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"ड्रॉप आउट बालिकाओं को मिला नया सहारा: गाँवों में शिक्षा की लौ"

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गांवों में शिक्षा की रोशनी अब उन बच्चियों तक भी पहुँच रही है, जो पहले समाज की मुख्यधारा से कट चुकी थीं। RSKS India (राष्ट्रीय सामाजिक कार्य सेवा संस्थान) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन, निराश्रित और ड्रॉप आउट बालिकाओं के लिए विशेष पाठशालाएं चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें फिर से शिक्षा के साथ जोड़ना है। इन बालिकाओं में अधिकतर वे हैं जो आर्थिक, सामाजिक या पारिवारिक कारणों से स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो गई थीं। संस्था ने न केवल इन बच्चियों को दोबारा पढ़ाई की ओर प्रेरित किया है, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और सहयोगात्मक माहौल भी प्रदान किया है, जिसमें वे आत्मविश्वास के साथ शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। इन विशेष पाठशालाओं में सभी आवश्यक शैक्षिक विषयों जैसे हिंदी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि का अध्ययन अच्छे से करवाया जाता है। इसके साथ-साथ बालिकाओं की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और मानसिक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रशिक्षित शिक्षक उन्हें उनके स्तर के अनुसार पढ़ाते हैं और उन्हें समझने तथा बोलने की क्षमता को भी बढ़ावा देते हैं। बच्चियों को पाठशाला में किताबें, स्...

"न्यायपूर्ण समाज की दिशा में पहला कदम: प्राथमिक अभिविन्यास और समता"

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  एक सशक्त, समान और न्यायपूर्ण समाज की नींव उस मानसिकता से रखी जाती है, जो बचपन से ही व्यक्ति के भीतर विकसित होती है। समाज के प्रत्येक सदस्य में जब समानता का भाव, दूसरों के प्रति सम्मान और नैतिक मूल्यों की समझ होती है, तब हम एक समावेशी राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं। इसी सोच का केंद्र है "प्राथमिक अभिविन्यास" और "समता निर्माण"। प्राथमिक अभिविन्यास का तात्पर्य है – प्रारंभिक स्तर पर, विशेषकर बचपन और किशोरावस्था में, व्यक्तियों की सोच, दृष्टिकोण और मूल्यों का निर्माण। वहीं, समता निर्माण का अर्थ है – समाज में सभी को समान अवसर, अधिकार और सम्मान देना, चाहे वह लिंग, जाति, धर्म, वर्ग, भाषा या शारीरिक स्थिति के आधार पर हो। प्राथमिक अभिविन्यास किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे संवेदनशील और निर्णायक अवस्था होती है। यह वही दौर होता है जब एक बालक या बालिका अपने आसपास के समाज, परिवार और विद्यालय से संस्कार, व्यवहार और दृष्टिकोण सीखता है। जब एक बच्चा यह देखता है कि घर में लड़का-लड़की को समान महत्व मिलता है, या स्कूल में सभी छात्रों को बराबरी से देखा जाता है, तो उसके मन में समानता, ...

"सुरक्षित बचपन: शारीरिक स्पर्श और बच्चों के अधिकार"

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शारारिक स्पर्श वो अहसास है जो सामने वाले के मन का भाव प्रदर्शित करता है ! परिवार वालो का बच्चो के प्रति स्पर्श उनको प्यार और एक सीख देता है जबकि किसी अन्य बाहरी व्यक्ति का यकायक आपको छूना उसकी निर्लज्ज मानसिकता को दर्शाता है ! बच्चों के साथ हो रही ज्यायती इनको हीं भावना की और ले जाती है यह मानसिकता कभी कभी उनकी दुर्दशा का शिकार हो जाती है ! इसी क्रम में संस्था ग्रामीण स्कूली छात्राओं, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों , स्लम एरिया के बच्चों व् निर्धन बच्चों के साथ यह कार्यक्रम क्रियान्वित करती है ! जिसमे किसी व्यक्ति के हाथों से शारारिक स्पर्श करने की अवस्था को समझाया जाता है ! जो सही है या नहीं ये बालिग और नाबालिग दोनों के लिए बहुत जरुरी है ! यदि कोई आपको स्पर्श करे और वह स्पर्श आपको अच्छा लगे तो यह गुड टच कहलाया जाता है ! जैसे सर पर हाथ रखना , आदर सहित हाथ मिलाना आदि है जबकि अगर कोई आपको ऐसे टच करे की आपको वह स्पर्श बुरा लगे तो वह बेड टच कहलाया जाता है ! बच्चों को यह बात बताई जाती है की शरीर के किस किस अंगो पर गुड टच होता है व् किस अंग पर छुये तो वह बेड टच होता है बच्चो को इस बात के लिए विरोध ...

मेरे सपनो को मिली सफलता की नई उड़ान

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मेरा नाम कविता है में 15 वर्ष की हूँ एक हादसे में मेरा सीधा हाथ कट गया जिसकी वजह से मै विकलांगता की श्रेणी में आ गई व् मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी भी ठीक नहीं है जिसमे मै आगे अपनी शिक्षा को प्राप्त कर सके फिर मुझे स्कूल टीचर द्वारा शाला में बुलाया गया जहा पर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मेरा नाम वंचित छात्रा की सूची में लिया गया व् इसके पश्च्यात राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम मेरे घर आकर मेरी स्थिति की पूर्ण जानकारी प्राप्त की व् सर्वे किया इसके कुछ दिनों बाद मुझे स्कूल में एडमिसन मिल गया व् संस्थान के द्वारा मुझे स्कूल बेग ,कॉपी ,किताब ,स्टेसनरी ,जयोमेक्ट्री बॉक्स ,शापनर ,रबर ,पेंसिल ,पैन सेट ,कलर सेट , एग्जामिनेशन बोर्ड ,जूते ,मौजे , ड्रेस , स्वेटर ,आदि सम्पूर्ण शिक्षण सामग्री दी जाती है जो मुझे वर्षभर ज्ञान प्राप्ति में सहायक होगी !  जब इस बात का मेरे परिवार को पता चला तो वह बहुत खुश हुए व् हर्षित हुए  साथ ही मुझे अपनी पढ़ाई पूर्ण करने को प्रोत्शाहित किया एक पल को मुझे लगा जैसे मुझे मेरा सारा जहा मिल गया अब मेरे भी सपने साकार हो सकेंगे और मैं भी अपने सपने...