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परिवर्तन के धागे: सिलाई के माध्यम से सशक्तिकरण

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मेरा नाम सुनीता कंवर है। मैं एक विधवा महिला हूं। मेरे छः बच्चे हैं जो अभी बहुत ही छोटे हैं। पति का एक एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया है। घर में एक बुढ़ी सास है अब मुझे मेरा वह मेरे बच्चों का पालन पोषण करना बहुत ही कठिन हो गया है। मेरे पास अन्य कोई साधन भी नहीं जिसके उपयोग से मैं अपने परिवार का निवऺहन कर सकूं। इस बात की जानकारी मैंने गांव की एक महिला की मदद से राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था तक पहुचाई | जिससे मुझे कुछ मदद मिल सके। फिर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था द्वारा संस्था प्रतिनिधियों ने मेरा सर्वे किया है जिसमें मुझे आजीविका के साधन अपनाने हेतु सुझाव दिया। मैंने उन्हें बताया मुझे कुछ सिलाई आती है फिर उनके द्वारा मुझे एक सिलाई प्रशिक्षण में मेरा नाम जुड़वां दिया गया। मैंने 90 दिन की कठिन परिश्रम से इस प्रशिक्षण में और अच्छा सिलाई कार्य सीखा। फिर इसके पश्चात संस्था द्वारा मुझे एक सिलाई मशीन का वितरण किया गया जिससे मैं स्वयं का कार्य प्रारंभ कर अपने बच्चों व अपने परिवार का भरण पोषण कर सकूं। सिलाई मशीन मिलने के पश्चात मैंने समीप के पुष्कर गांव में अंग्रेजों के वस्त्र सिलन

राशन वितरण जीने का एक और अवसर

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  मेरा नाम डाली बाई है और मैं जनाजा के टाटगढ़ में रहती हूँ | मैं एक एकल विधवा महिला हूँ | जिसकों सरकार से 500 रू मात्र पेंशन प्राप्त होती है वृद्ध होने के कारण मैं कोई भी कार्य करने में असक्षम हूँ कोरोना काल के बाद मेरी माली हालत और भी खराब व बदतर हो गई घर में खाने को कुछ न रहा अब मैं कहाँ जाऊँ कैसे अपना जीवन यापन करूँ| फिर हमारे गांव के संरपच ने बताया अजमेर की एक संस्था द्वारा असहाय, गरीब, निशक्त, बेसहारा, विधवा, एकल महिला, व विकलांग लौगो का सवऺ कर उन्हें राशन वितरित किया जायेगा | फिर राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द्वारा सवऺ कर हमें राशन राहत सामग्री प्रदान की गई जिसमें हमें आटा, दाल, चना, मूंग, दलिया, तेल, नमक, शक्कर, चाय पती, मिचीऺ , धनिया, हल्दी, चावल, व रसोई की सभी खाघ सामग्री दी गई | इस सामग्री से मेरी कई माह की भोजन आवश्यकता पूरी हो जायेगी | व इससे अपनी जरूरत की सभी पूर्ति कर संकूगी | राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान संस्था के द्वारा असहाय, गरीब, निशक्त, बेसहारा, विधवा, एकल महिला, व विकलांग लौगो के लिये यह कार्यक्रम बहुत लाभप्रद है संस्था का इस निरपेक्ष असहाय वगऺ की जरूरत