नारी: सृजन की संवाहिका



राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर "जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं।" यह वाक्य केवल शास्त्रों की बात नहीं, बल्कि समाज के संतुलन और समृद्धि की मूल भावना को दर्शाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हम नारी के उस व्यापक स्वरूप को नमन करते हैं, जो प्रेम है, शक्ति है, संघर्ष है और सृजन भी। विचारों में विविधता, आत्मा में एकता नारी केवल एक विचारधारा तक सीमित नहीं है। वह परंपरा और प्रगतिशीलता, दोनों को आत्मसात करती है। वह कभी घूंघट में लज्जा है, तो कभी मंच पर गर्जना करती नेतृत्वकर्ता। गाँव की चौपाल से लेकर संसद तक, खेत की मेड़ से लेकर विज्ञान प्रयोगशाला तक – नारी हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ रही है।


संस्कारशील नारी अपने परिवार को संबल देती है। वह बेटी, बहन, पत्नी और माँ के रूप में समाज की नींव है।स्वतंत्र विचारों वाली नारी अपने अधिकारों के प्रति सजग है, अपनी पहचान खुद बनाती है। श्रमिक और ग्रामीण नारी कड़ी मेहनत से समाज की आत्मनिर्भरता की रीढ़ बनती है। शिक्षित और करियर-उन्मुख नारी नवाचार, नेतृत्व और उद्यमिता की नई मिसालें गढ़ रही है।आज की नारी न सिर्फ अपने लिए, बल्कि समाज की तमाम महिलाओं के लिए आवाज़ उठा रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन, और निर्णय लेने की स्वतंत्रता – इन सब क्षेत्रों में महिलाओं ने क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं। राजस्थान में महिला स्वयं सहायता समूहों, महिला पुलिस स्टेशनों और बेटियों के लिए चलाई गई योजनाओं ने यह दिखा दिया है कि अगर अवसर मिले, तो नारी हर दिशा में आगे बढ़ सकती है।


राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान यह विश्वास रखते हैं कि नारी का सशक्तिकरण केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सतत यात्रा है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, रोजगार से लेकर आत्मसम्मान – हर मोर्चे पर हम महिलाओं के साथ खड़े हैं। नारी केवल श्रद्धा की पात्र नहीं, वह सहभागिता की भी अधिकारी है। हमें चाहिए कि हम घर, समाज, कार्यक्षेत्र – हर जगह उसे बराबरी का स्थान दें। तभी सच्चे अर्थों में महिला दिव  की सार्थकता होगी।


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