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गांव की शक्ति: तारा देवी का स्वरोजगार सफलता का सफर

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 मेरा नाम तारा देवी है। मैं भगवानपुरा गांव में रहती हूं। पति एक फैक्ट्री में काम करने जाते हैं। वह मेरे पांच बच्चे हैं। मेरे पास एक बीघा जमीन है, परंतु मेरे पास खेती में अन्य कार्य के लिए आर्थिक सहारा नहीं है। मैं स्वयं खेती मजदूरी कार्य करती हूं। हमारे खेत में थोड़ा बहुत पानी तो है मगर बोने के बीज के लिए पैसे नहीं है। फिर मुझे पड़ोस की महिला से पता चला कि स्वयं सहायता समूह से जुड़कर उससे कुछ लाभ हो सकता है। इसके बाद मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के द्वारा गांव में संचालित एक समूह में अपना नाम जुड़वा लिया। समूह में हमें बचत की भावना के बारे में बताया गया और उसके फायदे बताएं। समूह में जुड़ने के लगभग 8 माह बाद हमारा कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि विज्ञान केंद्र रखा गया।जिसमें हमें कृषि,उर्वरक,बागवानी,मत्स्य पालन, कुकुट पालन में अन्य विषयों पर गहनतापूर्वक जानकारियां दी गई। सभी को यह कार्यक्रम बहुत अच्छा लगा। इससे महिलाएं अति उल्लासित थी। फिर 1 वर्ष बाद हमें संस्था के माध्यम से समूह को बैंक  ऋण दिलवाया गया जो स्वरोजगार हेतु हमें प्रदान किया गया था। इस ऋण राशि से मैंने अपनी कृषि जमीन के