"सुरक्षित बचपन: शारीरिक स्पर्श और बच्चों के अधिकार"

शारारिक स्पर्श वो अहसास है जो सामने वाले के मन का भाव प्रदर्शित करता है ! परिवार वालो का बच्चो के प्रति स्पर्श उनको प्यार और एक सीख देता है जबकि किसी अन्य बाहरी व्यक्ति का यकायक आपको छूना उसकी निर्लज्ज मानसिकता को दर्शाता है ! बच्चों के साथ हो रही ज्यायती इनको हीं भावना की और ले जाती है यह मानसिकता कभी कभी उनकी दुर्दशा का शिकार हो जाती है ! इसी क्रम में संस्था ग्रामीण स्कूली छात्राओं, झुग्गी झोपड़ी के बच्चों , स्लम एरिया के बच्चों व् निर्धन बच्चों के साथ यह कार्यक्रम क्रियान्वित करती है ! जिसमे किसी व्यक्ति के हाथों से शारारिक स्पर्श करने की अवस्था को समझाया जाता है ! जो सही है या नहीं ये बालिग और नाबालिग दोनों के लिए बहुत जरुरी है !


यदि कोई आपको स्पर्श करे और वह स्पर्श आपको अच्छा लगे तो यह गुड टच कहलाया जाता है ! जैसे सर पर हाथ रखना , आदर सहित हाथ मिलाना आदि है जबकि अगर कोई आपको ऐसे टच करे की आपको वह स्पर्श बुरा लगे तो वह बेड टच कहलाया जाता है ! बच्चों को यह बात बताई जाती है की शरीर के किस किस अंगो पर गुड टच होता है व् किस अंग पर छुये तो वह बेड टच होता है बच्चो को इस बात के लिए विरोध करना सिखाये यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार अगर करता हो साथ ही यह बात अपने माता पिता को अवश्य बताये ! एक अच्छा स्पर्श बच्चे को सहज रखता है जबकि बुरा स्पर्श उसे असहज और डरा हुआ महसूस करता है ! 


इसमें माँ बाप की बच्चे के प्रति अहम् भूमिका होती है !अपने बच्चों को आप इतना ख्याल रखे और उनको सशक्त बनाये की वो हर बात आपसे करने में शर्म या झिझक महसूस न करे ! व्  में इस शिक्षा कार्यक्रम में शिक्षकों द्वारा भी हर माह किया जाये ! ताकि ये इन बच्चों को बताये की इस शरीर पर आपका अधिकार है और 18 वर्ष तक आप इसको सभाल कर रखे ! इसे छूने का अधिकार किसी को नहीं है ! यदि कोई भी किसी प्रकार की क्रूरता या दुर्व्यहार करता है तो भारतीय दंड सहिंता ( आई पी सी ) के तहत दंड और जुर्माने का उस पर प्रावधान है ! 


समाज के हर हिस्से में कही न कही ऐसी मानसिक विकृति के कई लोग होते है जो इस तरह के व्यवहार से सबको कलंकित करते है ! राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा कई जगहों पर यह कार्यक्रम बच्चो को एक अच्छी शिक्षा से अवगत करवाता है जो सकारात्मक बनने पर बल देता है ! खुद का बचाव करना ही इसका बेहतरीन उपाए है बच्चे एक अनचाहे फूल की तरह होते है उनको इस गुलशन का हिस्सा बनने का सम्पूर्ण अवसर प्रदान करे और समय समय पर अपने बच्चो के इस विषय पर बिना शर्माए निसंकोच बात करे ताकि बच्चो की झिझक, डर, शर्म , व् असहज भाव खत्म हो और वह निर्भीक जीवन यापन करे ! 

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