"लैंगिक समानता की ओर: बच्चों में जागरूकता और बदलाव की दिशा में कदम"
हमारे जीवन में लिंग आधारित भेदभाव एक गहरी समस्या रही है । जो कई वर्षो से हमारे जीवन का हिस्सा रही है। लेकिन धीरे धीरे समय के साथ यह सोच बदल रही है और अब हम यह मानते है की लड़के और लड़कियां दोनों को सामान अधिकार और अवसर मिलने चाहिए। इस दिशा में कई स्कूलों में लैंगिक समानता पर जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है इन कार्यक्रमों का उद्देश्य बच्चों को यह समझाना है की लिंग के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिये । ग्रामीण स्कूल में भी लैंगिक समानता कार्यक्रम का आयोजन किया गया , जिसमे स्कूल की सभी बालिकाओं को शामिल किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और समाज में उन्हें सामान अवसर देने की आवश्यकता पर बल देना था।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को यह समझाना था की किसी भी कार्य के लिए लड़को से कम नहीं है। लिंग के आधार पर किसी को भी पीछे नहीं रखना चाहिये। इसके अंतर्गत छात्रों को यह सिखाया गया की लिंग आधारित भेदभाव न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि यह समाज की तरक्की में भी रुकावट डालता है। लड़कियों को यह सीखाने के लिए कार्यक्रम में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गई जैसे व्याख्यान, पोस्टर प्रदर्शन, समूह चर्चा , सेल्फी इत्यादि है। छात्राओं को यह सिखाया की लिंग की कोई सीमायें नहीं होनी चाहिए। जब लड़कियों को सामान अवसर और अधिकार मिलते है तो वे अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकती है। और समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती है। कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने यह संकल्प लिया की वे जीवन में लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
लैंगिक समानता कार्यक्रम न केवल लड़कियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करता है बल्कि यह लड़को को भी यह समझने का अवसर देता है की समाज में लड़को और लड़कियों के समान अवसर जरुरी है। इस प्रकार के कार्यक्रम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण है। हमे अपनी सोच को बदलने की जरुरत है और यह सुनिश्चित करना चाहिये की हमारे समाज में लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो। बच्चों को यह सिखाने की जरुरत है की लिंग का भेद केवल एक सामाजिक निर्माण है जिसे हमे तोड़ना होगा ताकि हम एक समान और न्यायपूर्ण समाज की और कदम बड़ा सकें।
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