समृद्धि की दिशा: महिला स्वावलंबन से कृषि तक का सफर


मेरा नाम मीरा रावत है और मैं करनौस में रहती हूं। मेरे घर पर दो बच्चे,पति,व सास -ससुर साथ रहते हैं। मैं 12वीं तक पढ़ी हूं। पति पैशे से किसान है और मेरे बच्चे भी पढ़ने जाते हैं। सब कुछ सही चल रहा था परन्तु हमें परेशानी तब हुई जब हमारे कुएं में पानी सूख गया और खेती नहीं होने लगी। धीरे-धीरे घर की स्थिति खराब होने लगी। फिर मेरे पति भी मजदूरी करने लगे। अब केवल वर्षा के समय हम खेती करते हैं और हम एक ही फसल प्राप्त कर पाते हैं। इसके बाद मैंने गांव में जो महिलाएं समूह चलती थी, उसमें अपना नाम लिखवा लिया। मैं हर माह अपनी छोटी-छोटी बचत उस समूह में जमा करवाने लगी। धीरे-धीरे हमारा समूह बढ़ता गया। फिर एक दिन राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान की टीम आई और उसने हमें समूह के विषय में गहनतम जानकारी दी। व हम महिलाओं को स्वरोजगार के लिए भी बताया जिसमें बचत के द्वारा बहुत सारे स्वरोजगार है जो महिलाएं अपने घर बैठकर कर सकती है, वो हमें बताएं।


इसके बाद मैंने राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा मुर्गी पालन व्यवसाय प्रशिक्षण में अपना नाम लिखवाया। व मुर्गी पालन में अपनी अभिरुचि दिखाते हुए इस कार्य पर गहनता से ध्यान दिया, जिसमें बताया कि किस तरह हम मुर्गी पालन करें, कैसे हम उन्हें दाना पानी खिलाए,कितना तापमान इनको पालने के लिए जरूरी है , इनको कैसे पाला जाए, अंडों का साधारण कैसे किया जाए, छोटे चूजों का बचाव कैसे करें ,और इनमें जो बीमारी होती है तो उन्हें डॉक्टर के द्वारा कैसे टीके लगवाये आदि सभी विषयों पर अच्छे से जानकारी प्राप्त कर इस प्रशिक्षण को पूरा किया | यह बात मैंने अपने घरवालों को बताई जिसे जानकर उन्होंने इस कार्य पर मुझे अपनी सहमति दी। इसके बाद मैंने 50 चूलें लाकर उनका पालन- पोषण किया। 4 माह बाद धीरे-धीरे वे बड़े होने लगे। अब धीरे-धीरे मुझे उनसे अण्डे व मांस की प्राप्ति होने लगी। जिन्हको बाजार में बेचने पर मुझे उनके अच्छे दाम प्राप्त होने लगे। मुर्गियों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ने लगी।इस काम से फिर मैंने अपना एक बड़ा पोल्ट्री फार्म अपने पति पर घर की मदद से अपने मकान के पीछे बनवा लिया। अब अच्छी जगह प्रकार मुर्गियों को बहुत जगह मिल गई। समय के साथ उनकी संख्या 10 गुना से अधिक बढ़ने लगी। मेरा व्यवसाय और तेज होकर पनपने लगा और इसके साथ ही मेरी आय भी लगातार बढ़ने लगी। अब मेरे घर वालों के हालात भी सुधरने लगे और इस कार्य से हमने हमारे कुएँ को और गहरा खुदवा कर उसे पर मोटर भी लगवा ली। जिससे अब हमारा कृषि कार्य भी आगे बढ़ने लगा। एक छोटी सी बचत से इतना सब कुछ संभव हो जाएगा। यह कभी मैंने सोचा नहीं था। वास्तव में हमें किसी भी कार्य को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि सही लग्न और मेहनत से किया हुआ कार्य आपको बहुत आगे तक ले जाता है और आपका जीवन खुशियों से भर देता है।


मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मैं समस्त राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान के कार्यकर्ताओं का व महिला स्वयं सहायता समूह के सभी सदस्यों का,व प्रशिक्षण प्रभारी का धन्यवाद करती हूं, जिनके मार्गदर्शन से मैंने अपने जीवन की राह प्रशस्त की और अपने सपनों को पाने की जीद कर सकी। आज के इस युग में महिला हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है। इसके लिए उसको सही जानकारीयॉं व सच्चे पथ प्रदर्शक की बहुत आवश्यकता है।

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