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गरीब बच्चों के साथ नववर्ष कार्यक्रम मनाना

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 बीते हुए वर्ष की विदाई और नए वर्ष का आगमन हम सब में एक नव संचार ऊर्जा के रूप में भर देता है सभी लोग नए साल में कुछ नया करना चाहते है और जीवन नया मुकाम पाना चाहते है सभी धर्म, जाति, समुदाय, समाज के लोग इस त्यौहार को बहुत खुशियों के साथं मना कर इसका आगमन करते है। नववर्ष की रात्रि को सब नाच कर, गा कर, मिठाइयां बांटकर , एक दूसरे के साथ ख़ुशी मनाकर इसको मनाते है। संस्थान यह कार्यक्रम शहर के नजदीक रह रहे गरीब, असहाय, अनाथ, विकलांग, झग्गी-झोपड़ी, स्लम व् स्ट्रीट के बच्चो के साथ मिलकर यह कार्यक्रम हर वर्ष मनाती है। अधिकांश बच्चें आर्थिक रूप से कमजोर तबके से ताल्लुक रखते है इनकी शिक्षा पर खास ध्यान दिए जाने की जरुरत है नववर्ष पर हमारा संकल्प है की बच्चों की जितनी संभव होगी उतनी मदद करेंगे। जिससे ये बच्चे स्वालम्बन के रास्ते पर चल सकें।  आजकल इस युग में बढ़ते दौर के साथ ओधोगिककरण बढ़ रहा है जहा काम कीमत पर काम करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। यह सभी दिहाड़ी मजदूरी वाले परिवार शहर के आसपास गन्दी बस्तियों में , स्ट्रीट किनारे, स्लम एरिया में अपनी गुजर बसर करते है। इसके साथ इनका परिवार भी...

स्वस्थ शरीर, स्वस्थ विचार: महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में पहल

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शारीरिक स्वच्छता एवं स्वास्थ्य मानव जीवन की वो स्वास्थ्य विशेषता है जो उसे निरोगी काया प्रदान करता है और ऊर्जा का संचार करता है ! इसलिये भारतीय शास्त्रों में भी कहा जाता है `` पहला सुख निरोगी काया `` यह बात पूर्ण सार्थक सिद्ध होती है एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ विचारों का जन्म होता है और वह द्रस्टिपटल पर पूर्ण रूप से कार्य करते है ! परन्तु आज भी हमारे ग्रामीण जीवन का परिवेश वही पुराणी आदतों और परम्पराओ से घिरा है जहां मानवीय विचारधाराएं आज भी संकीर्ण और संकुचित है मैं भी एक ग्रामीण महिला हूँ मेरा नाम विजयलता है मैं कक्षा 8 वीं मई पढ़ती हूँ ! और इस विषय पर थोड़ी जानकारी रखती हूँ !   राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा हमारे गांव में बी हैप्पी बी स्माइल का यह कार्यक्रम किया गया इसमें महिला को हाइजीन बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है और स्वास्थ्य संबधी वो महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जिनसे वो अभिन्न थी ! इस कार्य के प्रति आजकल सरकार भी सचेतक है और महिलाओ के स्वास्थ्य के लिए बहुत सारे कार्यक्रम चला रही है संस्था प्रतिनिधि द्वारा हाइजीन सेनेटरी पेढ़ की विशेषताओं के बारे में सभी को बताया...

सुनीता नारायण - पर्यावरणविद्, लेखक, और समाजसेवी

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सुनीता नारायण एक भारतीय पर्यावरणविद् लेखक और राजनीतिक कार्यकर्ता है। इनका जन्म 1961 में हुआ था। यह हरित राजनीति और अक्षय विकास की महान समर्थक है। सुनीता नारायण भारत स्थित विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी रही है। इस समय वह केंद्र की निर्देशक हैं। वह पर्यावरण संचार समाज की निर्देशक भी है वे डाउन टू अर्थ नामक एक अंग्रेजी पब्लिक पत्रिका भी प्रकाशित करती है जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। प्रकृति से प्यार करने वाली सुनीता नारायण को इंग्लैंड की पत्रिका में दुनिया भर में मौजूद सवऺश्रेष्ठ 100 बुद्धिजीवीयों की श्रेणी में शामिल किया है। पर्यावरणविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता सुनीता नारायण समाज की हरित क्रांति विकास की समर्थक है। वे मानती है कि वातावरण में फैलती अशुद्धता प्रकृति और वातावरण की दुद्धऺशा से ज्यादा नुकसान महिलाओं, बच्चों और गरीबों को होता है। उनका यह भी मानना है कि वातावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी महिलाएं ज्यादा सफलतापूर्वक उठा सकती है। उनकी इस कंथनी का उदाहरण वे खुद है। दशकों से पर्यावरण और समाज की ...