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Stand Together Against COVID-19

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Stand Together Against COVID-19 As we all are aware of the pandemic Novel COVID-19 that has engulfed the entire world, and poses a serious threat to the well-being and mobility of each individual. COVID-19 can cause mild to severe illness; most severe illness occurs in older adults. At RSKS India we are extremely concerned and conscious about the health of our employees as well as our partners, Donors and thousands of beneficiaries who are a part of the family and to ensure, this RSKS Team members are also doing awareness programs at all our workshops and training centre to ensure the safety of people. RSKS India encourages everyone to take precautions by social distancing, following proper sanitary protocols and reaching out to health authorities in suspected cases. We would also like to take this opportunity to reiterate the World Health Organisation guidelines and urge you to take the necessary precautions to safeguard yourself from COVID-19; Wash yo...

विधवा महिलाओं के लिए राहत वितरण – एक सहारा, एक सम्मान

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विधवा होना भारतीय समाज में केवल जीवनसाथी के खो जाने का नाम नहीं, बल्कि एक सामाजिक, मानसिक और आर्थिक संघर्ष की शुरुआत भी है। विशेषकर गरीब वर्ग की विधवा महिलाओं के लिए यह जीवन अत्यंत कठिन हो जाता है। ऐसे में जब कोई संस्था आगे बढ़कर उनके लिए सहायता का हाथ बढ़ाती है, तो वह न केवल राहत देता है, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी संबल प्रदान करता है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा इसी भावना के साथ जरूरतमंद विधवा महिलाओं के लिए राशन वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जो कि एक सराहनीय और समाजोपयोगी पहल रही। विधवा महिलाओं को अक्सर समाज में कई तरह की उपेक्षा और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। पति के निधन के बाद जहाँ एक ओर मानसिक आघात होता है, वहीं दूसरी ओर आर्थिक रूप से भी वे पूरी तरह निर्भर हो जाती हैं। अनेक बार उन्हें घर से निकाला जाता है, या उन्हें समाज के बोझ की तरह देखा जाता है। ग्रामीण और निम्नवर्गीय महिलाओं के लिए यह परिस्थिति और भी कठिन हो जाती है, जहाँ शिक्षा और रोजगार के अवसर पहले से ही सीमित होते हैं। ऐसे में भोजन, दवा, बच्चों की पढ़ाई और रहने जैसी बुनियादी आवश्यकताएँ भी एक बोझ बन जाती है...

''शिक्षा के पथ पर एक सशक्त कदम"

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  शिक्षा मानव जीवन की नींव है। यह केवल ज्ञान प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की कुंजी है। जब एक बालिका शिक्षित होती है, तो न केवल उसका भविष्य उज्जवल होता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज में सकारात्मक परिवर्तन आता है। इसी उद्देश्य के साथ राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने "Education for Every Girl" अभियान के अंतर्गत एक सराहनीय पहल की – विद्यालयी बालिकाओं के बीच स्कूल बैग और स्टेशनरी सामग्री का वितरण। यह पहल न केवल बालिकाओं को उनकी शिक्षा में सहारा देने के लिए की गई, बल्कि समाज में यह संदेश देने के लिए भी कि शिक्षा पर हर बच्ची का समान अधिकार है। यह लेख उसी अभियान को केंद्र में रखकर बालिका शिक्षा के महत्व, आवश्यकताओं और सामाजिक प्रभाव को विस्तार से प्रस्तुत करता है। भारत में आज भी बहुत से क्षेत्रों में बालिकाओं को शिक्षा प्राप्त करने में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। गरीबी, सामाजिक कुरीतियाँ, लिंग भेदभाव, संसाधनों की कमी और पारिवारिक मानसिकता जैसी बाधाएँ उन्हें स्कूल तक पहुँचने से रोकती हैं। विशेषकर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों ...

"न्यायपूर्ण समाज की दिशा में पहला कदम: प्राथमिक अभिविन्यास और समता"

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  एक सशक्त, समान और न्यायपूर्ण समाज की नींव उस मानसिकता से रखी जाती है, जो बचपन से ही व्यक्ति के भीतर विकसित होती है। समाज के प्रत्येक सदस्य में जब समानता का भाव, दूसरों के प्रति सम्मान और नैतिक मूल्यों की समझ होती है, तब हम एक समावेशी राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं। इसी सोच का केंद्र है "प्राथमिक अभिविन्यास" और "समता निर्माण"। प्राथमिक अभिविन्यास का तात्पर्य है – प्रारंभिक स्तर पर, विशेषकर बचपन और किशोरावस्था में, व्यक्तियों की सोच, दृष्टिकोण और मूल्यों का निर्माण। वहीं, समता निर्माण का अर्थ है – समाज में सभी को समान अवसर, अधिकार और सम्मान देना, चाहे वह लिंग, जाति, धर्म, वर्ग, भाषा या शारीरिक स्थिति के आधार पर हो। प्राथमिक अभिविन्यास किसी भी व्यक्ति के जीवन की सबसे संवेदनशील और निर्णायक अवस्था होती है। यह वही दौर होता है जब एक बालक या बालिका अपने आसपास के समाज, परिवार और विद्यालय से संस्कार, व्यवहार और दृष्टिकोण सीखता है। जब एक बच्चा यह देखता है कि घर में लड़का-लड़की को समान महत्व मिलता है, या स्कूल में सभी छात्रों को बराबरी से देखा जाता है, तो उसके मन में समानता, स...

ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब बालिकाओं को स्कूल फीस देकर शिक्षा के लिए प्रोत्साहन: एक सामाजिक क्रांति की ओर कदम

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ग्रामीण क्षेत्रों की गरीब बालिकाओं को स्कूल फीस देकर शिक्षा के लिए प्रोत्साहन: एक सामाजिक क्रांति की ओर कदम शिक्षा हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है, परंतु भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हजारों-लाखों बालिकाएँ शिक्षा से वंचित हैं। गरीबी, सामाजिक कुरीतियाँ, लैंगिक भेदभाव और संसाधनों की कमी ऐसे प्रमुख कारण हैं, जो इन बालिकाओं के स्कूल पहुँचने की राह में बाधा बनते हैं। जब एक गरीब परिवार के सामने दो समय की रोटी और बच्चों की पढ़ाई में से किसी एक को चुनना होता है, तो अक्सर शिक्षा बलिदान हो जाती है — और सबसे पहले जिसकी पढ़ाई छूटती है, वह होती है बालिका। ऐसे में यदि कोई संस्था या सरकार गरीब ग्रामीण बालिकाओं की स्कूल फीस अदा करके उन्हें स्कूल भेजने में मदद करती है, तो यह केवल आर्थिक सहायता नहीं बल्कि एक सामाजिक क्रांति का बीज होता है। यह एक ऐसा कदम है, जो न केवल किसी लड़की का भविष्य बदलता है, बल्कि पूरे समाज की सोच, स्वास्थ्य और आर्थिक संरचना को भी सुधारता है।भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाओं की शिक्षा की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। कई क्षेत्रों में आज  भी बेटियों को स्कूल भेजने को ज़रू...

ठंड से राहत: एक मानवीय पहल

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भारत विविधताओं का देश है, जहां मौसम के हर रंग का अनुभव होता है। विशेषकर उत्तर भारत में सर्दी का मौसम अत्यंत तीव्र होता है, और यह मौसम गरीब और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। ठंड के मौसम में जब अधिकांश लोग गर्म कपड़ों में लिपटे रहते हैं, तब समाज का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है जिसके पास खुद को ढकने के लिए पर्याप्त कपड़े भी नहीं होते। ऐसे समय में यदि कोई संस्था जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए आगे आए, तो वह न केवल राहत प्रदान करती है बल्कि मानवता का उत्कृष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने मानवता और सेवा की भावना को साकार करते हुए ठंड के मौसम में गरीब और जरूरतमंद बच्चों के बीच टोपी, स्वेटर, मोजे, हाथों के दस्ताने (ग्लव्स) और चॉकलेट आदि वितरित किए। यह पहल उन बच्चों के लिए राहत का स्रोत बनी है जो कड़ाके की सर्दी में बिना पर्याप्त गर्म कपड़ों के रहने को मजबूर थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से संस्थान ने न केवल बच्चों को ठंड से बचाने का कार्य किया, बल्कि उनमें आत्मसम्मान और खुशी की भावना भी जगाई। बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और आँखों म...

"सशक्त नारी, सशक्त समाज: ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण में आयोजित पीटीएम बैठक"

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  राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर और हुनरमंद बनाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए पीटीएम (Parent-Teacher Meeting) कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिलाओं और उनके परिवारजनों के बीच संवाद , समझ , और सहयोग को बढ़ावा देना था। आमतौर पर पीटीएम की अवधारणा शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ी होती है, लेकिन इस तरह का आयोजन व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सहभागिता और पारिवारिक समर्थन को बढ़ाने की दिशा में एक नवोन्मेषी कदम है। बैठक के दौरान संस्थान के प्रशिक्षकों ने महिलाओं की सीखने की प्रगति , उपस्थितियाँ , और आचरण पर विस्तृत जानकारी साझा की। परिवारजनों को बताया गया कि यह प्रशिक्षण सिर्फ सौंदर्य सेवाओं तक सीमित नहीं, बल्कि इससे महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकती हैं और अपना व्यवसाय शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती हैं। परिवार के सदस्यों ने भी अपनी प्रतिक्रिया साझा की और कई लोगों ने खुलकर कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से न केवल उनकी बेटियाँ या...

हरित क्रांति की नई शुरुआत: किसानों के साथ पर्यावरण संरक्षण की पहल"

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  पर्यावरण संरक्षण आज केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए जिम्मेदारी बन चुकी है। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई और बढ़ते प्रदूषण के इस दौर में यदि कोई वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होता है, तो वह है ग्रामीण किसान । इसी गंभीर विषय को ध्यान में रखते हुए राजस्थान समग्र कल्याण संस्थान ने एक सराहनीय पहल करते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के साथ मिलकर पर्यावरण विषयक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत संस्थान ने गरीब और छोटे किसानों को फल दार वृक्षों का निःशुल्क वितरण किया। इस कदम का उद्देश्य दोहरा है — एक ओर यह पहल पर्यावरण संतुलन बनाए रखने की दिशा में सहायक है, वहीं दूसरी ओर यह किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में भी मदद करेगी। फलदार वृक्ष जैसे आम, अमरूद, नींबू आदि न केवल पर्यावरण को हरा-भरा बनाते हैं, बल्कि भविष्य में किसानों को स्थायी आय का स्रोत भी प्रदान करते हैं। कार्यक्रम के दौरान किसानों को वृक्षारोपण के सही तरीके, देखभाल, जल संरक्षण, और जैविक खाद के उपयोग जैसे विषयों पर भी प्रशिक्षण दिया गया। इस अवसर पर ग्रामीण किसानों ने उत्साहपूर्वक...