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विशिष्ट पोस्ट

Stand Together Against COVID-19

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Stand Together Against COVID-19 As we all are aware of the pandemic Novel COVID-19 that has engulfed the entire world, and poses a serious threat to the well-being and mobility of each individual. COVID-19 can cause mild to severe illness; most severe illness occurs in older adults. At RSKS India we are extremely concerned and conscious about the health of our employees as well as our partners, Donors and thousands of beneficiaries who are a part of the family and to ensure, this RSKS Team members are also doing awareness programs at all our workshops and training centre to ensure the safety of people. RSKS India encourages everyone to take precautions by social distancing, following proper sanitary protocols and reaching out to health authorities in suspected cases. We would also like to take this opportunity to reiterate the World Health Organisation guidelines and urge you to take the necessary precautions to safeguard yourself from COVID-19; Wash yo...

"सड़क के बच्चों के साथ 6 दिवसीय शिक्षा शिविर – उम्मीद की पाठशाला"

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सड़क पर रहने वाले बच्चे अक्सर समाज की अनदेखी का शिकार होते हैं। उनके पास न तो शिक्षा की सुविधा होती है और न ही एक सुरक्षित जीवन का आधार। वे बचपन से ही काम में लग जाते हैं या गलियों में भीख मांगते हुए जीवन व्यतीत करते हैं। इन्हीं वंचित बच्चों को मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से RSKS India द्वारा एक 6 दिवसीय विशेष शिक्षा शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य इन बच्चों को शिक्षा की ओर प्रेरित करना, उनके भीतर सीखने की रुचि पैदा करना और उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने की दिशा में आगे बढ़ाना था। यह शिविर ऐसे स्थानों पर लगाया गया जहां ये बच्चे अधिक संख्या में मिलते हैं, ताकि वे सहज रूप से जुड़ सकें और शिक्षा का अनुभव कर सकें। शिविर में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ मनोरंजन, रचनात्मकता और जीवन कौशल से जोड़ने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ कराई गईं। बच्चों को हिंदी, गणित और सामान्य ज्ञान की प्रारंभिक जानकारी सरल भाषा और रोचक तरीकों से दी गई। रंगीन किताबें, फ्लैश कार्ड, चित्रों और कहानियों के माध्यम से उन्हें सीखने में रुचि पैदा की गई। इसके अलावा, चित्रकला, समूह गीत, खेलकूद, और ‘कहानी सुना...

“मदर टेरेसा – सेवा, करुणा और मानवता की मूरत”

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मदर टेरेसा का नाम लेते ही मन में सेवा, त्याग और करुणा की तस्वीर उभर आती है। उनका जन्म 26 अगस्त 1910 को मैसेडोनिया के स्कॉप्जे शहर में हुआ था। उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजीजू था। मात्र 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने नन बनने का निर्णय लिया और आयरलैंड की 'लोरेटो कॉन्वेंट' में प्रवेश लिया। इसके बाद वह भारत आईं और कोलकाता में शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने लगीं। लेकिन उनका मन गरीब, असहाय और बीमार लोगों की सेवा में रमता था। उन्होंने अनुभव किया कि शिक्षा से अधिक ज़रूरत समाज के उपेक्षित और पीड़ित वर्ग की देखभाल की है। यही सोच उन्हें एक नई राह पर ले गई। मदर टेरेसा ने 1950 में "Missionaries of Charity" नामक संस्था की स्थापना की, जिसका मुख्य उद्देश्य गरीबों, कुष्ठ रोगियों, अनाथों और लाचार लोगों की सेवा करना था। उन्होंने कोलकाता की गलियों में भटकते हुए बीमारों को उठाकर अपने आश्रम में लाया और उन्हें मान-सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर दिया। उनके सेवा कार्य केवल भारत तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि यह मिशन धीरे-धीरे 100 से अधिक देशों में फैल गया। उन्हें यह विश्वास था कि "हम मह...

"हम भी बराबर हैं: ग्रामीण स्कूली बालिकाओं के सशक्तिकरण की ओर''

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ग्रामीण भारत की बेटियाँ आज आत्मविश्वास और सशक्तिकरण की ओर कदम बढ़ा रही हैं, और इस दिशा में RSKS India द्वारा चलाई जा रही पहलें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में संस्था द्वारा एक विशेष कार्यक्रम "We Are Equal" का आयोजन ग्रामीण विद्यालय में किया गया, जिसमें स्कूली बालिकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बालिकाओं में समानता, आत्मसम्मान और नेतृत्व की भावना को बढ़ावा देना था। समाज में व्याप्त लैंगिक असमानताओं को खत्म करने की दिशा में यह एक प्रभावशाली कदम रहा, जिसमें छात्राओं को यह समझाया गया कि वे किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं और वे भी हर सपना साकार करने का अधिकार रखती हैं। कार्यक्रम के दौरान बालिकाओं ने भाषण, निबंध लेखन, रंगोली, चित्रकला, और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इन गतिविधियों में उन्होंने लैंगिक समानता, शिक्षा का महत्व, महिला अधिकार, और स्वच्छता जैसे विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी। छात्राओं ने प्रेरक नारों और पोस्टरों के ज़रिए यह संदेश दिया कि लड़कियाँ भी हर क्षेत्र में समान अवसरों की ...

"ड्रॉप आउट बालिकाओं को मिला नया सहारा: गाँवों में शिक्षा की लौ"

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गांवों में शिक्षा की रोशनी अब उन बच्चियों तक भी पहुँच रही है, जो पहले समाज की मुख्यधारा से कट चुकी थीं। RSKS India (राष्ट्रीय सामाजिक कार्य सेवा संस्थान) द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन, निराश्रित और ड्रॉप आउट बालिकाओं के लिए विशेष पाठशालाएं चलाई जा रही हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें फिर से शिक्षा के साथ जोड़ना है। इन बालिकाओं में अधिकतर वे हैं जो आर्थिक, सामाजिक या पारिवारिक कारणों से स्कूल छोड़ने पर मजबूर हो गई थीं। संस्था ने न केवल इन बच्चियों को दोबारा पढ़ाई की ओर प्रेरित किया है, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित, प्रेरणादायक और सहयोगात्मक माहौल भी प्रदान किया है, जिसमें वे आत्मविश्वास के साथ शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। इन विशेष पाठशालाओं में सभी आवश्यक शैक्षिक विषयों जैसे हिंदी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि का अध्ययन अच्छे से करवाया जाता है। इसके साथ-साथ बालिकाओं की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और मानसिक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। प्रशिक्षित शिक्षक उन्हें उनके स्तर के अनुसार पढ़ाते हैं और उन्हें समझने तथा बोलने की क्षमता को भी बढ़ावा देते हैं। बच्चियों को पाठशाला में किताबें, स्...

"चुप्पी के खिलाफ आवाज़ – अदिति गुप्ता और मासिक धर्म शिक्षा की क्रांति"

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भारत जैसे पारंपरिक समाज में मासिक धर्म को आज भी एक वर्जित विषय माना जाता है। इसके बारे में बात करना शर्म का कारण समझा जाता है, और खासकर किशोरियों और युवतियों को इस विषय पर सही जानकारी नहीं दी जाती। यही कारण है कि कई लड़कियाँ मासिक धर्म की शुरुआत में भ्रमित, भयभीत और असहज हो जाती हैं। लेकिन इस सामाजिक चुप्पी को तोड़ने और एक स्वस्थ संवाद शुरू करने का बीड़ा उठाया है अदिति गुप्ता ने। अदिति का मानना है कि मासिक धर्म कोई शर्म की बात नहीं, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य और शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे समझना और अपनाना बेहद ज़रूरी है। 2012 में अदिति गुप्ता ने अपने पति तुहिन पॉल के साथ मिलकर Menstrupedia.com की स्थापना की। यह भारत की पहली ऐसी वेबसाइट है जो मासिक धर्म से जुड़ी हर जानकारी को सरल, वैज्ञानिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है। Menstrupedia न केवल एक वेबसाइट है, बल्कि यह एक आंदोलन बन चुका है जो किशोरियों, शिक्षकों, माता-पिताओं और यहां तक कि पुरुषों को भी इस विषय पर शिक्षित करने का प्रयास करता है। वेबसाइट पर कॉमिक्स, वीडियो, कहानियाँ और वैज्ञानिक जानकार...

"हुनर, हिम्मत और स्वास्थ्य – महिला विकास की नई दिशा"

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ग्रामीण और वंचित वर्ग की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से RSKS India द्वारा संचालित ब्यूटी पार्लर प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल एक हुनर सिखाने का माध्यम है, बल्कि यह महिलाओं को सामाजिक, मानसिक और शारीरिक रूप से भी सशक्त बनाने की दिशा में एक बहुआयामी प्रयास है। इसी क्रम में, हाल ही में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहीं महिलाओं के लिए एक विशेष खेल गतिविधि दिवस आयोजित किया गया। इस आयोजन ने प्रशिक्षण में नई ऊर्जा भरने के साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य, टीम भावना और आत्मविश्वास को भी मजबूती प्रदान की। खेल दिवस के आयोजन में महिलाओं ने जलेबी रेस , मटका संचालन , लगड़ी टांग खेल, रसाकसी म्यूजिकल चेयर जैसे विभिन्न खेलों में बढ़-चढ़कर भाग लिया। सभी गतिविधियाँ इस तरह से डिज़ाइन की गई थीं कि वे शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन और मानसिक राहत का भी स्रोत बन सकें। महिलाओं के चेहरों पर मुस्कान, जोश और उत्साह ने यह साबित कर दिया कि यह आयोजन उनके लिए एक विशेष अवसर था, जिसमें वे अपने प्रशिक्षण के तनाव से बाहर आकर खुलकर हँस सकीं और खुद को एक नए रूप में महसूस कर सकीं। इस आयोजन में महिलाओं ने न केवल खेलों का...

लैंगिक आधारित हिंसा के खिलाफ एकजुटता – RSKS India का जागरूकता अभियान

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  लैंगिक आधारित हिंसा (Gender-Based Violence) समाज की एक ऐसी पीड़ा है, जो महिलाओं, किशोरियों और कमजोर वर्गों के अस्तित्व और आत्मसम्मान को गहरी चोट पहुंचाती है। यह न केवल शारीरिक पीड़ा देती है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति को तोड़ देती है। भारत जैसे देश में, जहाँ पितृसत्तात्मक सोच अब भी कई स्थानों पर जड़ें जमाए हुए है, वहाँ इस मुद्दे पर खुलकर बात करना और समाज को संवेदनशील बनाना अत्यंत आवश्यक है। इसी उद्देश्य को लेकर RSKS India ने एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य लैंगिक हिंसा के खिलाफ जनचेतना पैदा करना और पीड़ितों को सहयोग और समर्थन प्रदान करना था। इस एक दिवसीय कार्यक्रम में ग्रामीण स्कूल के बालक वे बालिकाओं के साथ यह कार्यक्रम सम्पादित किया  गया।कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों द्वारा लैंगिक हिंसा के प्रकार, इसके दुष्परिणाम, और कानूनी अधिकारों की जानकारी दी गई। बालिकाओं को 'ना' कहने का अधिकार, आत्म-संरक्षण के तरीके, और हिंसा के प्रति चुप्पी तोड़ने का साहस देने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ कराई गईं। सहभागियों को यह भी बताया गया कि क...