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शैक्षणिक प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम ( स्टेशनरी स्कूल बैग वितरण इत्यादि )

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जहां शिक्षा शब्द आ जाये वहां जीवन में सकारात्मकता के सिवा और कुछ नहीं हो सकता है। सभी उत्तम सद्गुण , व्यवहार और अनुशासन हमे शिक्षा से ही प्राप्त होते है।  शिक्षा ही जीवन को दिशा निर्देशित करती रहती है जो भविष्य निर्माण करने में हमे सहायता प्रदत करती है।  इसकी पुष्टि से मस्तिष्क में सदा नए और उत्तम विचारों  का उदभव होता रहता है जो हमारी कार्य प्रणाली को सुव्यवस्ठित और सुचारु रूप से संचालित करती है।  ज्ञान और शिक्षा बहुआयामताओं को विकसित करती है।  शिक्षा का मतलब ज्ञान, सदाचार, उचित आचरण, तकनीकी शिक्षा , तकनीकी दक्षता ,विद्या आदि को प्राप्त करने की प्रक्रिया को कहते है।  शिक्षा का तात्पर्य स्कूली शिक्षा या निर्देशों के माध्यम से प्राप्त ज्ञानं और समग्र रूप से शिक्षण संस्थान से भी है।  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा पाठशाला में व्यक्तियों की जन्मजात क्षमता को विकसित करना शामिल है। शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य के रूप में व्यक्तित्व के सामंजस्यपूर्ण विकास का सभी प्रगतिशील शिक्षाविदों ने समर्थन किया है। संस्था द्वारा पाठशाला में इस वर्ष में  शैक्षणि...

शिक्षा की ओर: राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान का बालिकाओं के लिए स्कूली शिक्षा कार्यक्रम

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राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस प्रारंभ सत्र में स्कूली छात्रा की शिक्षा के स्कूल बैग व स्टेशनरी सर्वे कार्यक्रम रखा गया |  जिसमें जिले की गरीब, ड्रॉप आउट छात्रा के लिए अध्ययन हेतु बैग, कॉपी, किताब, स्टेशनरी आदि की सुविधा उस बालिका को प्रदान की जाएगी जिसकी पढ़ाई में दुविधा आ रही है या वह अपना अध्ययन कार्य नहीं कर पा रही है ऐसी बालिकाओं के लिए शिक्षा विकास के लिए यह सर्वे कार्यक्रम 80 गांव की 2150 बालिकाओं के साथ किया जाएगा | इस कार्यक्रम का उद्देश्य हर बालिका को शिक्षा प्राप्ति के लिए किया जाएगा जिसमें सभी बालिकाओं जो सर्वे के दौरान क्रियात्मक रूप से जुड़ेगी उन्हें इसका लाभ इसका लाभ अवश्य दिया जाएगा इसमें बालिका को वर्ष भर की अध्ययन सामग्री दी जाएगी जिससे वह बिना रूकावट अपना अध्ययन कार्य पूर्ण कर सके                 हमारे समाज में आज भी ऐसे परिवार हैं जो किसी ने किसी मजदूरी परेशानी, गरीबी, या कुरिती के चलते अपनी बेटियों को आगे पढ़ा नहीं पाते हैं और उसे बालिका को पढ़ाई के शुभ अवसर प्राप्त नहीं हो पाते हैं हमारा समाज आज भी कहीं ना ...