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परम्परागत सोच और आधुनिक स्वच्छता: ग्रामीण महिलाओं की स्वास्थ्य यात्रा

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आज के इस बढ़ते दौर में अगर हम परम्परागत बातें करे तो यह दक़ियासूनी बात होगी ! आज का युग आधुनिकतम है जहां विज्ञानं अपनी संभावनाओ को आगे बढ़ाते हुए मानव विकास के विभिन्न साधन उपलब्ध करवा रहा है ! जिसमे उनको शारारिक, मानसिक, आर्थिक लाभ की प्राप्ति हो सके ! परन्तु ग्रामीण भाग अभी नहीं इससे बहुत दूर और अछूते है इसका मुख्य कारण गरीबी, अशिक्षा, परम्परावादी विचार, सामाजिक कुरीतियाँ या पारिवारिक बंधन इसमें शामिल है ! महिलाओं में होने वाला ऋतु स्राव चक्र एक मासिक आम प्रकिर्या है ! जिसमे एक और तो शिक्षित समाज की महिलायें विज्ञानं के सहारे खुद को स्वच्छ व् स्वस्थ रखते हुए हाइजीनिक बन रही है व् सेनेटरी पेड का प्रयोग कर रही है तो दूसरी और अशिक्षित ग्रामीण भागों की महिलायें  आज भी पुराने कपड़ो का प्रयोग कर खुद को दूषित बना रही है व् कई घातक बीमारियों को स्वयं के लिए आमंत्रित कर रही है ! यह सोच ही आगे जाकर मृत्यु का कारण बनती है !  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इस वर्ष के प्रांरभ में ही ग्रामीण महिलाओं के साथ वृह्द पैमाने पर बी हैप्पी बी स्माइल कार्यक्रम किया गया ! यह कार्यक्रम लगभग 20 गा...