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"हम भी बराबर हैं: ग्रामीण स्कूली बालिकाओं के सशक्तिकरण की ओर''

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ग्रामीण भारत की बेटियाँ आज आत्मविश्वास और सशक्तिकरण की ओर कदम बढ़ा रही हैं, और इस दिशा में RSKS India द्वारा चलाई जा रही पहलें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में संस्था द्वारा एक विशेष कार्यक्रम "We Are Equal" का आयोजन ग्रामीण विद्यालय में किया गया, जिसमें स्कूली बालिकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं में समानता, आत्मसम्मान और नेतृत्व की भावना को बढ़ावा देना था। समाज में व्याप्त लैंगिक असमानताओं को खत्म करने की दिशा में यह एक प्रभावशाली कदम रहा, जिसमें छात्राओं को यह समझाया गया कि वे किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं और वे भी हर सपना साकार करने का अधिकार रखती हैं। कार्यक्रम के दौरान बालिकाओं ने भाषण, निबंध लेखन, रंगोली, चित्रकला, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इन गतिविधियों में उन्होंने लैंगिक समानता, शिक्षा का महत्व, महिला अधिकार, और स्वच्छता जैसे विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी। छात्राओं ने प्रेरक नारों और पोस्टरों के ज़रिए यह संदेश दिया कि लड़कियाँ भी हर क्षेत्र में समान अवसरों की ...

"चुप्पी के खिलाफ आवाज़ – अदिति गुप्ता और मासिक धर्म शिक्षा की क्रांति"

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भारत जैसे पारंपरिक समाज में मासिक धर्म को आज भी एक वर्जित विषय माना जाता है। इसके बारे में बात करना शर्म का कारण समझा जाता है, और खासकर किशोरियों और युवतियों को इस विषय पर सही जानकारी नहीं दी जाती। यही कारण है कि कई लड़कियाँ मासिक धर्म की शुरुआत में भ्रमित, भयभीत और असहज हो जाती हैं। लेकिन इस सामाजिक चुप्पी को तोड़ने और एक स्वस्थ संवाद शुरू करने का बीड़ा उठाया है अदिति गुप्ता ने। अदिति का मानना है कि मासिक धर्म कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे समझना और अपनाना बेहद ज़रूरी है। 2012 में अदिति गुप्ता ने अपने पति तुहिन पॉल के साथ मिलकर Menstrupedia.com की स्थापना की। यह भारत की पहली ऐसी वेबसाइट है जो मासिक धर्म से जुड़ी हर जानकारी को सरल, वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है। Menstrupedia न केवल एक वेबसाइट है, बल्कि यह एक आंदोलन बन चुका है जो किशोरियों, शिक्षकों, माता-पिताओं और यहां तक कि पुरुषों को भी इस विषय पर शिक्षित करने का प्रयास करता है। वेबसाइट पर कॉमिक्स, वीडियो, कहानियाँ और वैज्ञानिक जानकार...

" सपनों की आसान हुई : शिक्षा की ओर बढ़ता कदम ''

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  शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जो किसी भी समाज के विकास का मूल आधार होती है। खासकर बालिकाओं की शिक्षा, पूरे राष्ट्र की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। आज भी भारत के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाएं शिक्षा से वंचित हैं, इसका मुख्य कारण संसाधनों की कमी, सामाजिक भ्रांतियां और आर्थिक असमानता है। ग्रामीण स्कूलों में पढ़ने वाली अनेक बालिकाएं आवश्यक शैक्षणिक सामग्री, जैसे स्कूल बैग, किताबें, स्टेशनरी आदि के अभाव में अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ने को मजबूर होती हैं। ऐसे में यदि इन्हें सही समय पर सहयोग और आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाए, तो वे आत्मविश्वास के साथ शिक्षा की ओर अग्रसर हो सकती हैं और अपने जीवन को नई दिशा दे सकती हैं। इन्हीं समस्याओं को समझते हुए RSKS India जैसी सामाजिक संस्थाएं आगे आई हैं। RSKS India (Rajasthan Samgrah Kalyan Sansthan) ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चला रही है, जिसके अंतर्गत वे विभिन्न गांवों के सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बालिकाओं को निःशुल्क स्कूल बैग, कॉपियाँ, पेन, पेंसिल, रबर, ज्योमेट्री बॉक्स और अन्य स्टेशनरी सामग्री वितरित कर रही है...

लैंगिक हिंसा के विरुद्ध ग्रामीण भारत की बेटियों की बुलंद आवाज

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  आरएसकेएस इंडिया (RSKS India) द्वारा हाल ही में एक सराहनीय पहल के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र के एक विद्यालय में स्कूली बालिकाओं के साथ मिलकर लिंग आधारित हिंसा की रोकथाम एवं उन्मूलन के उद्देश्य से एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य समाज में व्याप्त लैंगिक असमानताओं, भेदभाव तथा महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति होने वाली हिंसा के विरुद्ध आवाज़ उठाना था। कार्यक्रम के अंतर्गत बालिकाओं को उनके अधिकारों, आत्मसम्मान तथा सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ दी गईं, जिससे वे स्वयं के लिए तथा अपने समुदाय के लिए बदलाव की वाहक बन सकें। यह प्रयास शिक्षा और सामाजिक चेतना के समन्वय द्वारा एक समावेशी और सुरक्षित समाज की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण कदम रहा। इस अभियान की विशेष बात यह रही कि जागरूकता फैलाने के लिए एक प्रेरणादायक रैली का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में स्कूली छात्राएँ, शिक्षिकाएँ, सामाजिक कार्यकर्ता तथा ग्रामीणजन शामिल हुए। रैली में बालिकाओं ने हाथों में जागरूकता से संबंधित नारे लिखी तख्तियाँ थामी हुई थीं जैसे – "लड़की कोई बोझ नहीं", ...

"विवाह में सहारा: ग्रामीण निर्धन महिलाओं के लिए आशा की किरण"

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ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक महिलाएं ऐसी होती हैं, जो अत्यंत गरीब परिवारों से संबंध रखती हैं और जिनके परिवारों के पास अपनी बेटियों के विवाह के लिए आवश्यक आर्थिक संसाधन नहीं होते। ऐसे में विवाह जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक संस्कार को संपन्न करना उनके लिए अत्यंत कठिन हो जाता है। आर्थिक तंगी के कारण कई बार विवाह की उम्र निकल जाती है या फिर मजबूरी में कम उम्र में ही विवाह कर दिया जाता है, जिससे कई सामाजिक समस्याएं जन्म लेती हैं। सरकार द्वारा या समाज के सहयोग से अगर इन गरीब ग्रामीण महिलाओं को विवाह के लिए आर्थिक सहायता दी जाए, तो यह उनके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला सकता है। इससे न केवल उनका विवाह उचित समय पर हो सकेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है कि विवाह गरिमा के साथ हो। कई राज्यों में सरकारें कन्या विवाह योजना जैसी योजनाएं चला रही हैं, जिनके अंतर्गत पात्र परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाती है। यह सहायता विवाह के खर्चों में सहयोग करती है और परिवारों पर बोझ कम होता है। इस प्रकार की योजनाएं समाज में समानता और सामाजिक न्याय की भावना को बढ़ावा देती हैं। यह न केवल आर्थिक सहायता है, बल्कि ...

ठंड से राहत: एक मानवीय पहल

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भारत विविधताओं का देश है, जहां मौसम के हर रंग का अनुभव होता है। विशेषकर उत्तर भारत में सर्दी का मौसम अत्यंत तीव्र होता है, और यह मौसम गरीब और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। ठंड के मौसम में जब अधिकांश लोग गर्म कपड़ों में लिपटे रहते हैं, तब समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिसके पास खुद को ढकने के लिए पर्याप्त कपड़े भी नहीं होते। ऐसे समय में यदि कोई संस्था जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए आगे आए, तो वह न केवल राहत प्रदान करती है बल्कि मानवता का उत्कृष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने मानवता और सेवा की भावना को साकार करते हुए ठंड के मौसम में गरीब और जरूरतमंद बच्चों के बीच टोपी, स्वेटर, मोजे, हाथों के दस्ताने (ग्लव्स) और चॉकलेट आदि वितरित किए। यह पहल उन बच्चों के लिए राहत का स्रोत बनी है जो कड़ाके की सर्दी में बिना पर्याप्त गर्म कपड़ों के रहने को मजबूर थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से संस्थान ने न केवल बच्चों को ठंड से बचाने का कार्य किया, बल्कि उनमें आत्मसम्मान और खुशी की भावना भी जगाई। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और आँखों ...

महिला हिंसा निवारण में राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का योगदान

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महिला हिंसा एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न केवल महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि समाज की समग्र प्रगति में भी रुकावट डालती है। इस समस्या के समाधान हेतु राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान (RSKS India) ने विशेष कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिनमें से एक प्रमुख पहल 'महिला हिंसा निवारण' पर केंद्रित है।​ राजस्थान राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 27,933 महिला हिंसा के मामले पुलिस थानों में दर्ज होते हैं। इस आंकड़े से स्पष्ट है कि महिला हिंसा एक व्यापक समस्या है, जिसे तत्काल समाधान की आवश्यकता है। RSKS India ने इस समस्या के समाधान हेतु ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए विशेष कार्यक्रमों की योजना बनाई है, जिनमें काउंसलिंग, कौशल विकास प्रशिक्षण, और समाज में महिला हिंसा के प्रति जागरूकता फैलाने के उपाय शामिल हैं।​  काउंसलिंग और पुनर्वास: हिंसा से पीड़ित महिलाओं को मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करने के लिए काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाते हैं। इसके माध्यम से उन्हें पुनः समाज में आत्मसम्मान के साथ जीवन जीने की दिशा में मार्गदर्शन मिलता है।​ कौशल विकास प्रशि...

"बाल विवाह के खिलाफ एक सशक्त कदम : समाज में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता"

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  हमारे समाज में बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो हमारे सामाजिक ढांचे का स्वरुप बिगाड़ती है जो विशेषकर ग्रामीण , झुग्गी झोपड़ी व् स्लम एरिया में अधिक देखने को मिलती है यह न केवल बच्चों के अधिकारों का उलंघन है ! बल्कि उनके शारारिक , मानसिक और शेक्षणिक विकास में रुकावट डालता है बाल विवाह के कारण लड़कियां  छोटी उम्र में ही  जिम्मेदारियो  का बोझ उठाने के लिए  मजबूर हो जाती है ! जिसमे उनकी  शिक्षा और भविष्य प्रभावित होते है ! ऐसे में झुग्गी झोपड़ी स्लम और पिछड़े क्षेत्रों में बाल विवाह की रोकथाम के लिए विशेष कार्यक्रमों की आवश्यकता है। बाल विवाह का समाज पर एक गंभीर असर पड़ता है यह न केवल लड़कियों के शारारिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि उनके जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को प्रभावित करता है बाल विवाह से लड़कियां जल्दी गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसमे मातृ शिशु स्वास्थ्य में दिक्क़ते उत्पन्न होती है इसके अलावा बाल विवाह के कारण लड़कियों के आत्मसम्मान में गिरावट , मानसिक अवसाद और हिंसा की घटनाये बढ़ जात...

"गरीब बच्चों की सर्दी से सुरक्षा: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का ट्रैक सूट वितरण अभियान"

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मेक ए विश कार्यक्रम के तहत स्ट्रीट बच्चों को ट्रैक सूट व् मिठाई का वितरण किया गया। संस्थान द्वारा शहर के लगभग 26 स्थानों पर 525 बच्चों को ट्रैक सूट दिया गया।  संस्था हर सर्दी के मौसम में इन जरूरतों से वंचित बच्चों को बचाव हेतु पूर्ण ध्यान रखती है।  यह समाज के वो वंचित परिवारों के बच्चें होते है जो प्रकार से अपनी जरूरतों व् आवश्यकताओ की नहीं कर पाते है और न ही अपने तन का बचाव कर पाते है। समाज का यह वर्ग सदा कोई न कोई अभाव में जीवन यापन करता रहता है।  बीते कई दिनों में मौसम में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। ठंड को देखते हुये संस्था ने यह कार्यक्रम किया। शहर की इन गरीब बस्तियों में रहने वाले गरीब परिवार के बच्चें सर्दी के इस मौसम में ठिठुरन को मजबूर है।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का यह मानना है यह कार्य मात्र गर्म वस्त्रों की वितरण ही नहीं करेगा बल्कि सर्दी से बचाव कर उनके शरीर व् प्राणों की रक्षा भी करेगा। जो उनके लिए यथा संभव नहीं हो पाता है।  कही न कहीं चाह कर भी यह प्रयास ये लोग नहीं कर पाते क्योंकि गरीबी का जाल इनको ज...

लैंगिक असमानता: महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और उसकी जटिलताएँ

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लैंगिक असमानता का तात्पर्य लैंगिक आधार पर महिलाओं के साथ भेदभाव से है ! परम्परागत रूप से समाज में महिलाओं को कमजोर वर्ग के रूप में देखा जाता है ! वे घर और समाज दोनों जगहों पर शोषण, अपमान, और भेदभाव से पीड़ित होती है ! महिलाओं के खिलाफ भेदभाव दुनिया में हर जगह प्रचलित है ! यह असमानता कई प्रकार से हो सकती है ! इसमें रोजगार और पदोन्नति के मामले में महिलाओ को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है ! नौकरी के अवसरों और वेतनमान के मामले में पुरुषों को महिलाओँ पर प्राथमिकता दी जाती है ! स्वामित्य असामनता में कई समाजों में सम्पति का स्वामित्व असमान है !  जहा भी पुरुष प्रधान समाज होगा वह स्त्री सदा तिरस्कार पूर्ण जीवन व्यतीत करेगी ! यहाँ पर स्त्री को इतनी प्राथमिकता नहीं दी जायेगी ! ये अक्सर भेदभाव या लिंगवाद के द्वारा ही उत्पन्न होता है ! इसके मुख्य कारण गरीबी, लिंग, धर्म, और जाति है ! लैंगिक भेदभाव, सामाजिक मानदंडो और प्रयासों के प्रचलन के कारण, लड़कियों के बाल विवाह, किशोरावस्था  में गर्भधारण, बाल घरेलु कार्य, ख़राब शिक्षा प्रणाली, ख़राब  स्वास्थ्य, यौन शोषण, शोषण और हिंसा की संभावना ब...

समावेशी विकास: दिव्यांगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्धता

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हर वर्ष बड़े उत्साह के साथ विकलांगता दिवस मनाया जाता है। समाज एवं विकास के प्रत्येक स्तर पर दिव्यांग लोगों के अधिकारियों और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए हर वर्ष 3 दिसंबर के दिन विश्व विंकलागता दिवस मनाया जाता है। इसे अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य दिव्यांगों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाना है व विकृति से ग्रसित लोगों के साथ ही अन्य परिजनों को उनके अधिकार के लिए जागरूकता फैलाना है। इसको मनाने का एक और उद्देश्य उनके प्रति करुणा, आत्मसम्मान और जीवन को बेहतर बनाने का समर्थन और सहयोग दोनों करना है। इसके लिए राजस्थान समग्र कल्याण की टीम प्रत्येक गांव के दिव्यांग व उनके परिवार को ऐसे स्थान पर एकत्रित किया जाता है जहां पर उनको उठने बैठने की सुविधा मिल सके फिर उनके साथ पूरे दिन वहाँ कार्यक्रम किए जाते हैं व उनका मनोरंजन पूर्ण तरीके से सिखाया फिर समझाया जाता है। उनके साथ चचा, प्रश्नोत्तरी, चित्रकला, नृत्य, मनोरंजक गतिविधियां की जाती है और उत्साह वर्धन में उनकी अभिरूचिया जानी जाती है। उनके द्वारा तरह-तरह की ...