तन की शुरुआत

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मेरा नाम मनोज शर्मा है मैं सरकारी स्कूल में एक शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ ! वैसे तो विधालय में अनुशासन व् संस्कार सभी बच्चों को सिखाये जाते है ! परन्तु जो संस्कार उसे अपने आसपास के माहौल से मिले होते है उनमें उनकी झलक हमे देखने को मिलती है ! व्यक्ति विशेष का व्यवहार और उसके हाव भाव उसकी शख्सियत को दर्शाते है ! अनुशासन व्यक्ति को सभ्य रहना व् अनुशासित रहना सिखाते है जबकि संस्कार उसके व्यक्तित्व को निखारते है ! जो उसे जीवन संचालित करने में सुविधायें मुहैया करवाते है इसी विषय को लेकर हमारे विधालय प्रागण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम द्वारा 1 दिवसीय अनुशासन व् संस्कार शिविर का आयोजन किया गया ! जिसमे सभी छात्र- छात्राओं ने उत्साह पूर्ण रूप से भाग लिया !  संस्था प्रतिनिधियों द्वारा इस कार्यक्रम की पहले रुपरेखा प्रस्तुत की फिर उनके द्वारा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इन बच्चों को इस विषय की जानकारियाँ दी गई ! जिसमे किस प्रकार सुव्यवस्थित तरीके से हम अपनी दैनिक दिनचर्या बनाकर उसका पालन करे ! यह रोजमर्रा के कार्य आगे चलकर हमारा अनुशासन बनाता है जो की सुव्यवस्थित व् सुनियोजित ...